गजब! एक जगह जहां होती है हीरों की बारिश, लेकिन आप नहीं ले सकते एक भी हिरा

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नई दिल्ली: भला हीरे की चाह किसी को भी होगी, हिरा दिखने में जितना आकर्षित होता है उतना ही महंगा भी होता है, यही वजह है कि  उसे हर कोई नहीं खरीद पाता। जैसा की हम सब जानते है अंतरिक्ष में कई रहस्यमयी चीजें हैं। जिसके बारे में समय-समय पर रहस्यमयी जानकारियां सामने आती रहती हैं।

आज हम आपको एक ऐसे ही खास ग्रह के बारे में बताने जा रहे हैं। वरुण (नेपच्यून) भी इन्हीं ग्रहों में से एक है। वरुण ग्रह पृथ्वी से बहुत दूर है और इतना ही नहीं बल्कि इसे सबसे खतरनाक ग्रह माना जाता है। क्योंकि यहां का तापमान शून्य से 200 डिग्री सेल्सियस तक नीचे रहता है। लेकिन आज हम इसकी एक ऐसी खत बात बताने जा रहे है जिसके बारे में जान कर आप भी दंग रह जाएंगे।  

जी हां आपको जानकर हैरानी होगी कि इस तापमान पर इंसान इतना जम जाएगा कि वह पत्थर की तरह टूट जाएगा। वरुण हमारी आकाशगंगा का पहला ग्रह है जिसके अस्तित्व की भविष्यवाणी बिना देखे गणित के माध्यम से की गई थी। बाद में उसी आधार पर उसकी तलाश की गई। ऐसा तब हुआ जब वरुण की कक्षा में कुछ गड़बड़ी हो गई। इसका मतलब था कि कोई अज्ञात ग्रह इस पर अपना गुरुत्वाकर्षण प्रभाव डाल रहा होगा

वरुण को पहली बार 23 सितंबर 1846 को दूरबीन के माध्यम से देखा गया था और इसे नेपच्यून नाम दिया गया था। नेपच्यून समुद्र का एक प्राचीन रोमन देवता था। इसीलिए इस ग्रह को हिंदी में वरुण कहा जाता है। रोमन धर्म में, त्रिशूल देवता नेपच्यून के पास था। अतः वरुण का खगोलीय चिह्न ♆ है। वरुण पर मीथेन गैस के बादल जमा हैं और वायु का वेग अन्य ग्रहों की तुलना में बहुत अधिक है। यहां मीथेन के सुपरसोनिक प्रवाह को रोकने वाला कोई नहीं है। अत: यहां हवा की गति 1500 मील प्रति घंटा तक पहुंच जाती है। 

चूंकि वरुण ग्रह के वातावरण में कार्बन है, इसलिए यहां हीरों की बारिश भी होती है। अगर इंसान इस ग्रह पर पहुंच भी जाए तो भी वह हीरे नहीं ले पाएगा। क्योंकि यहां इतनी ठंड होगी कि इंसान तुरंत जम जाएगा। इसलिए यह हिरे लोगों के काम आना असंभव है यही नहीं बल्कि यह मनुष्य का जाना भी असंभव ही है।