नांदी: फिजी (Fiji) में विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में पुनर्संतुलन हो रहा है और “वह युग पीछे छूट गया है जब प्रगति का मानक पश्चिमीकरण को माना जाता था।” उन्होंने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में धीरे-धीरे व्यापक बहु-ध्रुवीयता उत्पन्न हो रही है और अगर तेजी से विकास करना है तो यह आवश्यक है कि सांस्कृतिक पुनर्संतुलन भी हो।” जयशंकर यहां बारहवें विश्व हिंदी सम्मेलन (12th World Hindi Conference) के उद्घाटन के अवसर पर बोल रहे थे। अंतरराष्ट्रीय संबंधों के संदर्भ में हिंदी के महत्व को बढ़ावा दिए जाने की जरूरत जताते हुए जयशंकर ने कहा कि भाषा न केवल पहचान की अभिव्यक्ति है बल्कि भारत और अन्य देशों को जोड़ने का माध्यम भी है।
फिजी के प्रमुख शहर नांदी में फिजी सरकार और भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से आयोजित इस सम्मेलन में दुनिया भर से हिंदी के करीब 1,200 विद्वान व लेखक भाग ले रहे हैं। ‘देनाराउ कनवेंशन सेंटर’ (Denarau Convention Centre) में तीन दिन चलने वाले सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान फिजी के राष्ट्रपति रातू विलीमे कटोनिवेरी के अलावा भारत सरकार में गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा तथा विदेश राज्यमंत्री वी मुरलीधरन भी मौजूद थे। इस मौके पर जयशंकर और राष्ट्रपति कटोनिवेरी ने संयुक्त रूप से एक डाक टिकट भी जारी किया।
EAM Dr S Jaishankar met the Deputy PM of Fiji, Biman Prasad in Nadi, Fiji.
"Discussed further advancing our long-standing ties through our development cooperation," tweets the EAM.
(Pic: EAM Dr S Jaishankar's Twitter) pic.twitter.com/qGushkT5Ci
— ANI (@ANI) February 15, 2023
उद्घाटन सत्र में पहले फिजी के प्रधानमंत्री सित्विनी राबुका को मौजूद रहना था, लेकिन भारतीय अधिकारियों ने बताया कि यहां संसद सत्र के चलते उनकी जगह राष्ट्रपति ने उद्घाटन सत्र में भाग लिया। राबुका हाल ही में प्रधानमंत्री बने हैं और 55 सदस्यीय संसद में उनके पास विपक्ष के मुकाबले केवल एक मत अधिक है। जयशंकर ने कहा, ‘‘अधिकांश देशों ने पिछले 75 वर्षों में स्वतंत्रता हासिल की और यह उसका ही परिणाम है कि अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में एक पुनर्संतुलन हो रहा है।” उन्होंने कहा कि शुरुआत में इसका स्वरूप आर्थिक था, लेकिन जल्द ही इसका एक राजनीतिक पहलू भी सामने आने लगा है।
उन्होंने कहा कि इस प्रवृत्ति से धीरे-धीरे व्यापक बहु-ध्रुवीयता उत्पन्न हो रही है और अगर तेजी से विकास करना है तो यह आवश्यक है कि सांस्कृतिक पुनर्संतुलन भी हो। जयशंकर ने कहा, “वह युग पीछे छूट गया है जब प्रगति का मानक पश्चिमीकरण को माना जाता था।” जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में भाषा और संस्कृति के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, “भारत ने आजादी के 75 वर्ष पूरे कर लिए हैं और अब हम अगले 25 वर्ष के लिए एक महत्वाकांक्षी पथ पर आगे बढ़ रहे हैं जिसे हमने अमृतकाल कहा है।”
उन्होंने कहा, ‘‘यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व का ही परिणाम है कि हम एक नए भारत का निर्माण होता देख रहे हैं।” विदेश मंत्री ने विश्वास जताया कि आने वाले समय में भारत का अंतरराष्ट्रीय महत्व और बढ़ेगा तथा इस संदर्भ में भाषा और संस्कृति की और भी ज्यादा अहमियत होगी। हिंदी के प्रसार और प्रचार पर जोर देते हुए जयशंकर ने कहा कि ऐसी कई भाषाएं और परंपराएं जो औपनिवेशिक युग के दौरान दबा दी गई थीं, अब एक बार फिर वैश्विक मंच पर उभर रही हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे में यह जरूरी है कि विश्व को सभी संस्कृतियों और समाजों के बारे में अच्छी जानकारी हो और इसी लिए हिंदी सहित विभिन्न भाषाओं के शिक्षण और प्रयोग को व्यापक बनाना बहुत जरूरी है।”उद्घाटन समारोह को राष्ट्रपति कटोनिवेरी के अलावा भारतीय मंत्रियों अजय मिश्रा एवं वी मुरलीधर ने भी संबोधित किया। (एजेंसी)