Amritpal Singh
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चंडीगढ़: पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने सोमवार को पिछले महीने दायर उस याचिका को निरर्थक कहकर खारिज कर दिया जिसमें दावा किया गया था कि पंजाब के मोगा जिले में गिरफ्तारी के एक दिन बाद कट्टरपंथी उपदेशक अमृतपाल सिंह पुलिस की “अवैध हिरासत” में था।

अमृतपाल सिंह और उसके संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ के कानूनी सलाहकार इमान सिंह खारा ने 19 मार्च को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी जिसमें कथित पुलिस हिरासत से खालिस्तानी समर्थक अलगाववादी की पेशी की मांग की गई थी। अदालत में हुई पिछली सुनवाई में पंजाब राज्य ने कहा था कि अमृतपाल सिंह को न तो हिरासत में लिया गया था और न ही गिरफ्तार किया गया था।

अदालत ने याचिकाकर्ता को इस बात का साक्ष्य दिखाने के लिए भी कहा था कि कट्टरपंथी उपदेशक अवैध हिरासत में था। पंजाब पुलिस ने रविवार सुबह मोगा जिले के रोडे गांव से अमृतपाल को गिरफ्तार किया था।  खारा ने सुनवाई के बाद संवाददाताओं से कहा कि क्योंकि अमृतपाल सिंह को अब राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत हिरासत में लिया गया है और 23 अप्रैल को असम में डिब्रूगढ़ केंद्रीय कारागार भेज दिया गया है, इसलिए याचिका को निरर्थक बताते हुए खारिज कर दिया गया है।

अमृतपाल को सुबह 6.45 बजे रोडे में एक गुरुद्वारे से बाहर आने पर हिरासत में लिया गया। आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले रोडे गांव से था और अमृतपाल को पिछले साल इस गांव में आयोजित एक कार्यक्रम में ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन का प्रमुख नियुक्त किया गया था। खालिस्तान समर्थक सिंह (29) को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत हिरासत में लिया गया और डिब्रूगढ़ केंद्रीय कारागार में रखे जाने के लिए एक विशेष विमान से असम ले जाया गया।

पुलिस ने पिछले महीने उपदेशक और उसके संगठन के सदस्यों के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई शुरू की थी। न्यायमूर्ति एन.एस. शेखावत की पीठ ने अमृतपाल सिंह के सहयोगियों दलजीत सिंह कलसी, गुरमीत सिंह, कुलवंत सिंह, वरिंदर सिंह फौजी, भगवंत सिंह प्रधानमन्त्री बाजेके और बसंत सिंह के रिश्तेदारों द्वारा दायर याचिकाओं के मामले में सुनवाई की अगली तारीख एक मई तय की है।

एनएसए के बंदियों के रिश्तेदारों ने नजरबंदी के आदेश को रद्द करने की मांग की थी। कलसी की पत्नी के वकील सिमरनजीत सिंह ने कहा कि वे एक संशोधित याचिका दायर करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता अब हिरासत के आदेश के आधार को चुनौती देगी।