Satish Mahana

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष सतीश महाना के कार्यकाल के दो वर्ष पूर्ण होने पर मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, विधायिका संसदीय लोकतंत्र की जीवन रेखा है। इधर कुछ वर्षों से यह अनुभव किया गया है कि विधायिका के संचालन में कतिपय कठिनाइयां उत्पन्न हो रही हैं, व्यवधान हो रहे हैं। लगभग सत्तर वर्षों के अनुभव के पश्चात् भारतीय लोकतंत्र की यह आवश्यकता है कि उसका सिंहावलोकन किया जाए। अध्यक्ष के रूप में कार्यभार ग्रहण करने के पश्चात् पिछले दो वर्षों में मैंने यह प्रयास किया है कि विधायिका का संचालन सुचारू रूप से हो एवं उसकी गरिमा बनी रहे। इस हेतु कतिपय कदम उठाये गये है। उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का इस संबंध में अतिशय सहयोग एवं मार्गदर्शन रहा है। हम उनके आभारी है। मुख्यमंत्री की प्रेरणा से भविष्य में भी हम विधायिका के उत्रयन का कार्य करते रहेंगे।

लगभग 70 वर्षों के अनुभव को आलोक में रखते हुए विधान सभा के सदस्य के रूप में जो मेरा अनुभव रहा है, उसके आधार पर संसदीय प्रक्रिया एवं कार्य संचालन के विषय में कतिपय प्रयोग पिछले दो वर्षों में इस उद्देश्य के साथ प्रारम्भ किए गए कि विधायिकाओं की गरिमा बनी रहे एवं उनका संचालन जनहित में संवैधानिक योजना के अनुरूप किया जाए। जनता के सहयोग से मैं पिछले लगभग तैंतीस वर्षों से लगातार इस माननीय सदन का सदस्य हूं। मुझे पक्ष में, विपक्ष में, विभिन्न समितियों में, मंत्री के रूप में एवं वर्तमान में अध्यक्ष के रूप में कार्य करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। इसी आधार पर उत्तर प्रदेश विधान सभा की प्रक्रिया एवं कार्य संचालन को पुनः विरचित किया गया।

पिछली बार यह वर्ष 1958 में विरचित की गई थी, परंतु एक लम्बे अंतराल के अनुभव के मध्य यह पाया गया कि नियमावली के कतिपय नियम उपयोगी नहीं रह गए हैं एवं संचालन हेतु प्रक्रिया में कतिपय विशिष्ट नियम जोड़े जाने चाहिए। इसके अतिरिक्त यह भी अनुभव किया गया कि कार्य संचालन एवं प्रक्रिया नियमावली की जटिल भाषा को सरल किया जाए, जिससे नवीन माननीय सदस्यों को नियमावली को आत्मसात करने में सुविधा हो। देश में यह पहला प्रयोग किया गया। उत्तर प्रदेश विधान सभा की प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियमावली को नए रूप में पुनः विरचित करते हुए वर्ष 2023 में सदन से अनुमोदित कराने के पश्चात् प्रकाशित कराया गया। इस हेतु विस्तृत परीक्षण एवं परिशीलन किया गया। एक उच्च स्तरीय समिति बनाई गई, जिसमें विधान सभा के प्रमुख सचिव के साथ विधायी, वित्त विभाग तथा संसदीय कार्य के निपुण विशेषज्ञों को रखा गया।

इस समिति द्वारा लगभग दो माह तक विस्तृत परीक्षण के पश्चात् एक प्रारूप प्रस्तुत किया गया, जिसको मैंने स्वयं तथा माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी द्वारा देखा गया एवं उसका परिशीलन किया गया। तत्पश्चात्, इस प्रारूप को नियम समिति के समक्ष रखा गया एवं नियम समिति के माननीय सदस्यों द्वारा अपने सुझाव रखे गए। अंतिम रूप से यह नियमावली सदन में दिनांक 11 अगस्त, 2023 को अनुमोदित की गई। पूरे देश की अन्य विधान सभाओं से भी इस संबंध में सूचनाएं मांगी जा रही हैं एवं अन्य विधान सभाएं भी इस दिशा में उत्तर प्रदेश विधान सभा के प्रयोग के पश्चात् कार्य करने की दिशा में योजना बना रही हैं। मैं समझता हूं कि पिछले दो वर्षों के कार्यकाल में विधान सभा की यह एक बड़ी उपलब्धि है कि सदन में कार्य संचालन एवं प्रक्रिया में वृहद् परिमार्जन करते हुए नए आयाम निर्मित किए गए हैं।

