‘इस’ काम के लिए महिला ने छोड़ी सरकारी नौकरी, अब मां-बाप भी दे रहे साथ

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    नई दिल्ली: कई बार जीवन में ऐसी घटनाएं हो जाती है कि अब इंसान के जिंदगी में नया मोड़ आ जाता है। ऐसे ही एक महिला के साथ हुआ। जो पशुप्रेमी होते है, वो निस्वार्थ बेजुबानों से प्यार करते है, फिर चाहे वो कुत्ता हो या अन्य कोई जानवर हो, दुनिया में ऐसे कई नेकदिल इंसान होते है जो इन जानवरों की मदद करते है और उन्हें ढेर सारा प्यार देते है, लेकिन क्या आपने कभी सुना है की किसी ने इन जानवरों के लिए अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी हो? आइए जानते है क्या है पूरी कहानी….  

    कुत्तों के लिए छोड़ी सरकारी नौकरी 

    दरअसल ये कहानी है एक एनिमल लवर महिला की , जिसने पशु प्रेम के चलते अपनी सरकारी नौकरी तक छोड़ दी है। इस महिला सड़क के आवारा कुत्तों से बेहद लगाव और प्यार है। गुजरात के अहमदाबाद की रहने वाली झंखना शाह ने जब आवारा कुत्तों की परेशानियों को देखा तो वह बेहद भावुक हो गई, न सिर्फ झंखना बल्कि उनके पिता को भी कुत्तों के प्रति लगाव था, ऐसे में एक दिन कुछ ऐसा होता है कि झंखना कुत्तों के लिए अपनी सरकारी नौकरी छोड़ देती है। 

    रोज आवारा कुत्तों को खाना खिलाती है झंखना 

    मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, झंखना अन्य लोगों की तरह खुद भी आवारा कुत्तों को खाने के लिए रोटी, बिस्कुट व दूध देती थी।  हमने सड़कों पर ध्यान दिया होगा कि कुछ जख्मी व अपंग कुत्ते भी होते हैं, उनके लिए खाना ढूंढ कर खा पाना आसान नहीं होता। उनके लिए झंखना मदद को सामने आई और ऐसे कुत्तों के लिए खाने का बंदोबस्त करना शुरू कर दिया। 45 वर्षीय झंखना ने ऐसे कुत्तों के प्रति ज्यादा प्यार दिखाना शुरू किया। इसके लिए उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी तक छोड़ दी है और इसके पीछे एक किस्सा है।

    इस घटना के बाद झंखना ने कुत्तों को दिया सहारा 

    आपको बता दें कि झंखना को कुछ साल पहले एक कुत्ते को देखा, जिसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई थी। कुत्ते की टूटी हुई हड्डी को देखकर वह बेहद इमोशनल हो गई और फिर उसका इलाज करवाया। इस घटना के बाद से झंखना जब भी जख्मी कुत्तों को देखती तो उनका इलाज करवाती और फिर खाने का इंतजाम करती। इस नेक काम को करते हुए देख झंखना को लोग बेहद पसंद करते है।

    मां-बाप भी देते है साथ 

    एक दर्द भरे कुत्ते को देख झंखना बहुत भावुक हो गई, और तब से ही उन्होंने ठान लिया की अब वह अपना पूरा जीवन इसी काम  लगाएगी। इस काम के लिए झंखना को उसके पैरेंट्स भी सपोर्ट करते हैं। इतना ही नहीं वह एनजीओ से भी जुड़ी हुई हैं। अपनी नौकरी छोड़कर सिर्फ कुत्तों को खाना खिलाने पर लग गई।

    बताया जाता है कि वह रोजाना करीब 130 कुत्तों को खाना खिलाती हैं और महीने भर में करीब 20 हजार रुपए खर्च कर देती हैं। वह पिछले 21 साल से कुत्तों की मदद कर रही हैं। ऐसे लोगों की दुनिया में बहुत जरूरत है, बेजुबान अपनी पीड़ा कर नहीं सकते, उनके लिए हम ही एक सहारा है जो उनको खाना- पानी दे सकते है और उनका लखयाल रख सकते है।