Photo: @narendramodi/Twitter
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    लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की योगी आदित्यनाथ सरकार (CM Yogi Adityanath Govt.) ने आगामी 10 वर्षों में 10 लाख करोड़ रुपए के अभूतपूर्व स्तर पर औद्योगिक निवेश (Industrial Investment) आकर्षित करने की योजना बनाई है। इस योजना के अंतर्गत, प्रदेश के जिलों के बीच और अन्य राज्यों से सड़क (Roads), वायु मार्गों से संपर्क को बेहतर और मजबूत करना, उच्च गुणवत्ता की औद्योगिक अवस्थापना सुविधाओं का विकास और वृहद औद्योगीकरण के लिए सभी व्यवस्थाएं सुलभ करने की योजनाएं शामिल हैं। 

    उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए 6.15 लाख करोड़ रुपए के विशाल बजट में प्रदेश में पहली बार अवस्थापना को सुदृढ़ करने के लिए राष्ट्रीय स्तर की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में उत्तर प्रदेश की बड़ी हिस्सेदारी होने जा रही है। इस बजट में 39181 करोड़ रुपए से अधिक की नई योजनाएं शामिल हैं।

    11 विभागों को चिन्हित किया गया 

     राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री द्वारा क्रियान्वित की गई गति शक्ति नैशनल मास्टर प्लान में उत्तर प्रदेश में पहले चरण में 16 विभाग और दूसरे चरण में 11 विभागों को चिन्हित किया गया है। गति शक्ति मास्टर प्लान में केन्द्र की प्रयागराज- वाराणसी-हल्दिया जलमार्ग, ईस्ट और वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर, मल्टी-मॉडल लाजिस्टिक्स और ट्रांसपोर्ट टर्मिनल, क्षेत्रीय रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम और दिल्ली-जेवर-वाराणसी हाई स्पीड रेल लिंक, डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर और जेवर में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा निर्माण की परियोजनाएं महत्वपूर्ण हैं। इनमें से कई परियोजनाएं आने वाले वर्षों में शुरू की जा रही हैं, जिसमे 2022-23 के बजट में मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी परियोजनाओं के लिए 897 करोड़ रुपए की व्यवस्था प्रस्तावित है। 

    अटल इंडस्ट्रियल इन्फ्रास्ट्रक्टचर मिशन का कार्यान्वयन होगा

    साथ ही इस क्षेत्र में संभावित बिजनेस पार्टनर्स के लिए उच्च गणवत्ता की औद्योगिक अवस्थापना सुविधाएं के विकास के लिए ‘अटल इंडस्ट्रियल इन्फ्रास्ट्रक्टचर मिशन’ का कार्यान्वयन किया जायेगा, जिसके प्रथम चरण के लिए 100 करोड़ रुपए की व्यवस्था प्रस्तावित है। इससे जुड़ी परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए फास्ट ट्रैक प्रोजेक्ट प्लानिंग का माध्यम अपनाया जाना है। 

     पूंजीगत परियोजनाओं के लिए बजट में 300 करोड़ रुपए की व्यवस्था 

    इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की दिशा में त्वरित संचार माध्यम की बड़ी भूमिका है और वर्तमान में उपलब्ध आप्टिकल फाईबर केबल नेटवर्क को सुदृढ़ करने के लिए पर पूंजीगत परियोजनाओं के लिए बजट में 300 करोड़ रुपए की व्यवस्था प्रस्तावित है। प्रदेश में सभी सेक्टर में डिजिटाईजेशन को बढ़ावा देने वाली पूंजीगत परियोजनाओं के लिए बजट में 200 करोड़ रुपए की व्यवस्था प्रस्तावित की गई है।औद्योगीकरण को तेजी देने के लिए सड़कों, औद्योगिक क्लस्टर की स्थापना, सूक्ष्म, लघु और माध्यम इकाइयों को प्रोत्साहन देने और प्रस्तावित अंतर-राष्ट्रीय हवाई अड्डों के निर्माण को तेजी देने के लिए भी धनराशि की व्यवस्था की गई है। गत 5 वर्षों में योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश को देश का शीर्ष एक्सप्रेस-वे राज्य बनाने की प्रतिबद्धता दोहराई है। इस परिकल्पना को साकार करने के लिए प्रदेश में एक्स्प्रेस-वे का संजाल बिछाया जा रहा है। 

    एक्सप्रेस-वे पर हो रहा तेजी से काम

    लखनऊ से गाजीपुर तक 340.824 किलोमीटर लम्बे 6 लेन के प्रवेश-नियंत्रित पूर्वाचल एक्सप्रेस-वे का संचालन नवम्बर 2021 से प्रारम्भ हो चुका है। गोरखपुर को पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे से जोड़े जाने के लिए निर्माणाधीन गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य 40 प्रतिशत से अधिक पूर्ण कर लिया गया है।  प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के चित्रकूट को इटावा जिले से जोड़ने वाली 296 किलोमीटर लंबी बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस-वे का 90 प्रतिशत से अधिक कार्य पूर्ण हो चुका है, जिसको शीघ्र जनसामान्य के लिए सुलभ करा दिया जाएगा। इस एक्सप्रेस-वे के साथ डिफेन्स कॉरिडोर परियोजनान्तर्गत 8640 करोड़ रुपए के 62 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं।  देश की सबसे लंबी एक्सप्रेस-वे मेरठ को प्रयागराज से जोड़ने वाले अति-महत्वाकांक्षी गंगा एक्सप्रेस-वे के लिए भूमि क्रय का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। यह एक्सप्रेस-वे 594 किलोमीटर लम्बी और 6 लेन की बनाई जाएगी और बजट में इसके लिए 695 करोड़ 34 लाख रुप‍ए की व्यवस्था प्रस्तावित है। इस एक्सप्रेस-वे में शाहजहांपुर में वायुसेना के विमानों की आपातकालीन लैंडिंग के लिए हवाई पट्टी बनाया जाना भी प्रस्तावित है।

    एक्सप्रेस-वे के किनारे इण्डस्ट्रियल कॉरिडोर विकसित करने का निर्णय

    लोक कल्याण संकल्प पत्र 2022 की भावना के अनुसार, राज्य सरकार द्वारा राज्य के सभी ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे के किनारे इण्डस्ट्रियल कॉरिडोर विकसित करने का निर्णय लिया गया है, और इसके लिए प्रथम चरण में 500 करोड़ रुपए की व्यवस्था प्रस्तावित है। औद्योगिक क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए योगी सरकार द्वारा लगातार पहल की जा रही है और प्रदेश में लगने वाली परियोजनाओं का भूमि पूजन शीघ्र ही प्रस्तावित है।