Manmohan vaidya
File Photo: PTI

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    हैदराबाद. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो दिन पहले की पंजाब यात्रा के दौरान ‘सुरक्षा में चूक’ एक गंभीर मुद्दा है और यह अच्छा नहीं है कि उच्च संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति फंसे रहें। संघ के सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य ने यहां संवाददाताओं को बताया, “गंभीर मुद्दा है। इसकी जांच भी की जा रही है। सरकार अपना काम करेगी। उच्च संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति ऐसे ही फंसे रहें, यह अच्छा नहीं है। यह देश के लिए अच्छा नहीं है।”

    वैद्य ने शुक्रवार को यहां संपन्न ‘संघ परिवार’ के संगठनों की तीन दिवसीय समन्वय बैठक के बारे में पत्रकारों को जानकारी दी। वैद्य से पांच जनवरी को प्रधानमंत्री की पंजाब यात्रा के दौरान हुई ‘सुरक्षा चूक’ के बारे में पूछा गया, जिस पर उन्होंने यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि 36 स्वतंत्र, स्वायत्त संगठनों ने बैठक में भाग लिया और 24 महिलाओं सहित 216 प्रतिनिधियों के आने की उम्मीद थी, जिनमें से 91 प्रतिशत ने भाग लिया।

    संघ का लक्ष्य क्या है, इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि यह (संघ) भारत को दुनिया का सबसे महान राष्ट्र बना रहा है। कोविड-19 के बढ़ते मामलों के आलोक में कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव के बारे में चल रही बहस पर, वैद्य ने कहा कि निर्वाचन आयोग इस बारे में बात कर चुका है।

    उन्होंने कहा कि सरकार सभी की स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को दूर करते हुए लोकतांत्रिक प्रक्रिया का संचालन करने का तरीका खोजने की कोशिश कर रही है। रामकृष्ण मिशन और तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) सहित हिंदू धार्मिक संगठनों के विदेशी चंदा (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) पंजीकरण को कथित तौर पर नवीनीकृत नहीं किए जाने पर, वैद्य ने कहा कि देश में हिंदू समाज इतना सक्षम है कि इसे देश के बाहर से चंदा लेने की आवश्यकता नहीं है।

    उन्होंने कहा कि कानून के हिसाब से क्या होना चाहिये, यह अलग बात है। महिलाओं को निशाना बनाने वाले ऐप के बारे में उन्होंने कहा कि किसी भी धर्म से परे, महिलाओं के बारे में दुर्भावना से बात करना गलत है। यह पूछे जाने पर कि क्या राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से शिक्षा का भगवाकरण किया जा रहा है, तो उन्होंने कहा कि जो लोग इस तरह के अभियान में शामिल हैं, वे ऐसा ही करते रहेंगे।

    उन्होंने कहा कि कई ”टुकड़े-टुकड़े गैंग” हैं जो भारत की पहचान और देश को एकजुट करने वाले तत्व का विरोध करके विभाजन पैदा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रयास अतीत में भी किए गए हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति के संबंध में यदि कोई विशेष विवरण दिखाया जाता है तो बहस हो सकती है, लेकिन इस तरह के आरोप आरएसएस पर हमेशा लगाए जाते रहे हैं। आरएसएस नेता ने कहा कि 36 स्वतंत्र, स्वायत्त संगठनों ने बैठक में भाग लिया और 24 महिलाओं सहित 216 प्रतिनिधियों के आने की उम्मीद थी, जिनमें से 91 प्रतिशत ने भाग लिया।

    आरएसएस की एक विज्ञप्ति के अनुसार, बहुत से युवा आरएसएस की वेबसाइट के माध्यम से संगठन में शामिल होने के लिए रुचि दिखा रहे हैं। विज्ञप्ति में कहा गया है कि 2017 और 2021 के बीच, औसतन एक लाख से 1.25 लाख लोगों ने हर साल संगठन में शामिल होने की रुचि व्यक्त की है। विज्ञप्ति के अनुसार, ”रोजाना 55 हजार शाखाएं लगाई जा रही हैं। इनमें 60 प्रतिशत छात्र और 40 प्रतिशत कामकाजी लोग हिस्सा लेते हैं।” (एजेंसी)