नियमावली के पुनर्निर्माण के अतिरिक्त कतिपय अन्य परम्पराएं भी सदन के संचालन के संबंध में परिवर्तित की गई हैं, जैसे कि प्रश्न प्रहर में अगर व्यवधान होता है तो उसको अपराह्न में भी लिया जा सकता है। प्रश्न और अनुपूरक प्रश्न की सीमा निर्धारित की गई, जिससे अधिक से अधिक प्रश्न सदन में लिए जा सकें। सदन के स्थगन के पंद्रह दिन पश्चात् ही प्रश्नों को स्वीकार किए जाने की नई व्यवस्था की गई है एवं इस हेतु सत्रावसान की प्रतीक्षा नहीं की जाएगी। इसके अतिरिक्त कतिपय अन्य महत्वपूर्ण संशोधन भी प्रक्रिया में किए गए हैं एवं नई परम्पराएं स्थापित की गई हैं, जिससे सदन का संचालन सुगमतापूर्वक हो सके एवं विधायिका की गरिमा को बनाए रखा जा सके एवं संविधान में निहित उद्देश्यों की पूर्ति हो सके।

सदन के माननीय सदस्यों को सदन की गतिविधियों में भाग लेने हेतु एवं स्तरीय संवाद करने हेतु प्रोत्साहित करने हेतु ‘उत्कृष्ट विधायक’ का एक पुरस्कार भी स्थापित किया गया है। आशा है कि इस व्यवस्था से सदन के जो माननीय सदस्यगण हैं, वह लाभ उठाएंगे एवं सदन की कार्यवाहियों में अधिक से अधिक भाग लेने का प्रयास करेंगे।

माननीय सदस्यों की सुविधा एवं सहयोग हेतु उत्तर प्रदेश विधान सभा के पुस्तकालय को अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित किया गया है एवं भविष्य की कार्ययोजना में इसको ई-लाइब्रेरी के रूप में परिवर्तित करने का प्रयास भी है। माननीय सदस्यों को इस हेतु प्रोत्साहित करने का प्रयास है कि वह पुस्तकालय का भी अधिक से अधिक प्रयोग करें एवं सदन में संवाद के स्तर को श्रेष्ठतर स्तर पर ले जाएं।

पिछले लगभग दो वर्षों में सदन के सदस्य के रूप में मेरा जो लगभग 35 वर्षों का अनुभव रहा है उसके आधार पर मैंने यह विनम्र प्रयास भी किया है कि सदन में सभी माननीय सदस्यों को समान अवसर मिले। विभिन्न राजनीतिक दलों के आपसी मतभेदों के पश्चात् भी माननीय सदस्यों के मध्य समन्वय बनाए जाने का प्रयास भी मेरे द्वारा किया गया जिसका यह प्रतिफल हुआ कि उत्तर प्रदेश विधान सभा की कार्यवाही बिना स्थगन के व्यवधान रहित रूप से संचालित हुई एवं बैठकें भी देर रात तक की गई, जिसमें माननीय सदस्यों ने भाग लिया। आगे भी मेरे यह प्रयास रहेगा कि विभिन्न राजनीतिक दलों के माननीय सदस्य अपने राजनीतिक मतभेदों के पश्चात् भी सदन का माहौल बनाए रखने में सहयोग करें जिससे जनहित में अधिक से अधिक मुद्दों के विषय में विचार हो सके।

विधान सभा को आधुनिक परिवेश के अनुसार नवीन स्वरूप प्रदान करने का प्रयास किया गया है। डिजिटल सुविधाओं का समावेश करते हुये सदन संचालन में ई-विधान व्यवस्था लागू कर नेवा में नये मॉड्यूल सक्रिय कर दिए गए हैं। ई-विधान के माध्यम से समस्त सूचनाएं, प्रश्न-उत्तर ऑनलाइन उपलब्ध हो रहे हैं। सदन का 80 प्रतिशत कार्य नेवा ऐप के माध्यम से संचालित किया जा रहा है।

इसी क्रम में विधान सभा की व्यवहृत कार्यवाहियों का डिजिटाइजेशन एवं डिजिटाइज्ड कार्यवाहियों को आम जनमानस को सुगमता से उपलब्ध कराने हेतु मोबाइल ऐप लांच किया गया है। यह ऐप सदस्यों के विशेष उपयोग हेतु निर्मित किया गया है।

