भारत के इस राज्य में लगता हैं अजीबोगरीब मेला, जहां शादी के लिए रात में कुंवारे लड़कों को मारती हैं महिलाएं

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    नई दिल्ली: हमारे देश में विविध संस्कृति है। इसके चलते कई मान्यताएं भी है, जिसे सालों से माना जाता है और निभाया भी जाता है। ऐसा ही कुछ राजस्थान के जोधपुर में भी है। दरअसल यहां विश्व का सबसे अनोखा मेला लगता है, इस मेले में 16 दिन पूजा करने के बाद सुहागिन महिलाएं अलग-अलग स्वांग रचकर रात में सड़कों पर निकलती हैं, बता दें कि इस प्रथा को बेंतमार के नाम से भी जाना जाता है। आइए अब जानते है इस मेले से जुड़ी कुछ खास बातें… 

    विश्व का अनोखा मेला 

    दरअसल जोधपुर का यह मेला प्राचीन काल से चला आ रहा है, इस मेले की खासियत यह है कि इस मेले में भाभी अपने देवर और अन्य कुंवारे युवकों को प्यार से छड़ी मार कर बताती हैं कि यह कुंवारा है। मान्यता है कि महिलाओं का कुंवारे युवाओं को इस तरह छड़ी मारने से उनकी शादी जल्द हो जाती है। जानकारी के लिए आपको बता दें कि इस मेले के दौरान पूरी रात में शहर की सड़कों पर सिर्फ महिलाएं ही दिखती हैं और हर महिला के हाथ में एक छड़ी होती है जैसे ही कोई पुरुष सामने दिखता है तो उसे छड़ी से मार पड़ती है, ताकि उसकी शादी जल्द हो। 

    कुवारें लड़कों को मारती है महिलाएं 

    आपको बता दें कि जोधपुर के इस मेले में 16 दिन तक धींगा गवर माता का पूजन होता है, वहीं 16वें दिन पूरी रात महिलाएं घर से बाहर रहती है और अलग-अलग समय में धींगा गवर की आरती करती है।इतना ही नहीं बल्कि इस अनोखे मेले में महिलाएं अलग-अलग स्वांग रच कर पूरी रात शहर में घूमती हैं। बता दें कि दुनिया में सिर्फ जोधपुर में ही धींगा गवर का आयोजन किया जाता है जिसे देखने के लिए न सिर्फ राजस्थान से बल्कि दुनियाभर के लोग जोधपुर पहुंचते हैं। इस धींगा गवर की अनूठी पूजा करने वाली महिलाएं दिन में 12 घंटे निर्जला उपवास करती है, इसे बहुत ही पावन पर्व माना जाता है। 

    563 सालों चली आ रही है मान्यता 

    हर चीज से एक इतिहास जुड़ा होता है, ठीक वैसे ही इस मेले से भी कुछ बाते इतिहास से जुड़ी है। बता दें कि जोधपुर की स्थापना राव जोधा ने 1459 में की थी और तभी से धींगा गवर पूजन का आयोजन किया जा रहा है। यह पूजा बहुत पुरानी है, जी हां 563 सालों से यह पूजा चली आ रही है। इसके पीछ यह मान्यता है कि मां पार्वती ने सती होने के बाद जब दूसरा जन्म लिया था तो वो धींगा गवर के रूप में आई थी। व्रत रखने वाली महिलाएं एक समय भोजन करती हैं और माता की पूजा में मीठा का भोग लगाया जाता है। जो महिलाएं यह व्रत रखती है उनके हाथ में एक डोरा बंधा होता है जिसमें कुमकुम से 16 टीके लगाए जाते हैं। हर साल जोधपुर में यह पूजा मेले के दौरान की जाती है।