लगातार संचारबंदी से शहर के व्यापारियों की कमर टूटी

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ठाणे. कोरोना के बढ़ते प्रकोप की गाज शहर के व्यापारियों पर गिर रही है. शहर में कोरोना का प्रभाव तेज गति से बढ़ रहा है, इसको देखते हुए मनपा प्रशासन ने दुबारा संचारबंदी लगाने का निर्णय लिया. लेकिन प्रशासन के इस निर्णय का असर कुछ भी इस महामारी पर नहीं पड़ा. लेकिन इस बंदी का व्यापारियों का नुकसान कर वायरस पर काबू पाने के लिए प्रशासन नाकाम रही. शहर में इस बंद का असर मात्र सड़कों पर आवागमन बंद रहता है. लेकिन प्रशासन तीन महीने से संचारबंदी के अलावा कोई ठोस उपाय योजना करने में असमर्थ है. केवल दुकानों को बंद कर यश लेने में जुटी है. शहर के व्यापारियों का कहना है कि दुकानों को बंद करने से इस भयानक बीमारी को रोकने में कामयाबी हासिल नहीं होगी. इस गंभीर विषय पर मनपा प्रशासन से विचार करने की मांग व्यापारियों ने की.

 पहले अनलॉक -1 के बाद किसी तरह व्यापरी पटरी पर आ रहे थे, लेकिन फिर से 2 जुलाई से 12 जुलाई और फिर अब 13 जुलाई से 19 जुलाई के बीच शुरू किये लॉकडाउन में अब कमर टूट चुकी है. शहर में आवश्यक वस्तुओं की दुकानों को छोड़कर लगभग सभी दुकानें बंद हैं. इन्हें लॉकडाउन खुलने का बेसब्री से इंतजार है. कपड़ा, ज्वैलरी, बर्तन, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, होम एप्लायंसेज, हार्डवेयर, पेंट, फर्नीचर, स्टेशनरी समेत कॉस्मेटिक, सैलून आदि सभी बिजनेस बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. ये सभी दुकानदार दो तरह से परेशानियां झेल रहे हैं. एक तो दुकानें बंद, ऊपर से स्टाफ और अपने महीने के खर्चे निकालने मुश्किल हो रहे हैं. 10 दिन बीतने के बाद अब 11 वे दिन फिर से 8 दिनों के लिए लॉकडाउन किये जाने से ठाणे के व्यापारियों का भी सब्र टूटने लगा है. करोड़ों का नुकसान होने की वजह से अब ठाणे के व्यापारी भी सरकार से कम से कम छोटे व्यापारियों को राहत देने की मांग करने लगे हैं.

लॉकडाउन करने पूर्व व्यापारियों को विश्वास में ले प्रशासन: पंकज जैन  

ठाणे के घोड़बंदर रोड ज्वैलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज जैन का कहना है कि पहले तक़रीबन तीन माह से सारे बाजार बंद थे. फिर से अनलॉक-1 में किसी तरह से व्यवसाय सम और विषम तारीख के अनुसार शुरू किया गया. लेकिन अब फिर से पहले 10 और फिर अब 6 दिन के लिए लॉकडाउन किये जाने से व्यापारियों के लिए सबसे बड़ी समस्या आ खड़ी हुई है. ऐसे में लॉकडाउन है, ऐसा प्रतीत ही नहीं हो रहा है क्योंकि दुकानों और कुछ प्रतिष्ठान को छोड़ दिया जाए सारे चींजें पहले जैसे ही चल रही हैं. प्रशासन को चाहिए की शहर के व्यापारियों को विश्वास में लेकर कोई निर्णय लें.  बार-बार लॉकडाउन किये जाने से व्यापारियों को अपने खर्चे पूरा करना है, जिसमें घर के खर्च के अलावा, स्टाफ की सैलरी, बिल, बच्चों की फीस आदि शामिल हैं. लॉकडाउन अगर आगे बढ़ता है तो व्यापारियों की परेशानी बढ़ सकती है. सरकार को चाहिए कि छोटे व्यापारियों के लिए भी कुछ राहत दी जाए.

कोरोना तो बाद में भुखमरी से पहले मरेंगे: मितेश शाह  

ठाणे शहर के नौपाड़ा व्यापारी एसोसिएशन के मितेश शाह का कहना है कि लॉकडाउन से पूरा बाजार प्रभावित हुआ है. खर्चे उठाने मुश्किल हो रहे हैं. कर्मचारियों के वेतन से लेकर दूसरे खर्चे पूरे करने भारी पड़ रहे हैं. आने वाला समय और भी मुश्किलें खड़ी कर सकता है. लॉकडाउन की वजह से छोटे व्यापारियों को बहुत नुकसान हुआ है. लेकिन उससे अधिक नुकसान दुकानों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में काम करने वाले गरीब मजदूरों को उठाना पड़ रहा है.

आज स्थिति बहुत ख़राब है. तक़रीबन 25 फीसदी कर्मचारी या तो काम छोड़कर भाग गए है या फिर उनके मालिकों द्वारा निकाल दिया गया है. यदि यही स्थिति रही तो आगामी दिनों में यह बढ़कर 50 से 60 फीसदी तक जा सकता है. राज्य सरकार भी ऐसे मजदूरों को राहत देने के कुछ कदम उठाती नजर नहीं आ रही है और न ही व्यापारियों के लिए राहत का पॅकेज ला रही है.  ऐसे में सरकार को चाहिए कि वे ऐसे व्यापारियों के बारे में जरूर सोचे. अगर लॉकडाउन फिर से बढ़ता है तो व्यापारियों के लिए भी घर चलाना मुश्किल होगा. यदि समय पर सरजर नहीं चेती तो कोरोना से तो व्यापारी और मजदूर बाद में मरेंगे, लेकिन भुखमरी से पहले दम तोड़ देंगे. इसलिए सरकार को इस पर गंभीरता से सोचना चाहिए.