कोरोना से जान गंवाने वालों को 4 कंधे भी नहीं हो रहे नसीब

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राजीत यादव 

नवी मुंबई. लोगों के दिल में कोरोना का खौफ इस तरह घर बना चुका है कि अब लोग इस बीमारी से जान गवाने वाले अपनों की अर्थी को चाह कर भी कांधा देने से डर रहे हैं. जिसकी वजह से कोरोना से जान गवाने वालों को अब चार कंधे भी नसीब नहीं हो रहे हैं. इस बीमारी से जान गंवाने वालों का अंतिम संस्कार अब लावारिस लाशों की तरह हो रहा है.   

   गौरतलब है कि कोरोना से जान गवाने वालों का शव पहले मनपा के द्वारा उनके परिजनों को नहीं सौंपा जा रहा था. ऐसे मृतकों का अंतिम संस्कार मनपा के द्वारा ही किया जा रहा था. जिसके बारे में मृतकों के परिजनों ने मनपा प्रशासन के सामने अपनी वेदनाओं को व्यक्त किया था. जिसके बाद मनपा प्रशासन ने कोरोना से जान गवांने वालों के शव को उनके परिजनों को सौंपने का काम शुरू किया. इसके साथ ही सुरक्षा के लिहाज से मनपा मृतकों के परिजनों को अंतिम संस्कार में शामिल होने वाले 5 लोगों को पीपीई किट्स मुहैया करा रही है.

अर्थी की बजाय स्ट्रेचर पर जा रहे शव

कोरोना से जान गंवाने वालों के लिए अब अर्थी नहीं बनाई जाती है. अब उनके शव को स्ट्रेचर पर रखकर एंबुलेंस में डाल कर सीधे श्मशान भूमि अथवा दफन भूमि भेज दिया जाता है. जहां पर स्ट्रेचर से शव को उतार कर उसका अंतिम संस्कार किया जाता है. इस दौरान मृतक के घर के गिने-चुने 4 या 5 लोग ही वहां पर उपस्थित होते हैं. ऐसे समय में संवेदना व्यक्त करने वालों का काम अब मोबाइल और व्हाट्सएप पर तक ही सीमित रह गया है. कोरोना के खौफ से अब लोग मृतक के घर संवेदना व्यक्त करने नहीं जा रहे हैं.

पूरा परिवार कोरोना ग्रस्त

ऐरोली के सेक्टर-7 में रहने वाले एक परिवार के सभी सदस्य पॉजिटिव पाए गए. जिन्हें उपचार के लिए ऐरोली की एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 3 अगस्त को इस परिवार के 85 साल के बुजुर्ग ने कोरोना की वजह से दम तोड़ दिया. घर के अन्य लोगों के अस्पताल में भर्ती होने की वजह से उनकी अनुमति लेकर ऐरोली विभाग के शिवसेना विभाग प्रमुख सुरेश भिलारे अपने साथियों के सहयोग से इस बुजुर्ग का अंतिम संस्कार किया.