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Pic: Social Media

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    नई दिल्ली. आपने अब तक तो 1 रुपये से लेकर 2 हजार रुपये तक के नोट जरुर देखें होंगे। लेकिन अब आप एक ऐसे नोट के बारे में जानिए, जिस पर छपा था ‘जीरो’। जी हाँ हमारे देश में जीरो रुपये का नोट भी छपा था? आइए जानते हैं क्या है इस नोट की पूरी कहानी।

    क्यों छपा था जीरो का नोट?

    इस जीरो रुपये के नोट पर भी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तस्वीर छापी गई है। यह बिल्कुल दूसरे नोटों की तरह दिखाई देता है। लेकिन अहम् बात ये कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने इन नोटों को नहीं छापा था। इस नोट को भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मुहिम के तहत छापा गया था। 

    दरअसल इस जीरो रुपये के नोट को छापने का आईडिया दक्षिण भारत की एक NGO का था। जी हां, साल 2007 में भ्रष्टाचार के खिलाफ इस नोट को हथियार के रूप में शुरू किया गया था। वहीं तमिलनाडु में काम करने वाली इस NGO ने करीब 5 लाख जीरो रुपये के नोट छापे थे। इन नोटों को हिंदी, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम चार भाषाओं में छापा गया था जिसे लोगों में भी बांटा गया था। 

    नोटों पर था एक खास मैसेज

    इतना ही नहीं, इस नोट पर भ्रष्टाचार के खिलाफ कई मैसेज लिखे थे। इन नोट पर लिखा था, ‘भ्रष्टाचार खत्म करो’, ‘अगर कोई घूस मांगता है, तो इस नोट को दें और मामले के बारे में हमको तुरंत ही बताएं। ना लेने की और ना देने की कसम खाते हैं। इस नोट पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और नोट पर नीचे NGO का फोन नंबर और ईमेल ID दी गई थी। उक्त NGO ही इस जीरो रुपये के नोट को बनाती थी और रिश्वत मांगने वाले लोगों को देती थी। जीरो रुपये का नोट भ्रष्टाचार के खिलाफ एक घोषित युद्ध का प्रतीक था।