Dr Aarti Lalchandani

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प्रयागराज. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार के वकील को यह बताने के लिए 20 जुलाई तक की मोहलत दी कि तबलीगी जमातियों और मुस्लिमों के खिलाफ कथित टिप्पणी करने वाली जीएसवीएम मेडिकल कालेज, कानपुर की पूर्व प्रधानाचार्य डाक्टर आरती लालचंदानी के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई। मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति एसडी सिंह की पीठ ने नयी दिल्ली स्थित अनुसंधान एवं नीति फोरम इंडियन मुस्लिम फॉर प्रोग्रेस एंड रिफॉर्म्स (आईएमपीएआर) द्वारा दायर की गयी एक जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया और इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 20 जुलाई तय की।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस साल जून में सोशल मीडिया में एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें डाक्टर आरती मुस्लिमों के खिलाफ बोल रही थीं, यह एक सरकारी कर्मचारी और एक डाक्टर की तरफ से गलत आचरण है। याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी, “आरती एक मेडिकल कालेज की प्रधानाचार्या और एक वरिष्ठ सरकारी सेवक हैं तथा उनके विचार से उनके मातहत काम कर रहे डाक्टर और चिकित्सा पेशेवर प्रभावित हो सकते हैं।

इस तरह की सांप्रदायिक टिप्पणी स्पष्ट रूप से उनकी ओर से अपनाया गया गलत आचरण है, लेकिन राज्य सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करने से बच रही है।” राज्य सरकार के वकील ने अदालत से कुछ मोहलत मांगी ताकि वह आरती के खिलाफ की गई कार्रवाई से अदालत को अवगत करा सकें।

वीडियो में कानपुर स्थित गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल मेडिकल कालेज की प्रधानाचार्य डाक्टर आरती लालचंदानी को एक अस्पताल में कोरोना वायरस का इलाज करा रहे मुस्लिमों को आतंकी कहते हुए और उन्हें जेल में डाले जाने लायक कहते हुए सुना गया। इस वीडियो के वायरल होने के बाद डाक्टर आरती को तबादला हो गया और उन्हें चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया। (एजेंसी)