नॉर्थ कैरोलिना. बच्चों को अपना दूध (Mother’s Milk) नहीं पिला पाने वाली माताओं के लिए अच्छी ख़राब है। अमेरिका की दो महिला वैज्ञानिकों ने दुनिया में पहली बार लैब में मां का दूध तैयार किया है। प्रयोगशाला में तैयार किए गए इस दूध को बायोमिल्क (Biomilk) नाम दिया गया है। वैज्ञानिकों के अनुसार उन्होंने बायोमिल्क की पोषकता की जांच की है। साथ ही इसमें असली मां के दूध की तरह से सैकड़ों प्रोटीन, फैटी एसिड और अन्य वसा प्रचुर मात्रा में मिलाने का प्रयास किया गया है।
बायोमिल्क को बनाने वाली कंपनी का कहना है कि यह मां के दूध के तत्वों से बढ़कर है। इस कंपनी की सह संस्थापक और मुख्य विज्ञान अधिकारी लैला स्ट्रिकलैंड (Dr. Leila Strickland) ने कहा कि हमारे ताजा काम ने यह दिखा दिया है कि इसे बनाने वाली कोशिकाओं के बीच कठिन रिश्तों को दोहराकर और दूध पिलाने के दौरान शरीर में होने वाले अनुभवों को मिलाकर दूध की ज्यादातर जटिलता को हासिल किया जा सकता है.’
मां के दूध को बनाने का आइडिया उस समय आया जब लैला का बच्चा जल्दी पैदा हो गया और उन्हें उसे दूध पिलाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा। लैला एक कोशिका जीवविज्ञानी हैं। उनके शरीर के अंदर बच्चे को पिलाने के लिए दूध नहीं बन पाया। उन्होंने काफी प्रयास किया लेकिन वह असफल रहीं। इसके बाद उन्होंने वर्ष 2013 में प्रयोगशाला के अंदर मेमरी कोशिकाओं को पैदा करना शुरू किया। इसके बाद वर्ष 2019 में उन्होंने फूड विज्ञानी मिशेल इग्गेर के साथ साझेदारी की।
इन दोनों ने मिलकर अपना स्टार्टअप बायोमिल्क लान्च किया। फरवरी वर्ष 2020 में दोनों वैज्ञानिकों ने घोषणा की कि लैब में पैदा हुई मेमरी कोशिकाओं ने दूध में पाए जाने वाले 2 मुख्य पदार्थों शर्करा और केसीन को बना दिया है। इसके बाद मां का दूध बनाने का रास्ता साफ हो गया। वैज्ञानिकों ने बताया कि अगले 3 वर्ष में यह दूध बाजार में आ जाएगा।