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तेलंगाना मुख्यमंत्री के. चंद्रेशेखर राव

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हैदराबाद : पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव (Telangana Assembly Elections 2023) की तुलना में भारतीय जनता पार्टी को सबसे ज्यादा मशक्कत तेलंगाना में करनी पड़ रही है, क्योंकि उसे ग्रेटर हैदराबाद मुंसिपल कार्पोरेशन (GHMC) की तरह पहले के मुकाबले ज्यादा सीटें जीतने की संभावना दिखने लगी है। तो वहीं कांग्रेस एक जमाने में अपने सबसे मजबूत किले को फिर से फतह करना चाहती है। वहीं अगर मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (KCR) की स्थिति को देखें तो तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (Telangana Chief Minister K. Chandrashekhar Rao) के सामने बाकी सारे दलों को अपने मुकाबले उतना मजबूत नहीं मान रहे हैं। उनको लगता है कि सत्ता विरोधी वोटों का बंटवारा होगा और जीत की हैट्रिक लगाते हुए एक बार फिर से तेलंगाना भारत राष्ट्र समिति अपनी सरकार बनाने में सफल हो जाएगी।

अगर आप चुनावों वालों सभी 5 राज्यों की सरकारों व इनके मुख्यमंत्रियों की हालत देखेंगे तो अन्य राज्यों की अपेक्षा सत्ताधारी भारत राष्ट्र समिति की यह सरकार खुद को ज्यादा सुरक्षित मान रही है और उनकी तमाम लोकलुभावन स्कीमों से जनता एकबार फिर से उनको चुन सकती है। क्योंकि विपक्षी दलों की जमीनी हालत ऐसी नहीं है कि वह चुनावी भीड़ को वोटों में इतना तब्दील कर सकें कि के. चंद्रेशेखर राव की सरकार को तगड़ा झटका दे सकें। इसीलिए तेलंगाना के मुख्यमंत्री अन्य राजनीतिक दलों के मुख्यमंत्रियों की अपेक्षा खुद को ज्यादा सेफ महसूस कर रहे हैं।


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जनसभा में बोलते हुए तेलंगाना मुख्यमंत्री के. चंद्रेशेखर राव

इसलिए केसीआर दिख रहे सेफ
तेलंगाना के चुनावों पर बारीक नजर रखने वाले राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जिस तरह बिखरे हुए विपक्ष से मोदी सरकार खुद को सुरक्षित महसूस करती है, ठीक वैसे ही तेलंगाना में के. चंद्रशेखर राव अपने आप को सुरक्षित महसूस करते हैं। इसीलिए 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी जिस तरह से अपने एजेंडे पर दिलखोल कर काम करते हुए खुद की सत्ता में वापसी की उम्मीद से जुटी हैं, ठीक उसी तरह तेलंगाना में 2023 में हो रहे विधानसभा चुनाव में भारत राष्ट्र समिति अपनी वापसी की राह देख रही है। पार्टी के नेताओं का मानना है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में टीआरएस की सीटें भले ही घट जाएं, लेकिन सरकार बनाने से कोई नहीं रोक सकता है।


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तेलंगाना में भाजपा के नेता (डिजाइन फोटो)

कौन बना सकता है सरकार 
अब बात इस बात की हो रही है कि अगर मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव को तेलंगाना में हराना है तो सबसे मजबूत दावेदार कौन हो सकता है और तेलंगाना की जनता किस पर अधिक भरोसा कर सकती है। भारतीय जनता पार्टी के समर्थकों का कहना है कि तेलंगाना में भारतीय जनता पार्टी का जनाधार तेजी से बढ़ रहा है।  अगर 2018 के तेलंगाना विधानसभा चुनाव के बाद से देखें तो भारतीय जनता पार्टी का वोट शेयर 6.98 फीसदी से बढ़कर 2019 के लोकसभा में 19.65 फीसदी हो गया था। वहीं जब 2020 में जीएचएमसी का चुनाव हुआ तो भारतीय जनता पार्टी ने 150 में से 48 सीटें जीत कर दिखा दिया कि भाजपा का जनाधार तेलंगाना में किस तरह से बढ़ रहा है। भारतीय जनता पार्टी के प्रति तेलंगाना के लोगों के बढ़ रहे रुझान की वजह से ही अमित शाह व नरेंद्र मोदी समेत तमाम दिग्गज नेताओं को यहां भेज कर दिन रात चुनाव प्रचार कराया गया है, ताकि के. चंद्रशेखर राव की परिवारवादी पार्टी और सरकार को उखाड़ फेंका जा सके।

