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    नई दिल्ली: केंद्र सरकारने तीन पूर्वोत्तर राज्यों में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) के तहत आने वाले अशांत क्षेत्रों को कम कर दिया है। जिसके एक दिन बाद शुक्रवार को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने उल्फा- I और अन्य नक्सलवादी संगठनों से शांति प्रक्रिया में शामिल होने का आग्रह किया।

    राज्य विधानसभा में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि, “मैं उल्फा-आई और अन्य उग्रवादी संगठनों से अपील करता हूं जो अभी भी हथियारों की आवाजाही में हैं, आगे आएं और शांति प्रक्रिया में भाग लें ताकि हम सभी असम को देश का एक शक्तिशाली राज्य बना सकें।”

     राज्य के अधिकांश हिस्सों से अफस्पा के हटने के बाद सरमा ने इसे “ऐतिहासिक निर्णय” बताया। उन्होंने कहा, इस निर्णय के लिए असम और पूर्वोत्तर की ओर से  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का आभार व्यक्त करता हु। उन्होंने कहा, अब यहां शांतिपूर्ण वातावरण का एक नया क्षितिज शुरू होगा। राज्य को विकास की नई ताकत मिलेगी। 

    इससे पहले, गुरुवार को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने दशकों बाद नागालैंड, असम और मणिपुर में अफस्पा के तहत अशांत क्षेत्रों को कम करने का फैसला किया। केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) के अनुसार, पूर्वोत्तर में सुरक्षा की स्थिति में सुधार के परिणामस्वरूप सरकार द्वारा तीन पूर्वोत्तर राज्यों के तहत अशांत क्षेत्रों को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।

    असम, मणिपुर, नागालैंड में अफस्पा क्षेत्र को किया गया कम 

    बता दें कि, असम में जहां अशांत क्षेत्र अधिसूचना 1990 से लागू है। वहीं, 1 अप्रैल, 2022 से AFSPA को पूरी तरह से 23 जिलों से और आंशिक रूप से एक जिले से हटाया जा रहा है।

    वहीं, अशांत क्षेत्र घोषणा जो 2004 से पूरे मणिपुर (इंफाल नगर पालिका क्षेत्र को छोड़कर) में लागू है। वहां, एक अप्रैल से मणिपुर के छह जिलों के पंद्रह पुलिस थाना क्षेत्र इस अधिनियम के दायरे से बाहर हो जाएंगे।

    गृह मंत्रालय की एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि, नगालैंड में, सोम की हत्या के बाद केंद्र द्वारा गठित एक उच्च स्तरीय समिति ने चरणबद्ध तरीके से अफस्पा को समाप्त करने की सिफारिश को स्वीकार कर लिया है। 1 अप्रैल से नागालैंड के सात जिलों के 15 पुलिस थानों से अशांत क्षेत्र की अधिसूचना वापस ले ली गई है।