(Image-Instagram/@ecomaximus)
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    नई दिल्ली: इंसान चाहे तो कुछ भी वेस्ट नहीं जाने दे सकता, जी हां जहां पूरी दुनिया में पेपर बनाने के लिए पेड़ों की कटाई हो रही है, इस वजह से पर्यावरण को हानि हो रही है।  लेकिन श्रीलंका ने पेड़ों के सरक्षण के लिए एक नया कदम उठाया है। जी हां उन्होने पेपर बनाने के लिए पेड़ों का नहीं बल्कि हाथी के गोबर का इस्तेमाल किया है। जी हां श्रीलंका में एक शख्स हाथी (Paper made from Elephant dung in Sri Lanka) के मल से पेपर बनाने का काम कर रहा है और  इतना ही नहीं बल्कि उसके पेपर 30 देशों में कॉपी-किताबों का रूप देकर बेचे जा रहे हैं। आइए जानते है क्या है इसकी प्रक्रिया… 

    बता दें कि श्रीलंका के रहने वाले थुसिथा रानासिंघे (Thusitha Ranasinghe) और उनके परिवार की 3 पुश्तें पेपर बिजनेस से जुड़ी हुई हैं। मगर 24 साल पहले थुसिथा को एक गजब का आइडिया सूझा जिसने उनके बिजनेस को और ज्यादा बढ़ा दिया। रिपोर्ट्स के अनुसार साल 1996-1997 में थुसिथा ने हाथियों के मल से पेपर (How is paper made from elephant poop) बनाने का प्लान बनाया। जो बेहद सफल रहा। 

    ऐसे आया अनोखा आइडिया

    दरअसल ‘द क्रिश्चियन साइंस मॉनिटर’ वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार श्रीलंका में 2500 से 4000 तक हाथी हैं इसलिए हाथी के मल की देश में कोई कमी नहीं है। जी हां और इसलिए हाथी का मल आसानी से यहां-वहां पड़ा मिल जाता है। बता दें कि हाथियों के मल में काफी मात्रा में फाइबर होता है जिससे पेपर आसानी से बन जाता है। शुरुआत में तो लोगों ने मल से पेपर बनने के बिजनेस पर आपत्ति जताई मगर जब इस बिजनेस ने ग्रामीण और गरीब लोगों को नौकरी देना शुरू किया तो फिर लोगों ने भी इसे अपना लिया।  अब यह बिजनेस बहुत अच्छे से चल रहा है।

    (Image-Instagram/@ecomaximus)

    जानें कैसे बनता है पेपर

    आपको बता दें कि थुसिथा ने 1997 में ईको मैक्सिमस (Eco Maximus) नाम की कंपनी को 7 लोगों के साथ मिलकर शुरू किया था और इसके लिए उन्होंने एक छोटी सी फैक्ट्री लगाई थी। अब इस कंपनी के 120 कर्मचारी हैं जो देश के अलग-अलग लोकेशन से काम कर रहे हैं। कंपनी मिलेनियम एलिफैंट फाउंडेशन से मल जुटाती है जो एक गैर सरकारी संस्था है जहां हाथियों की देखभाल की जाती है। बता दें कि हर दिन कंपनी के पास चारी गाड़ी भरकर मल आता है जिसे फिर प्रोसेस किया जाता है। मल और रिसाइकल पेपर को उबाला जाता है जिससे मल में बैक्टीरिया मर जाएं और पल्प तैयार हो जाए। 

    30 देशों में बेचा जाता है पेपर 

    फिर एक गाढ़ा पदार्थ बनता है जिसमें 50 फीसदी गोबर और 50 फीसदी रिसाइकल पेपर होता है। पानी से भरी बड़ी स्क्रीन में इस पदार्थ को डाला जाता है जिसे पेपर की एक पतली परत बनकर निकलती है। इसे फिर सुखाने के बाद बंडल बनाया जाता है और प्रेस कर के ज्यादा पानी को निकाल दिया जाता है।  इसके बाद इसे कॉपी और किताबों की शक्ल दी जाती है और मार्केट में बिकने के लिए भेज दिया जाता है। जी हां आपको जानकर हैरानी होगी कि ये कागज 30 देशों में बेचा जा रहा है।