केसीआर की सरकार पर हमला बोलते हुए भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा था कि तेलंगाना में 5G चल रहा है। उनके हिसाब से 5G का मतलब… गरीबी, घोटाला, घूसखोरी, घपलेबाजी और गुंडाराज है। इतना ही नहीं केसीआर पर मुस्लिम तुष्टीकरण का भी जमकर आरोप लगा रही है, ताकि हिंदू वोटरों को अपने पक्ष में रिझाया जा सके। जेपी नड्डा ने सरकार से सवालिया अंदाज में पूछा थी कि… क्या वहां की सरकार मुस्लिम लोगों को धर्म के आधार पर दिए गए 4 फीसदी आरक्षण को बढ़ाकर 12 फीसदी करने की कोशिश नहीं कर रही थी।  क्या तेलंगाना में मंदिरों की जमीन पर कब्जा करने की अनाधिकृत चेष्टा नहीं हुई हैं। 

तेलंगाना में 5G चल रहा है। 5G का मतलब... गरीबी, घोटाला, घूसखोरी, घपलेबाजी और गुंडाराज है। केसीआर मुस्लिम तुष्टीकरण भी करते हैं। इसीलिए धर्म के आधार पर दिए गए 4 फीसदी के आरक्षण की सीमा बढ़ाना चाहते थे।

जेपी नड्डा, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष

  इन्हीं सब बातों को उठाकर भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर से तेलंगाना में अपनी मजबूत पकड़ बनाना चाहती है, ताकि वह कर्नाटक के झटके की भरपाई कर सके।  जेपी नड्डा का दावा है कि 30 नवंबर को विधानसभा के लिए होने वाले चुनाव में तेलंगाना की 30 फ़ीसदी कमीशन वाली सरकार उखड़ जाएगी और भारतीय जनता पार्टी अपनी सरकार बनाएगी। सत्ताधारी भारत राष्ट्र समिति के विधायकों पर दलित बंधु योजना में 30% कमीशन वसूलने का इल्जाम लगाया।

2014 से काबिज हैं केसीआर 
 वहीं कांग्रेस पार्टी तेलंगाना में एक बार फिर से अपना खोया जनाधार पाने के लिए खूब पसीना बहाया है। राज्य के बंटवारे के बाद हुए चुनाव के बाद से पार्टी सत्ता से बाहर है। तेलंगाना राज्य का गठन आधिकारिक तौर पर 2 जून 2014 को हुआ था। चुनावों के बाद कल्वाकुंतला चन्द्रशेखर राव को तेलंगाना के पहले मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया था, जिसमें भारत राष्ट्र समिति पार्टी ने बहुमत हासिल किया था। इसके बाद दिसंबर 2018 में दोबारा आए चुनाव परिणामों के बाद एक बार फिर से केसीआर मुख्यमंत्री बने थे। 


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तेलंगाना में सोनिया, राहुल व खरगे पार्टी के अन्य नेताओं के साथ

भारतीय जनता पार्टी ने पहले तेलंगाना में अपनी जमीनी पकड़ मजबूत करने के लिए जुलाई में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की थी। भाजपा की देखा-देखी कांग्रेस पार्टी ने भी तेलंगाना में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक बुलाई। साथ ही साथ सोनिया गांधी की हैदराबाद के पास तुक्कागुड़ा में एक बड़ी रैली भी कराई और इस दौरान कांग्रेस में महत्वपूर्ण घोषणाएं करके अपनी गारंटी को गिनाया। तेलंगाना में अपनी पार्टी की सरकार बनाने की कवायद में पसीना बहा रही कांग्रेस पार्टी को लग रहा है कि वह कर्नाटक में जिस तरह भाजपा को पछाड़कर सत्ता हासिल करने में सफल रही है। उसी तरह का जादू अबकी बार तेलंगाना में चलेगा और वह केसीआर की सरकार को उखाड़ फेंकेगी। इसीलिए राहुल गांधी ने लोगों को समझाने की कोशिश की कि जिस तरह कर्नाटक की कैबिनेट में पहली बैठक में गारंटी को पूरा करने की कोशिश की गयी थी, वही यहां भी किया जाएगा। 

