गंगा में शव मिलने का यह पहला मौका नहीं, 2015 में भी मिले थे 100 शव

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    लखनऊ: देश में शुरू कोरोना संकट (Corona Crisis) के बीच उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) और बिहार (Bihar) में गंगा नदी में सैकड़ो शव मिलने से केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) विपक्षी दलों के निशाने पर आ गए हैं। कांग्रेस (Congress) सहित तमाम दल लगातार राज्य और केंद्र की सरकार पर हमलावर है। वहीं मीडिया भी लगातार सरकार और प्रशासन पर सवाल उठा रही है। 

    गौर करनेवाली बात यह है कि यह पहला मौका नहीं है जब गंगा में इतनी बड़ी संख्या में शव मिले हैं। 2015 में भी 100 से ज्यादा शव उन्नाव और कानपुर के बीच गंगा नदी में मिले थे। उस समय न देश में कोरोना महामारी थी और न ही ऐसे रोजाना मौतें हो रही थी। 

    शव प्रवाह था कारण 

    एक साथ इतनी बड़ी संख्या में शव मिलने के बाद सरकार ने मामले की जांच के आदेश दिए थे। जांच के बाद उस समय दोनों जिलों के तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ने अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी थी। जिसमें उन्होंने बताया था कि, इन क्षेत्रों में शव प्रवाह की मान्यता है। जिसके कारण लोग मृत देह को पानी में बहा देते हैं। 

    उस समय के उन्नाव के उप-मंडल मजिस्ट्रेट सरयू प्रसाद ने कहा, “केंद्र सरकार नमामि गंगे अभियान चला रही है। जिसके तहत गंगा में आने वाले पानी  को कम कर दिया गया। पानी का प्रवाह कम होते ही शव ऊपर तैरने लगे हैं।”

    दाह संस्कार को नहीं मानते शुभ 

    गंगा के साथ यमुना में भी लगातार शव मिल रहे हैं। नौ मई को हमीरपुर जिले के मुख्यालय बहने वाली यमुना नदी में आठ शव मिले। शवों की जानकारी मिलते ही पुलिस अधिकारी और नायब तहसीलदार मौके स्थल पर पहुंचे। वहीं इस मामले पर एएसपी अनूप कुमार ने बताया, “जो शव हमें मिले हैं, उन्हें दाह संस्कार के बाद प्रवाहित किया गया है।” 

    वहीं जेल प्रहरी राजेंद्र सिंह ने बताया कि, बीते बुधवार से पंचांग चल रहा है। इस दौरान ग्रामीण दाह संस्कार करना सही नहीं मानते हैं और वह  नदी में चोरी छुपे जल प्रवाह कर जाते हैं। जिसके कारण नदियों में अधिक मात्रा में शव दिखाई दे रहे हैं। 

    गौरतलब है कि, पिछले कई दिनों से बिहार और उत्तर प्रदेश में गंगा किनारे बड़ी संख्या में शव मिल रहे हैं। यूपी के रायबरेली, उन्नाव,गाजीपुर और वाराणसी। वहीं बिहार के बक्सर जिलमे बड़ी संख्या में लाशें मिली थी। लाशों के मिलने के बाद पूरे देश और मीडिया में इसको लेकर लगातार सरकारों पर सवाल उठाया जा रहा है।