Nitish Kumar and Shafiqur Rahman Barq
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संभल. बिहार (Bihar) की नीतीश कुमार (Nitish Kumar) सरकार ने सोमवार को जातिगत जनगणना (Caste Census) के आंकड़े जारी कर दिए हैं। जिस पर अब राजनीति की शुरुआत हो गई है। बिहार सरकार की इस रिपोर्ट पर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क (Shafiqur Rahman Barq) ने आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि इस समय इन आंकड़ों की कोई जरूरत नहीं थी। नितीश कुमार ये सब अगले साल होने वाले चुनाव के लिए कर रहे हैं।

देश बेहतर प्रधानमंत्री चाहता है

शफीकुर्रहमान बर्क ने कहा, “इस समय इन आंकड़ों की क्या आवश्यकता थी? वे अगले साल चुनाव को देखते हुए ये गतिविधियां कर रहे हैं। देश सेवा, विकास, शिक्षा और बेहतर प्रधानमंत्री चाहता है। इनमें से कुछ भी वहां नहीं है। उनसे पूछा जाना चाहिए कि अगर आप देश चला रहे हैं तो आपने इसके विकास के लिए क्या किया है।”

क्या कहते हैं जातिगत जनगणना के आंकड़े

बिहार सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में 36% अत्यंत पिछड़ा, 27% पिछड़ा वर्ग, 19% से अधिक अनुसूचित जाति और 1.68% अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या बताई गई है। राज्य में सवर्णों की आबादी 15.52%, भूमिहार 2.86%, ब्राह्मण 3.66%, कुर्मी 2.87%, मुसहर 3%, यादव 14% और राजपूत 3.45% है।

बिहार की जनसंख्या 13 करोड़ से अधिक

बिहार की कुल आबादी 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार 310 है, जिसमें से 36% के साथ EBC सबसे बड़ा सामाजिक वर्ग है। इसके बाद OBC 27.13% हैं, जिसमें यादव समुदाय प्रदेश की कुल आबादी का 14.27% है। राज्य के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी इसी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। राज्य में जनसंख्या के मामले में यह समुदाय सबसे अधिक है।

गौरतलब है कि नितीश कुमार सरकार ने राज्य में जाति आधारित गणना का आदेश पिछले साल तब दिया गया था जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया था कि वह आम जनगणना के हिस्से के रूप अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा अन्य जातियों की गणना नहीं कर पाएगी।