केलकर ने टोल माफी की लगाई गुहार

Loading

  • सरकार ने माफ करने से किया इंकार 

ठाणे. 5 सालों तक सत्ता में रहने के बाद भी टोल माफ़ करा पाने में असमर्थ भाजपा विधायक संजय केलकर ने महाविकास आघाड़ी सरकार के पास टोल मुक्ति की मांग की है. हालांकि केलकर की इस मांग को आर्थिक अड़चन को सामने लाते हुए राज्य सरकार के संबधित विभाग ने साफ इंकार कर दिया है. वहीं भाजपा ने अब इस मुद्दे को लेकर आक्रामक भूमिका अख्तियार करने की तैयारी कर ली है. 

मुंबई में प्रवेश करने के लिए मुंबई, ठाणे और नवी मुंबई शहर के5 टोल नाकों से होकर जाना पड़ता है. जिसमें आनंदनगर, मॉडेला चेक नाका, दहिसर, ऐरोली और वाशी टोलनाकों का समावेश है. इन टोल नाकों पर टोल वसूली के लिए वाहनों को रोका जाता है. जिसके कारण वाहन चालकों को ट्रैफिक जाम की समस्या का सामना करना पड़ता है. 

शिवसेना भी कर चुकी है आंदोलन 

इन टोल नाकों को लेकर पिछले 5 सालों तक सत्ता में भागीदार रही शिवसेना भी टोल माफ़ी को लेकर आक्रामक थी, लेकिन उस दौरान भाजपा ने आर्थिक अड़चनों को आगे कर टोल माफ़ी से इंकार कर दिया था. अब ठीक वही भूमिका शिवसेना की महाविकास आघाडी ने अख्तियार कर रखा है. 

सरकार है मजबूर: शिंदे 

अब भाजपा ने उक्त मुद्दे को उठाया है. संजय केलकर ने इस संदर्भ में एक पत्र संबधित विभाग को दिया था और टोल माफ़ करने की मांग की थी. इसे संज्ञान में लेते हुए नगर विकास व सार्वजनिक निर्माण कार्य मंत्री एकनाथ शिंदे ने हाल में ही एक पत्र केलकर को भेजा है. जिसमें उन्होंने कहा है कि हल्के वाहनों की टोल में छूट देने के संदर्भ में आर्थिक और विधि मुद्दों की जांच के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की समिति गठित की गई थी. इस समिति ने 16 अप्रैल 2016 को सरकार को एक रिपोर्ट पेश की है. जिसमें इन पथ कर नाकों पर हल्के वाहनों को छूट देने के संदर्भ में कहा है कि यदि छूट दी गई तो संबधित ठेकेदार को 1653.36 करोड़ रुपए और पांच चरणों में दिया गया तो 2267.66 रुपए देना होगा. साथ ही यदि टोलनाकों को पूरी तरह बंद किया जाता है तो संबधित ठेकेदार को 2494.27 करोड़ रुपए और पांच चरणों में देने पर 3301.02 करोड़ रुपए की अदाएगी करनी होगी. वर्तमान समय में सरकार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और टोल मुक्ति संभव नहीं है. 

ठाणेकरों के साथ अन्याय : संजय

इस संदर्भ में भाजपा विधायक संजय केलकर का कहना है कि मुंबई प्रवेश द्वार पर टोल मुक्ति की मांग वाले निवेदन पर नौ महीने बाद उन्हें उत्तर मिला है. वह भी सरकार आर्थिक अड़चनों को आगे कर रही है. लेकिन वहीं दूसरी तरफ बारामती में कुछ करोड़ रुपए भरकर सरकार ने वहां के नागरिकों को टोल मुक्त कर दिया है. लेकिन ठाणेकरों के साथ अन्याय किया जा रहा है. साथ ही जिस नेता ने टोल मुक्ति के लिए आंदोलन किया अब वही टोल मुक्ति से पद मिलने के बाद इंकार कर रहा है. ऐसे में यह ठाणेकरों के साथ विश्वासघात है.