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  • राहुल कौल ने किया आह्वान

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यवतमाल. यूथ फॉर पनुन के अध्यक्ष राहुल कौल ने कहा कि 1990 में कश्मीरी हिंदुओं ने स्थलांतर नहीं किया बल्कि उन्हें कश्मीर से निकाल दिया गया था. इसका केवल राजनीतिकरण किया जा रहा है. जबकि हमारे दु:ख को समझना और उस पर अमल करना आवश्यक है. यदि हम कश्मीरी हिंदुओं को न्याय देना चाहते हैं, तो हमें आधिकारिक तौर पर स्वीकार करना होगा कि हमारा वंश विच्छेद हो गया है. इसे स्वीकार नहीं करने से पूरे देश में हिंदुओं के लिए खतरा पैदा हो गया है.

इस संबंध में कानून बनाने की बुनियादी जरूरत है और अगर विधेयक पारित किया जाता है, तो कश्मीरी हिंदुओं का पुनर्वास संभव है. साढ़े सात लाख कश्मीरी हिंदुओं का अभी तक पुनर्वास नहीं हुआ है. निर्वासित कश्मीरी हिंदू को पहचान बनाए रखने के लिए हमें अपनी जमीन वापस पाने की जरूरत है. हमें फिर से वहां जाने के लिए एक सुरक्षित वातावरण बनाने की जरूरत है. कश्मीर को पूरे भारत में हिंदुओं के समर्थन की आवश्यकता है और देशभर के हिंदुओं को इसके बारे में जागृत होना चाहिए.

हिंदू जनजागृति समिति की ओर से ‘चर्चा हिंदू राष्ट्र की’ कार्यक्रम के तहत ‘कश्मीरी हिंदुओं के निष्कासन  के 31 साल’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम में वे बोल रहे थे. इस समय एड. टीटो गंजू (कश्मीरी हिंदू) ने कहा,  कश्मिरी हिंदुओं का वंश विच्छेद  लगातार इनकार करके हमें ‘स्थलांतरित ‘ कहा जा रहा है. राज्य सरकार ने इसे वंश विच्छेद न मानते हुए दायित्व से दूर रहे है.हमारी 21 पीढ़ियों ने नरसंहार झेले हैं.

अत्याचारों को नहीं बताया गया

सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता चेतन राजहंस ने  कहा, कश्मीरी हिंदुओं के दर्द, पीड़ा और नरक यातना को समझने के लिए 19 जनवरी 1990 को क्या हुआ था? आपको यह जानना होगा. बहुत से लोग अभी भी इससे अनजान हैं. हमें कश्मीरी हिंदुओं पर होने वाले अत्याचारों के बारे में नहीं बताया गया है, वास्तव में यह एक राष्ट्रीय षड्यंत्र के माध्यम से लोगों से छिपा हुआ था. उस समय 7 लाख 50 हजार कश्मीरी हिंदुओं को अपनी मातृभूमि छोड़कर शरणार्थी बनना पड़ा. कश्मीर में इस्लामी शासन के लिए निष्कासन किया गया था. कश्मीरी हिंदुओं को सुरक्षा का वादा करने वाला एक भी राजनीतिक नेता पिछले 31 वर्षों में पैदा नहीं हुआ है! कश्मीरी हिंदुओं का अभी तक पुनर्वास नहीं हुआ है. कश्मीरी हिंदुओं का पुनर्वास उनकी सुरक्षा के वादे के साथ किया जाना चाहिए.