उल्हासनगर. उल्हासनगर महानगरपालिका (Ulhasnagar Municipal Corporation) क्षेत्र में बिल्डिंगों (Buildings) के स्लैब गिरने (Falling Slabs) की घटना रुकने का नाम ही नहीं ले रही है। स्लैब गिरने की घटना में जहां लोगों की जान जा रही है। वही शहर के लोग बड़े पैमाने पर बेघर व बेरोजगार हो रहे है। पिछले मंगलवार की शाम को देवऋषि अपार्टमेंट का स्लैब गिरने से 2 लोगों के जख्मी होने एवं रविवार को खाली हो चुकी मां भगवती अपार्टमेंट के अंदर का स्लैब गिरने से शहर की सबसे बड़ी धोखादायक बिल्डिंगों की समस्या एक बार फिर चर्चा में आ गई है। लोग अब अपना आशियाना कल्याण और अंबरनाथ में तलाशने पर मजबूर है।
उल्हासनगर में पिछले 25 साल में लगभग 50 इमारतों में हादसे हुए है। इनमें बिल्डिंग के पिल्लर का चटकना, बिल्डिंग का झुकना, स्लैब गिरना आदि कारण रहे है। हादसों में 60 से अधिक मौतें हुई है। शहर में सबसे पहले कैम्प क्रमांक 2 स्थित सोना मार्केट के पीछे एक इमारत गिरी थी। जिसमें 9 लोगों की दर्दनाक मृत्यु हुई थी। उसके बाद यह सिलसिला शुरू हुआ और इस साल के मानसून में इसकी पुनरावृत्ति हुई है। इन वारदातों में अब तक हजारों लोग बेघर और बेरोजगार हुए है।
शीशमहल अपार्टमेंट, मां भगवती, नीलकंठ, शिवसागर, रानी मां, महालक्ष्मी, शांति पैलेस, सनमुख सदन, स्वामी शांतिप्रकाश अपार्टमेंट, सोना मार्केट, गुडमैन कॉटेज, नेहरू पार्क, हमलोग अपार्टमेंट, पारसमणी, सिंधरी सागर, लक्ष्मीनारायण, आशीर्वाद मार्केट, माधुरी कॉम्प्लेक्स, मलिका महल, मुरलीवाला, सत्यम कॉम्प्लेक्स, साई आशाराम अपार्टमेंट, मेमसाब, मंदार अपार्टमेंट, साई एम्पायर, शिवलीला, नवचंद्रिका, अंबिका सागर अपार्टमेंट, महक अपार्टमेंट, ओम शिवगंगा सोसायटी, मोहिनी पैलेस, साईशक्ती अपार्टमेंट और अब देवऋषि बिल्डिंग भी इन इमारतों की सूची में शामिल हो गई है।
पिछले दो महीने में शहर की 3 बिल्डिंगो में एक जैसे हादसे हुए है। यह बिल्डिंगे 1994 -95 के दौरान बनी थी। तीनों के स्लैब गिरने की घटना में 12 लोग मारे गए है व 15 से अधिक लोग जख्मी हुए है। महानगरपालिका ने लगभग 1500 बिल्डिंगों को नोटिस देकर स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने के आदेश दिए है। पुरानी बिल्डिंगो का पुनर्विकास हो सके इसके लिए राज्य के नगरविकास व जिले के पालकमंत्री एकनाथ शिंदे ने मंत्रालय में उच्च स्तरीय बैठक का आयोजन किया था। उस बैठक में एक समिति बनाकर उसको 15 दिन में रिपोर्ट देने के आदेश दिए है। समिति द्वारा उल्हासनगर शहर की सबसे बड़ी पुनर्विकास कि समस्या का निराकरण करने के लिए अध्य्यन शुरू है। लेकिन जानकारी यह भी है कि उक्त समिति को रिपोर्ट देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया था। उसका कार्यकाल पूरा हो चुका है लेकिन अब तक राज्य सरकार के नगरविकास मंत्रालय को रिपोर्ट नहीं पहुंची है।