विधान सभा सदस्यों के उपयोगार्थ उनके निर्वाचन क्षेत्रवार विभिन्न शैक्षणिक, सामाजिक, आर्थिक सूचनाएं डैशबोर्ड के माध्यम से उपलब्ध कराने हेतु विशिष्ट डैशबोर्ड तैयार किया जा रहा है। इस डैशबोर्ड के माध्यम से मा0 सदस्य लॉगिन कर निर्वाचन क्षेत्रवार/जनपदवार सूचनाएं प्राप्त कर जन आकांक्षाओं के अनुरूप सदन के माध्यम से आवश्यक सुझाव सरकार को दे सकेंगे।

विधान सभा के सदस्यों के क्षेत्रवार समूह यथा पूर्व क्षेत्र, मध्य क्षेत्र, पश्चिम क्षेत्र, बुंदेलखण्ड क्षेत्र बनाकर उनके साथ संवाद स्थापित करने का कार्य किया गया। उक्त संवाद के माध्यम से समस्त मा0 सदस्यों को अपने निर्वाचन क्षेत्र में आने वाली कठिनाइयों एवं क्षमताओं पर बोलने का अवसर प्रदान किया गया। स्वयं के एवं वरिष्ठ सदस्यों के अनुभव से क्षेत्र की समस्याओं के निराकरण के उपाय भी साझा किए गए।

विधान भवन की सुरक्षा व्यवस्था की संवदेनशीलता के दृष्टिगत यहां की सुरक्षा व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण किया गया है। इस क्रम में विधान सभा के समस्त प्रवेश द्वारों पर बूम बैरियर, रीडर्स, बैगेज स्कैनर्स, अण्डर व्हीकल्स स्कैनर, । विधान सभा मण्डप एवं उसके गलियारों में आधुनिक सीसीटीवी कैमरे स्थापित किए गए हैं। आगंतुकों के लिए विशिष्ट पास कार्यालय स्थापित किया गया है। 0 सदस्यों एवं उनके प्रतिनधियों के लिये आरएफ इनेब्लड आईडी कार्ड निर्गत किए गए हैं।

राजर्षि पुरूषोत्तम दास टण्डन हॉल का नवीनीकरण एवं सौन्दर्यीकरण करते हुये उसे सदस्यों के उपयोग हेतु सेण्ट्रल हॉल में परिवर्तित किया गया है। टण्डन हॉल में 350 इंच की स्क्रीन स्थापित की गई है, जिस पर सदन की कार्यवाही एवं अन्य महत्वपूर्ण गतिविधियां प्रदर्शित की जायेगी। प्रोजेक्शन मैपिंग के माध्यम से टण्डन हॉल की छत को विभिन्न डिजिटल स्वरूपों में परिवर्तित कर आकर्षक स्वरूप प्रदान किया गया है। विधायकों की बैठकों आदि हेतु स्वल्पाहार की व्यवस्था भी की गई है।

विधायी समितियों के सभापतियों के कार्यालय कक्ष का पुनरोद्धार कर आवश्यक सुविधायें प्रदान की गई हैं। द्वितीय तल के गलियारों को भी सुसज्जित किया गया है, जिससे विधायिका की गरिमा बनाई रखी जा सके।

विधान सभा सचिवालय में आधुनिक वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग कक्ष स्थापित किया गया है, जिसके माध्यम से प्रदेश स्तर की, राष्ट्रीय स्तर की एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर की वर्चुअल बैठकें की जा सकती हैं। इसमें आधुनिक स्क्रीन एवं साउण्ड सिस्टम स्थापित किया गया है।

विधान सभा में अवस्थापना सुविधाओं का सुदृढ़ीकरण किए जाने के क्रम में भारतीय जनता पार्टी विधान मण्डल दल कार्यालय सहित समस्त विधान मण्डल दल कार्यालयों का पुनरोद्धार किया गया है। सभी दलीय सदस्यों के बैठने के लिये मॉड्यूलर फर्नीचर स्थापित करते हुये कार्यालय कक्ष को आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित किया। समाजवादी पार्टी विधान मण्डल दल कार्यालय एवं नेता प्रतिपक्ष कार्यालय का भी विस्तार कर उच्च स्तरीय व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई हैं।

महिला सदस्यों के विश्राम कक्ष का पुनरूद्धार करते हुये उसे और अधिक आरामदायक एवं उपयोगी बनाया गया है। महिला सदस्यों के प्रयोगार्थ लॉकर की सुविधा प्रदान की गई है एवं उनके रिफ्रेशमेंट हेतु महिला विश्राम कक्ष में कॉफी मशीन भी स्थापित की गई है।