ऐसा था 2018 का परिणाम
अगर 2018 के चुनावी आंकड़ों को देखा जाए तो 119 सीटों वाली विधानसभा में भारतीय राष्ट्र समिति के 88 सीटें जीती थी। जबकि टीडीपी व अन्य दलों से गठबंधन करके लड़ने वाली कांग्रेस (प्रजा कुटामी गठबंधन) को केवल 21 सीटें मिली थीं। वहीं ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के 7 विधायक जीते थे, जबकि भाजपा केवल 1 सीट ही जीत पायी थी। लेकिन कांग्रेस के कई विधायकों ने पार्टी से बगावत करके पाला बदल लिया और केसीआर के साथ खड़े हो गए। जिससे विधानसभा में कांग्रेस के विधायक कम हो गए थे। 

  कांग्रेस को बस इस बात का खतरा है कि अगर सत्ता-विरोधी वोटों का ध्रुवीकरण होगा तो इसका लाभ के. चंद्रशेखर राव उठा सकते हैं और लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठकर अपनी हैट्रिक पूरी कर सकते हैं। इसीलिए कांग्रेस को डर है कि भारतीय जनता पार्टी तेलंगाना में सत्ता विरोधी वोटों के बंटवारे की भरपूर कोशिश करेगी और इसीलिए कांग्रेस केसीआर के साथ-साथ ओवैसी व भाजपा को टारेगट कर रही है। ताकि सत्ता विरोधी वोटों के बिखराव कम कर सके। ताकि ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने में मदद मिले। 

 

भाजपा की 100 सीटों पर जब्त होगी जमानत
कांग्रेस पार्टी के नेताओं का दावा है कि भारतीय जनता पार्टी केवल हवाबाजी कर रही है और वह केसीआर की सरकार को टक्कर देने में असमर्थ है। कांग्रेस पार्टी ही तेलंगाना में बीआरएस का एक मजबूत विकल्प बन सकती है। इसीलिए 2023 के विधानसभा चुनाव में केसीआर सरकार को मजबूती के साथ टक्कर दे रही है। भारतीय जनता पार्टी के ऊपर आरोप लगाते हुए तेलंगाना कांग्रेस के अध्यक्ष रेवंत रेड्डी कहते हैं कि भाजपा ओवैसी को वोट कटवाने के लिए ही चुनाव लड़वाती है, लेकिन जनता अबकी बार उसको सबक सिखाएगी। आप देख लीजिएगा कि 119 सीटों में से भारतीय जनता पार्टी की कम से कम 100 सीटों पर जमानत जब्त होगी।

भाजपा ओवैसी को वोट कटवाने के लिए ही चुनाव लड़वाती है, लेकिन जनता अबकी बार उसको सबक सिखाएगी। आप देख लीजिएगा कि 119 सीटों में से भारतीय जनता पार्टी की कम से कम 100 सीटों पर जमानत जब्त होगी।

रेवंत रेड्डी, तेलंगाना कांग्रेस के अध्यक्ष

खरगे का दावा 
कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने मल्लिकार्जुन खरगे का कहना है कि हमारा घोषणापत्र हमारे लिए गीता, कुरान और बाइबिल जैसै है। उन्होंने कहा कि हमने कर्नाटक में कर दिखाया है और वैसा ही तेलंगाना में करेंगे। बसों में निशुल्क यात्रा योजना के कारण महिलाओं का आवागमन बढ़ा है। हम तेलंगाना को दी गई सभी छह गारंटी लागू करने वाले हैं। हमारी सरकार सभी छह गारंटियों को पहली कैबिनेट बैठक में पारित करके लोगों से किए गए वायदे को पूरा करेगी।