मथुरा: कोर्ट ने स्वीकार की ‘श्रीकृष्ण विराजमान’ की अपील, 18 नवंबर को अगली सुनवाई

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मथुरा. श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर में स्थित शाही ईदगाह मस्जिद को हटाकर उक्त भूमि वापस उसके मालिक श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट को सौंपे जाने के अनुरोध वाली जिला न्यायाधीश की अदालत में दाखिल की गई याचिका शुक्रवार को सुनवाई के लिए मंजूर कर ली गई है।

अगली सुनवाई तक फैसला सुरक्षित

लखनऊ निवासी अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री और छह अन्य लोगों ने सोमवार को जिला न्यायाधीश साधना ठाकुर की अदालत में यह याचिका सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता हरीशंकर जैन और विष्णु जैन के माध्यम से दाखिल की थी। इस पर सुनवाई करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया है।

इससे पहले ख़ारिज हुई थी याचिका 

अधिवक्ता जैन ने बताया, ‘‘जब हम लोगों ने इस संबंध में एक याचिका मथुरा के ही दिवानी न्यायाधीश (प्रवर वर्ग) की अदालत में 25 सितम्बर को दाखिल की तो वहां प्रभारी दिवानी न्यायाधीश (अपर जिला एवं त्वरित न्यायालय संख्या दो) ने 30 सितम्बर को दिए फैसले में इस तर्क के साथ याचिका खारिज कर दी कि याचिकाकर्ता न तो उक्त ट्रस्ट का सदस्य है और न ही मामले में किसी पक्ष से संबंधित है।’’

उन्होंने बताया कि उसके विरूद्ध याचिकाकर्ताओं ने अपील की जिस पर फैसला देते हुए जिला न्यायाधीश ने उनकी याचिका मंज़ूर कर ली और अगली सुनवाई के लिए 18 नवम्बर की तिथि भी सुनिश्चित कर दी।

क्या है मामला?

1951 में श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट बनाकर यह तय किया गया कि वहां दोबारा भव्य मंदिर का निर्माण होगा और ट्रस्ट उसका प्रबंधन करेगा। इसके बाद 1958 में श्रीकृष्ण जन्म स्थान सेवा संघ नाम की संस्था का गठन किया गया था। कानूनी तौर पर इस संस्था को जमीन पर मालिकाना हक हासिल नहीं था, लेकिन इसने ट्रस्ट के लिए तय सारी भूमिकाएं निभानी शुरू कर दीं।

1968 में हुआ था समझौता?

साल 1958 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ने इस ज़मीन पर मालिकाना हक न होने के बावजूद कई तरह के फैसले शुरू किए। 1964 में पूरी ज़मीन पर नियंत्रण के लिए सिविल केस दायर करने के बाद इस संस्था ने खुद ही मुस्लिम पक्ष के साथ समझौता कर लिया था। समझौते के तहत दोनों पक्षों ने अपने हिस्से की कुछ ज़मीन एक दूसरे को सौंप दी। अब जिस जगह मस्जिद है, वह जन्मस्थान ट्रस्ट के नाम पर है।   

13.37 एकड़ जमीन का मांगा मालिकाना हक 

श्रीकृष्ण जन्मभूमि व शाही ईदगाह मस्जिद 13.37 एकड़ में बनी हुई है। इसमें 10.50 एकड़ भूमि पर वर्तमान में श्रीकृष्ण विराजमान का कब्जा है। लेकिन, याचिकाकर्ता ने पूरी जमीन पर मालिकाना हक मांगा है।

पहले कब पहुंचा था कोर्ट में मामला?

इससे पहले मथुरा के सिविल जज की अदालत में एक और वाद दाखिल हुआ था जिसे श्रीकृष्‍ण जन्‍म सेवा संस्‍थान और ट्रस्‍ट के बीच समझौते के आधार पर बंद कर दिया गया। 20 जुलाई 1973 को इस संबंध में कोर्ट ने एक निर्णय दिया था।