गाइडेड टूर की योजना प्रारम्भ की गयी है। आंगतुक को सदन एवं विधान सभा के ऐतिहासिक तथ्यों से अवगत कराया जा रहा है। डिजिटल म्यूजियम के माध्यम से विधान सभा के गौरवशाली इतिहास को प्रदर्शित किया जा रहा है। स्कूल/कॉलेज के छात्र-छात्राओं, पत्रकारगण, शोधार्थी एवं सदस्यगण द्वारा इसका उपयोग किया जा रहा है, जो कि अत्यंत शिक्षाप्रद है।

विधान सभा की गरिमा के अनुसार प्रथम तल पर डिजिटल कॉरीडोर का निर्माण किया गया है। समस्त सदस्यों के जीवन परिचय को उनकी तस्वीरों सहित ग्रॉफिक मॉनीटर सिस्टम के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है।

भविष्य की कार्य योजनाएं

लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिड़ला द्वारा उत्तर प्रदेश के माननीय अध्यक्ष सतीश महाना को समस्त राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की विधायिकाओं के माननीय सदस्यों के प्रबोधन एवं प्रशिक्षण हेतु नामित किया गया है। अतः उत्तर प्रदेश के माननीय अध्यक्ष द्वारा देश की सभी विधान सभाओं एवं केंद्र शासित प्रदेशों के माननीय विधायिकाओं को प्रबोधन देने एवं प्रशिक्षण प्रदान करने हेतु एक प्रारूप बनाया जाएगा एवं प्रबोधन प्रदान किया जाएगा। उत्तर प्रदेश के लिए यह गौरव की बात है कि यहां के माननीय अध्यक्ष को देश की समस्त विधायिकाओं के माननीय सदस्यों को प्रशिक्षण एवं प्रबोधन देने हेतु नामित किया गया है।

लोकसभा के अध्यक्ष एवं अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के सभापति ओम बिड़ला द्वारा उत्तर प्रदेश के माननीय अध्यक्ष सतीश महाना जी को अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में जो संस्तुतियां की गई हैं उनके पूरे देश में अनुसरण का दायित्व सौंपा गया है। तद्नुसार उत्तर प्रदेश के माननीय अध्यक्ष देश की समस्त विधान सभाओं में पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में लिये गये निर्णय के क्रियान्वयन के संबंध में अनुसरण करेंगे एवं समन्वय भी करेंगे। यह दायित्व राष्ट्रीय स्तर का है एवं संसदीय परिवेश में पीठासीन अधिकारियों द्वारा अनुमय की गई कठिनाइयों एवं उनके सुझाव के क्रम में पूरे देश में कार्य किए जाने का दायित्व उत्तर प्रदेश की विधान सभा के अध्यक्ष को सौंपा गया है। इस हेतु विशिष्ट कार्य योजना बनाई जाएगी।

विभिन्न विभागों के मंत्रीगणों एवं अधिकारियों के साथ सदस्यों का समूहवार संवाद कराया जाना प्रस्तावित है।

विभिन्न विधाओं के ज्ञाता यथा नामचीन चिकित्सक, इंजीनियर, विश्वविद्यालयों के कुलपति एवं प्रोफेसर, कॉरपोरेट समूह के प्रतिनिधियों के साथ सदस्यों का संवाद कराया जायेगा।

युवाओं का लोकतांत्रिक प्रणाली में विश्वास और मजबूत करने एवं उन्हें विधायिका के वास्तविक ज्ञान से रूबरू कराने के लिये युवा संसद का आयोजन किया जायेगा।

विधान सभा मण्डप के स्वरूप को और अधिक भव्यता प्रदान करने हेतु उसका नवीनीकरण किया जायेगा।

राजर्षि पुरूषोत्तम दास टण्डन हॉल में अभी तक के सभी विधान सभा अध्यक्षों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से परिचय कराने हेतु हेडफोन के माध्यम से डिजिटल कम्युनिकेशन सिस्टम की स्थापना की जायेगी। इसी प्रकार समस्त मुख्यमंत्रियों के जीवन परिचय से आम जनता को रूबरू कराने हेतु डिजिटल कम्युनिकेशन सिस्टम की स्थापना की जायेगी।

विधान सभा की कार्यवाही को विभिन्न भाषाओं में सुने जाने हेतु इंटरप्रिटेशन सिस्टम की स्थापना की जायेगी। इस क्रम में दर्शकदीर्घा एवं राज्यपाल दीर्घा में आने वाले अतिथियों को भी यह सुविधा प्राप्त होगी। वह हिन्दी भाषा के अतिरिक्त अन्य भाषाओं में भी कार्यवाही को सुन सकेंगे।

विधान सभा की विभिन्न समितियों के लिये एक हाईटेक बैठक कक्ष का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है।