यूपी में खरीफ पर भारी पड़ा सूखा, बोआई प्रभावित, योगी ने दिए राहत के निर्देश

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    -राजेश मिश्र

    लखनऊ : उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में मौसम की बेरुखी धान की फसल पर भारी पड़ गयी है। मानसून (Monsoon) का आधे से ज्यादा सीजन बीत जाने के बाद भी प्रदेश में बीते सालों के मुकाबले 40 फीसदी से भी कम बारिश (Rain) हुयी है। धान उत्पादक तराई के जिलों में पानी की कमी से फलों के सूखने को लेकर गंभीर योगी सरकार (Yogi Government) ने दिशा निर्देश जारी किए हैं। 

    मॉनसून की बेरुखी, कम बारिश और कहीं-कहीं सूखे जैसे हालात के चलते हुए फसलों के नुकसान की भरपाई योगी आदित्‍यनाथ सरकार करेगी। मुख्यमंत्री ने किसानों को बड़ी राहत का ऐलान किया है और कहा है कि ट्यूबवेल की तकनीकी खराबी को हर हाल में 24 से 36 घंटे के भीतर ठीक किया जाए। बकाये के कारण किसानों के ट्यूबवेल बिजली कनेक्शन नहीं काटे जाएं। हालांकि मौसम विभाग अभी भी निराश नहीं है। मौसम विभाग के मुताबिक मॉनसून की विदाई में अभी डेढ़ महीने का वक्‍त बचा है और सितंबर के अंत में अच्‍छी बारिश होने की उम्‍मीद बनी हुई है। 

    19 जिलों में 40 फीसदी से भी कम हुई बारिश 

    गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में इस महीने के तीसरे सप्ताह तक केवल 284 मिलीमीटर पानी बरसा है। वहीं बीते साल इसी समय तक 504.10 मिमी तो 2020 में 520.30 मिमी बारिश हो गयी थी। इस तरह प्रदेश में सामान्य के मुकाबले करीब 40 फीसदी कम पानी बरसा है। पूरे प्रदेश में अकेले चित्रकूट जिले में ही सामान्य से 120 फीसदी से अधिक वर्षा हुयी है। प्रदेश के 33 जिलों में समानाय से 40 से 60 फीसदी तक पानी बरसा है। जबकि 19 जिलों में 40 फीसदी से भी कम बरसात हुई है। इनमें तराई के धान उत्पादक कई जिले शामिल हैं। 

    पानी कम होने से सूख रही हैं फसलें

    कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि सामान्य वर्षा न होने के चलते खरीफ फसलों की बोआई प्रभावित हुई है। प्रदेश में 19 जुलाई के बाद बारिश की हालात में सुधार के बाद बोआई तो तेज हुई है पर कम पानी के चलते फसलें सूख रही हैं। कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 20 अगस्त 96 लाख हेक्टेयर के लक्ष्य के सापेक्ष 93.22 लाख हेक्टेयर में बोआई का काम पूरा हो गया है। 

    राज्य स्तर का पोर्टल विकसित किया जाए

    उधर प्रदेश में सूखे की हालात की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा है कि काम बारिश के चलते धान की फसल पर बुरा असर पड़ने की आशंका है और इन हालात में सब्जी की खेती को प्रोत्साहित करना बेहतर विकल्प हो सकता है। उन्होंने कहा है कि किसानों को मौसम की सही जानकारी देने वाले राज्य स्तर का पोर्टल विकसित किया जाए और बाढ़ और सूखे की स्थिति पर नजर रखी जाए।