weekly market
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    बदलापुर. कोरोना (Corona) के तालाबंदी की मार अब किसानों (Farmers) को पड़ रही है। अंबरनाथ (Ambernath) , मुरबाड (Murbad), कल्याण तालुका (Kalyan Taluka) के ग्रामीण क्षेत्रों के किसान खुदरा बिक्री के लिए अंबरनाथ, बदलापुर, कल्याण और मुरबाड के बाजारों में घूम रहे है। साप्ताहिक बाजार (Weekly Market) बंद (Closed) होने से किसानों पर अपनी उपज व्यापारियों को कम कीमत पर बेचने का समय है। अगर खराब होने वाली कृषि उपज खुदरा बिक्री के लिए रखते है तो संक्रमण का खतरा और अगर व्यापारियों को दिया जाता है तो किसानों को वित्तीय नुकसान, ऐसी दुविधा किसानों के सामने है। इसलिए एक साल के बाद किसान फिर संकट में आ गया है।

    मार्च से कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर शुरू हो गई है। हालांकि आंशिक रूप की तालाबंदी पूर्ण तालाबंदी के करीब है। इसका झटका अब ठाणे जिले के अंबरनाथ, कल्याण और मुरबाड के किसानों पर पड़ रहा है। राज्य सरकार के कृषि विभाग ने पिछले कुछ महीनों में किसानों को सीधे कृषि उपज बेचने के लिए एक प्रणाली स्थापित की थी, इसलिए किसान व्यापारियों को बेचने के बजाय अपनी उपज सीधे उपभोक्ताओं को बेच रहे थे। साप्ताहिक बाजारों की अवधारणा को जिले के विभिन्न स्थानों पर सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। 

    किसानों में भय का माहौल

    अकेले बदलापुर शहर में आठ स्थानों पर साप्ताहिक बाजार लग रहे थे, यह 10 से 12 किसानों के समूह के लिए एक बड़ा लाभ था। अपने खेत की उपज के साथ किसान वाल, मूंग, पापड़, मसाले, दूध, चीकू आदि भी बेचते है। इससे उपभोक्ताओं और किसानों को आर्थिक रूप से भी फायदा हो रहा था, लेकिन कल्याण, बदलापुर और अंबरनाथ में कोरोना रोगियों की संख्या में वृद्धि के कारण किसानों में भय का माहौल है। अप्रैल महीने में  अंबरनाथ व मुरबाड तहसील में  ककडी, करेला, लौकी  की पैदावार बड़े पैमाने पर होती है, छोटे किसान अपने माल को लेकर कल्याण मंडी पहुंचते है तथा कुछ अंबरनाथ, बदलापुर व उल्हासनगर पहुंचते है, लेकिन लॉकडाउन से यह भी प्रभावित हो रहे है।पहले दस-बारह किसान एक साथ टेम्पो में शहर आते थे जो उन्हें काफी सस्ता पड़ता था।

    करोना के मरीज शहरी भाग में अधिक बढ़ रहे है, इस कारण ग्रामीण का किसान वहां जाने से कतराता है। कोरोना के कारण शुरू लॉकडाउन से किसान प्रभावित न हो इसलिए किसानों की सुविधा के लिए सामुहिक बिक्री के लिए कृषि विभाग प्रयत्नशील है। जिसकी व्यवस्था जल्द करने की कोशिश जारी है।

    -सचिन तोरवे, कृषि सहायक, अंबरनाथ