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  • किसान के लिये घाटे का सौदा बनी फसल

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वर्धा: निरंतर बारीश व इल्लीयों के प्रकोप चलते सोयाबीन की फसल किसानों के लिये घाटे का सौदा बन गई है.सेलू तहसील के झडशी निवासी किसान विनोद हरिप्रसाद शिंदे को सात एकड में केवल 2 क्विंटल सोयाबीन का उत्पादन हुआ है.निकला हुआ सोयाबीन किस भाव जायेंगा यह बताना भी कठीन है.

जिले में सोयाबीन उत्पादक किसानों के बुरे हाल है.पहले बिज के अंकुरन को लेकर शिकायतेआयी. जिससे अनेक किसानों को सोयाबीन की दुबार बोआई करने पडी.फिर निरंतर बारीश के कारण व बिज की गुणवत्ता के चलते फसल को फुल नही लगने की शिकायतें किसानों ने की थी.किंतु निरंतर बारीश व सोयाबीन पौधो के अंदर इल्लीयों ने आक्रमन करने से उसका भारी असर फसल पर हुआ.अधिकांश किसानों की फसल बर्बाद हुई थी.जिन किसानों के सोयाबीन कुछ हद्द तक ठिक थे.वे भी लौटती हुई बारीश के कारण तबाह हो गये.जिससे उपज पर भारी असर पडा.

झडशी के किसान विनोद शिंदे ने नवभारत से अपना दर्द बयां किया.शिंदे ने बताया उन्होंने सात एकड में 335 जाती का सोयाबीन बीज लगाया था.17200 रूपयों में बीज खरीदा.खाद, खरपतवार नाशक, रासायनिक दवाईयों झिडकाव व अन्य मशाकत व ग्रीष्मकालीन मशाकत पर करीब 75 से अधिक खर्च हुआ.सोयाबीन निकालने के लिये हार्रवेस्टर को 10 हजार में ठेका दिया.बुधवार को सात एकड का सोयाबीन निकाला गया.लेकीन 2 क्विंटल से कम उत्पादन हुआ.सोयाबीन पुरा काला होकर गिला होने से उसे सुखाने का काम आज शुरू होने की जानकारी दी.यह सोयाबीन बाजार में किस दाम पर जायेगा.यह बताना भी कठीन है.कुल मिलाकर सोयाबीन की खेती घाटे की साबित हुई है.

कर्मचारियों को बोनस फिर हमें क्यों सहायता नही:

एक और केंद्र सरकार अपने कर्मीयों को बोनस देती है.लेकीन किसानों की सुद नही लेती.सात एकड खेती पर ही परिवार चलता है.उत्पादन नही होने से अब परिवार कैसे चलाये ?  कर्ज व अन्य भुगतान कैसे यह गंभीर प्रश्न है.अब सरकार ने सहायता देनी चाहिए.

विनोद शिंदे, किसान झडशी तह.सेलु