अरुणावती बांध के रास्ते की दयनिय हालत, गढ्ढों से बांध की सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह, चार बरसों सें नही हुआ निर्माणकार्य

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    दिग्रस. दिग्रस से 9 किलोमिटर दुरी पर बनें अरुणावती बांध मुसलाधार बारिश के बाद लबालब भर चुका है. बांध के 100 फिसदी भरने और जलस्तर मेंटेन रखने के लिए अतिरिक्त जल का विसर्ग कीया जा रहा है. इस दौरान बांध क्षेत्र में नयनरम्य निसर्ग देखने निसर्गप्रेमीयों समेत नागरीकों का अरुणावती बांध क्षेत्र में भीड बढ चुकी है.

    उल्लेखनिय है की अरुणावती बांध का परिसर पर्यटन के लिए प्रतिबंधीत है, लेकिन अपनी जान मुठठी में लेकर नागरीक यहां पहूंच रहे है, लेकिन बांध के बीच में रास्ते की दयनिय अवस्था होने से नागरिक यहां जान से खेलकर भी पहूंच रहे है.क्योंकी बांध तक पहूंचने के लिए टिलेनुमा पहाडी पर लगभग 5 कीलोमिटर जो रास्ता है,उसपर गढ्ढों का साम्राज्य है.

    जिससे केवल पांच कीमी.अंतर पर करने आधा घंटा लगता है. इस समस्या के कारण बांध की देखभाल और सुरक्षा के लिए तैनात अधिकारीयों, कर्मचारीयों कों गेट तक पहूंचने तारों की कसरत करनी पडतली है.इस मार्ग पर दिन में चलना दुभर है, तो रात के दौरान आपदा की हालत निर्माण होने पर उन्हे भारी तकलीफों का सामना करने की संभावना निर्माण हो चुकी है.

    बांध की दिवार से एक रास्ता 5 किमी.दूरी अंतर तरक आगे बांध के दरवाजे तक जाता है, लेकीन यह रास्ता पुरी तरह उखडकर उसमें बडे गढ्ढे पडे है, साथ ही बारिश के पानी के कारण उसमें मिटटी और किचड जमा हो चुका है, जिससे कोई भी इस मार्ग पर मोटरसाईकील तक नही चला सकता है.लेकिन इसी मार्ग से अरुणावती प्रकल्प विभाग के अधिकारीयों, कर्मचारीयों को अपनी जान मुठठी में लेकर गुजरना पड रहा है.लेकिन इसके निर्माण के लिए अधिकारी भी गंभीर नही है और इसे बनाना जरुरी ना माने जाने से आश्चर्य जताया जा रहा है, उल्लेखनिय है इससे बांध की सुरक्षा पर ही प्रश्नचिन्ह निर्माण हो चुका है.

    बता दें की प्रकल्प विभाग के अधिकारी और कर्मचारी हर माह वेतन लेने और इसके बदले में बरसात में बाध के जलस्तर पर ध्यान देने के अलावा कोई महत्वपुर्ण काम करते हुए नही दिखते है. बांध के दिवार का रास्ता खराब होकर उसमें गढ्ढे पड चुके है.लेकिन उसमें मुरूम डालने, कई स्थानों पर लोहे के बैरिकेड टूटने से उन्हे जोडने, क्षेत्र में फैले गांजर घास, कांटे के झाडे साफ कर यह परिसर पर्यटन स्थल जैसा बनाने जैसे कामों पर अरुणावती विभाग के अभियंता की नजरअंदाजी हैरानी का सबब बनी हुई है.

    इन समस्याओं पर अरुणावती विभाग के अभियंता विनोद बागुल से पुछे जाने पर उनका जवाब अधिक लापरवाहीभरा था, उन्होने बताया की बांध क्षेत्र में अन्य लोगों को कोई लेना देना नही है, हम और हमारे वाहन वहां पहूंचते है, काम अच्छे तौर पर जारी है, हमें समस्या कोई समस्या नही दिखती है,यह मुददा चर्चा का विषय नही है.जिससे अब इस संदर्भ में विभाग के वरिष्ठ अधिकारीयों ने ध्यान देने की मांग नागरिकों द्वारा की जा रही है.

    टिले के रास्ते पर गढढढों से बांध की सुरक्षा पर सवाल

    अरुणावती बांध के टिले के रास्ते पर बडे बडे गढ्ढे पड जाने, उसमें बारिश का पानी जमा रहने से यह पानी बांध के टिले की दिवार से झिरने की संभावना है, जिससे बांध की सुरक्षा पर प्रश्ननिर्माण खडा हो रहा है. इसी मार्ग पर खर पतवार बढकर सुरक्षा बैरिकेड टुट चुके है, विशेष बात यह है की शिखर से 30 बरस बित जाने पर भी कैनाल का पानी अब भी आखिरी टेल तक नही पहूंचता है, जो शोकांतिका है, जिससे जनप्रतिनिधीयों और वरिष्ठों ने इस ओर गंभीरता से ध्यान देना जरुरी माना जा रहा है.