cyber threat on US elections

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वाशिंगटन: अमेरिका के संघीय अधिकारियों ने कहा है कि नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिये सबसे गंभीर खतरा ‘रैनसमवेयर’ हमला है, जो मतदान को ठप्प कर सकता है। यह खतरा न सिर्फ विदेशी सरकारों से है, बल्कि अपनी किस्मत चमकाना चाह रहे अपराधियों से भी है। ‘रैनसमवेयर’, एक दुर्भावनापूर्ण सॉफ़्टवेयर है, जो कंप्यूटर में फाइलों को लॉक कर देता है और उन फाइलों को अनलॉक करने के लिये उपयोगकर्त्ता से पैसे मांगता है।

एफबीआई और होमलैंड सिक्युरिटी विभाग ने इस सिलसिले में स्थानीय सरकारों को परामर्श जारी किये हैं, जिनमें इन हमलों को रोकने के लिये सुझाव भी शामिल हैं। होमलैंड सिक्युरिटी की साइबर सुरक्षा एवं बुनियादी ढांचा सुरक्षा एजेंसी से संबद्ध एक शीर्ष चुनाव सुरक्षा अधिकारी जियोफ हेले ने कहा, ‘‘हम देख रहे हैं कि राज्य एवं स्थानीय इकाइयों को रैनसमवेयर प्रतिदिन निशाना बना रहे हैं। ” रैनसमवेयर का लक्षित राज्य एवं स्थानीय सरकारों पर हमला बढ़ता जा रहा है, साइबर अपराधी डेटा पर कब्जा कर जल्द पैसा बनाना चाहते हैं।

मुख्य डर इस बात का है कि इस तरह के हमले निर्वाचक डेटाबेस सहित व्यापक सरकारी नेटवर्क में सेंध लगा कर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से मतदान प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं। यदि रैनसमवेयर हमला चुनाव में व्यवधान डालने में नाकाम भी हो जाता है तो भी चुनाव विश्वसनीय नहीं रहेगा। हालांकि, 2016 के बाद मतदाता पंजीकरण प्रणाली की सुरक्षा बेहतर करने के लिये उठाये गये कदमों से सरकारों को चुनाव से जुड़े रैनसमवेयर हमलों से निजात पाने में मदद मिल सकती है। (एजेंसी)