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उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती

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    राजेश मिश्र

    लखनऊ. गोरखपुर के एक होटल में ठहरे कानपुर के व्यवसायी की पुलिस (Police) द्वारा पीट पीट कर हत्या के मामले में योगी सरकार (Yogi Government) बुरी तरह से घिर गई है। विपक्ष, व्यापारी संगठनों से लेकर सामाजिक कार्यकर्ता तक सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। सबसे ज्यादा सवाल उन चहेते अधिकारियों पर उठ रहे हैं जिन्हें खुद मुख्यमंत्री की पसंद पर गोरखपुर में तैनात किया गया था।

    बताया जाता है कि गोरखपुर में सर्च आपरेशन के बहाने व्यवसायी के कमरे में घुसी पुलिस ने कारण पूंछे जाने पर बुरी तरह से पीटना शुरू कर दिया। पिटाई से आई चोटों के चलते मौत हो गई। व्यापारी के मौत की सूचना मिलने पर गोरखपुर पहुंचे परिजनों को स्थानीय पुलिस कप्तान और  जिलाधिकारी ने एफआईआर दर्ज न कराने के लिए दबाव डाला। इसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। तस्वीरों के जरिए ट्विटर पर न्याय मांग रही मृतक की पत्नी का अकाउंट भी सस्पेंड करवाने का राज्य सरकार के अधिकारियों पर आरोप है। 

    गुरुवार सुबह सपा  मुखिया अखिलेश यादव कानपुर में पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे। मामले की उच्च न्यायालय के वर्तमान जज से जांच की मांग के साथ उन्होंने परिवार को 20 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया।इससे पहले बुधवार शाम कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने मृतक व्यापारी की पत्नी से फोन पर बात की थी और हर मदद का भरोसा दिलाया था। अखिलेश यादव के कानपुर पहुंचने से पहले सपा कार्यकर्ताओं ने पुलिस पर मृतक व्यापारी की पत्नी को हटाकर अन्य ले जाने का आरोप लगाते हुए हंगामा भी किया। उधर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना की गंभीरता को देखते हुए दोषी पुलिसकर्मियों को जांच कर बर्खास्त करने के आदेश दिया है। गुरुवार शाम मुख्यमंत्री मृतक व्यापारी के परिजनों से लखनऊ में मुलाकात करेंगे और आर्थिक सहायता सहित अन्य मदद का ऐलान करेंगे।

    जिलाधिकारी एक भाजपा सांसद के रिश्तेदार हैं

    कानपुर में मृतक व्यापारी के परिजनों से मिलने पहुंचे सपा मुखिया अखिलेश यादव ने गोरखपुर के जिलाधिकारी और पुलिस कप्तान पर गंभीर आरोप लगाया है। उनका कहना है कि एसएसपी गोरखपुर विपिन ताडा पर अमरोहा में तैनाती के दौरान भाजपा के पक्ष में मतदान कराने का आरोप लगा था जबकि जिलाधिकारी एक भाजपा सांसद के रिश्तेदार हैं। जो वीडियो वायरल हुआ है उसमें दोनों अधिकारी पीड़ित परिवार पर एफआईआर न कराने का दबाव डालते दिखाई सुनाई पड़ रहे हैं। जानकारों का कहना है कि गोरखपुर में अफसरों की तैनाती केवल मुख्यमंत्री योगी की पसंद पर खूब ठोंक बजा कर की जाती है। 

    होटल कर्मचारी  थाने को सूचना देते हैं

    गोरखपुर में व्यापारी मनीष गुप्ता की पीट पीट कर हत्या के बाद पुलिस पर पैसा वसूली के लिए अक्सर होटलों में छापा मारकर कारोबारियों को धमकाने के आरोप लग रहे हैं। गोरखपुर के ही कुछ व्यापारियों का कहना है कि यहां दर्जनों ऐसे होटल हैं, जहां बड़े व्यापारी ठहरते हैं और तगादा आदि की वसूली में यदि किसी व्यापारी के पास 10 और  15 लाख की नगदी होती है तो होटल कर्मचारी संबंधित थाने को इसकी सूचना दे देते हैं। पुलिस वाले तलाशी के बहाने व्यापारी के कमरे में घुसते हैं और यह कहते हुए यह नंबर दो कि रकम है। हिस्सेदारी और  लूटपाट कर लेते हैं। मनीष गुप्ता के मामले में भी यही हुआ है। बदमाश की तलाशी के नाम पर केवल मनीष के कमरे में ही पुलिस वाले गए थे,किसी दूसरे कमरे की न तो उन्होंने तलाशी ली है और न ही वहां छानबीन की।