जयपुर. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को एक पत्र लिखकर भारतीय प्रशासनिक सेवा से जुड़े नियमों में प्रस्तावित संशोधनों को रोके जाने का आग्रह किया है। मुख्यमंत्री ने आशंका जताई है कि ये प्रस्तावित संशोधन संविधान में वर्णित सहयोगात्मक संघवाद की भावना को कमजोर करेंगे। इससे केंद्र एवं राज्य सरकारों के लिए निर्धारित संवैधानिक क्षेत्राधिकार का उल्लंघन होगा और राज्य में पदस्थापित अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों में निर्भय होकर एवं निष्ठापूर्वक कार्य करने की भावना में कमी आएगी।
गहलोत ने अपने पत्र में देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा 10 अक्टूबर 1949 को संविधान सभा में अखिल भारतीय सेवा पर हुई बहस के दौरान दिए गए वक्तव्य का हवाला दिया। पटेल ने बहस के दौरान कहा था, ‘‘यदि आप एक कुशल अखिल भारतीय सेवा चाहते हैं तो मैं आपको सलाह देता हूं कि आप सेवाओं को खुलकर अभिव्यक्त होने का अवसर दें। यदि आप सेवा प्राप्तकर्ता हैं तो यह आपका कर्तव्य होगा कि आप अपने सचिव, या मुख्य सचिव, या आपके अधीन काम करने वाली अन्य सेवाओं को बिना किसी डर या पक्षपात के अपनी राय व्यक्त करने दें। इसके अभाव में आपके पास अखंड भारत नहीं होगा।”
Rajasthan CM Ashok Gehlot writes to PM Modi urging him to stop Centre's proposed amendment to IAS Cadre Rules
"Due to the amendments, the state's efforts to attain the goals set by the Constitution and achieve the aim of public welfare will definitely suffer a blow"
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— ANI (@ANI) January 21, 2022
गहलोत ने पत्र में कहा है कि इस संशोधन के बाद केंद्र सरकार संबंधित अधिकारी और राज्य सरकार की सहमति के बिना ही अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों को केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर बुला सकेगी।
उन्होंने कहा है, ‘‘हमारे देश के संविधान निर्माताओं ने अखिल भारतीय सेवाओं की संकल्पना जन कल्याण तथा संघवाद की भावना को ध्यान में रखकर की थी। इस संशोधन से सेवाएं भविष्य में कमजोर होंगी। संशोधन के कारण संविधान द्वारा निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति तथा जन कल्याण के लक्ष्यों को अर्जित करने के राज्यों के प्रयासों को निश्चित रूप से ठेस पहुंचेगी।”
मुख्यमंत्री ने पत्र में प्रधानमंत्री मोदी का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा है कि अखिल भारतीय सेवा नियमों में संशोधन के संबंध में 20 दिसंबर 2021 को केंद्र सरकार द्वारा पत्र के माध्यम से राज्यों से सलाह मांगी गई थी। इस प्रस्ताव पर सलाह प्राप्त करने की प्रक्रिया के दौरान केंद्र सरकार ने एकतरफा संशोधन प्रस्तावित कर 12 जनवरी को दोबारा सलाह आमंत्रित की है।
उन्होंने कहा है कि यह प्रस्तावित संशोधन अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों की पदस्थापना के मामले में केंद्र और राज्यों के बीच मौजूदा सौहार्दपूर्ण वातावरण को भी प्रभावित करता है। गहलोत ने आशंका व्यक्त की है कि इस प्रस्तावित संशोधन से अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति में राज्यों की सहमति के अभाव से राज्य प्रशासन प्रभावित होगा।
राज्यों को योजनाओं के क्रियान्वयन, नीति-निर्माण और निगरानी में अधिकारियों की कमी का भी सामना करना पड़ेगा। गहलोत ने प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप कर इन प्रस्तावित संशोधनों के माध्यम से देश के संविधान एवं राज्यों की स्वायत्तता पर हो रहे आघात पर रोक लगाने का आग्रह किया है ताकि संघवाद की भावना को अक्षुण्ण रखा जा सके। (एजेंसी)