ज़रूर घूमें बिहार का खूबसूरत राज्य सीतामढ़ी

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सीतामढ़ी, भारत गणराज्य के बिहार प्रांत के तिरहुत प्रमंडल में स्थित एक शहर एवं जिला है। यह शहर मां सीता की प्राकट्य स्थली के रूप में भी जाना जाता है। यह शहर काफ़ी प्रसिद्ध होने के कारण यहां पूरे साल श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है। रामनवमी हो या विवाह पंचमी मेला, दूर-दूर से लोगों की भीड़ इस शहर को देखने आती है। इस शहर में काफी अच्छे-अच्छे पर्यटक स्थल हैं। अब आईए जानते हैं इस शहर के कुछ प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों के बारे में:-

श्रीराम महाकतु स्तंभ:-
श्रीराम महाकतु स्तंभ 85 स्तंभों में से एक है। इसकी स्थापना तत्कालीन संत त्रिदण्डी रामानुज ने 1 फरवरी 1967 में की थी। स्तंभ के चारों तरफ संगमरमर की पट्टिकाओं पर मूल रामायण व राम मंत्र लिखा हुआ है। स्तंभ भीतर से पूरी तरह खोखला है। स्तम्भ के पूर्व दिशा में शीर्ष पर एक फीट लंबा-चौड़ा छिद्र छोड़ा गया है। यह जगह सीतामढ़ी शहर के प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों में से एक है।

सीता कुंड:-
सीतामढ़ी से पांच किलोमीटर दूर पुनौरा गांव स्थित यह जगह पर्यटकों के लिए काफी आकर्षण का केंद्र है। यह माना जाता है कि सीताकुंड मंदिर परिसर में ही सीता माता ने अग्नि परीक्षा दी थी और अपनी पवित्रता सिद्ध की थी। धार्मिक मान्यता के अनुसार, अग्नि परीक्षा स्थल पर ही सीताकुंड की उत्पती हुई थी, जहां से आज भी गर्म जल प्रवाहित हो रहा है।सीताकुंड के जल की जांच समय-समय पर वैज्ञानिकों ने भी लेकिन आज तक पता नहीं चल सका कि सीताकुंड का जल इतना गर्म क्यों रहता है। बताया जाता है कि इस कुंड की लंबाई और चौड़ाई 20 फीट है जबकि कुंड 12 फीट गहरा है। इसी कारण यह स्थान पर्यटकों के लिए आकर्षण केंद्र बन जाता है।

जानकी स्थान मंदिर:-
सीतामढ़ी शहर से पांच किलोमीटर पश्चिम में पुनौरा गांव में भव्य जानकी मंदिर है। ऐसा माना जाता है कि सीता माता का जन्म इसी स्थान पर हुआ था। जानकी मंदिर में भगवान श्रीराम, देवी सीता और लक्ष्मण की मूर्तियां हैं। पुनौरा धाम में मंदिर के पीछे जानकी कुंड के नाम से एक सरोवर है। इस सरोवर को लेकर ऐसा माना जाता है कि इसमें स्नान करने से संतान प्राप्ति होती है। 

हलेश्वर स्थान:-
यह  सीतामढ़ी से 3 किमी उत्तर-पश्चिम में स्थित है। इसकी स्थापना काफ़ी प्राचीन समय में हुई थी। यह एक भगवान शिव का मंदिर है जिसे बालेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है। कहते हैं कि मिथिला राजा जनक जो रामायण के अनुसार सीता के पिता थे, ने इस शिव मंदिर का निर्माण किया था। पवित्र स्थान पर पत्थर शिवलिंग को मूल छवि माना जाता है जिसके द्वारा राजा ने भगवान शिव को बुलाया।