तेजस युद्ध विमान तेजस की तीव्र गर्जना से थर्रा उठेगा चीन और पाकिस्तान, वायुसेना में शामिल होंगे 83 एयरक्राफ्ट
आत्मनिर्भर भारत के लिए बुधवार के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। भारत सरकार ने सबसे बड़े स्वदेशी रक्षा सौदे को अपनी मंजूरी दे दी हैं। प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा संबंधी समिति ने भारतीय वायुसेना को मजबूत करने के लिए 48 हजार करोड़ रुपए से 83 तेजस फाइटर जेट खरीदने का फैसला कर लिया है। केंद्र सरकार के इस निर्णय से एक ओर जहां देश में हथियार निर्मित करने वालों को बढ़ावा मिलेगा, इसी के साथ दुनिया पर निर्भरता कम होगी।
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बुधवार को हुई सीसीएस बैठक में सरकार में मेक इन इंडिया के लिए गेम चेंजर साबित होने वाला है. यह अब तक का सबसे बड़ा स्वदेशी रक्षा सौदा है. इसके पहले भारतीय कंपनी को इतना बड़ा आर्डर कभी नहीं मिला.
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तेजस भारत द्वारा विकसित किया जा रहा एक हल्का व कई तरह की भूमिकाओं वाला जेट लड़ाकू विमान है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने बनाया है. इसे एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) द्वारा एयरक्राफ्ट रिसर्च एंड डिज़ाइन सेंटर (ARDC) ने मिलकर डिजाइन किया है। एक जेट इंजन वाला, अनेक भूमिकाओं को निभाने में सक्षम एक हल्का युद्धक विमान है। यह बिना पूँछ का, कम्पाउण्ड-डेल्टा पंख वाला विमान है। इसका विकास 'हल्का युद्धक विमान' या (एलसीए) नामक कार्यक्रम के अन्तर्गत हुआ है जो 1980 के दशक में शुरू हुआ था। विमान का आधिकारिक नाम तेजस 4 मई 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रखा था।
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File Photo
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तेजस की खूबी दुनिया भर के सभी फाइटर जेट से अलग बनाती है. यह 2222 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ़्तार से असमान में सीना फाड़ सकता है. ये एक बार में 3000 किलोमीटर का सफ़र तय कर सकता हैं. इसी के साथ 50 हजार फिट पर उड़ान भरने की शमता है. इसी के साथ इसमें कांच का कॉकपिट, हेलमेट माउंटेड डिस्प्ले, मल्टी मोड रडार, कंपोजिट स्ट्रक्चर और फ्लाई बाय वायर डिजिटल सिस्टम जैसे आधुनिक फीचर हैं।
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इस फाइटर जेट में दो आर-73 एयर-टू-एयर मिसाइल, दो 1000 एलबीएस क्षमता के बम, एक लेजर डेजिग्नेशन पॉड और दो ड्रॉप टैंक्स हैं। इसी के साथ लेजर गाइडेड मिसाइल और बियांड विजुवल रेंज अस्त्र मिसाइल लगाई जा सकती है।
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तेजस का वजन 12 टन है और इसकी लंबाई 13.2 मीटर है। इसके पंख का फैलाव 8.2 मीटर है जबकि, ऊंचाई 4.4 मीटर है। दुश्मनों के विमानों से निपटने के लिए इस्तेमाल होने वाले इसका मिशन कम्प्यूटर भारतीय तकनीकी पर आधारित है। वहीं तेजस में लगा मुख्य सेंसर 'तरंग रडार' पायलट को दुश्मन जेट्स या जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल के बारे में बताता है। एक तेजस में लगभग 300 करोड़ रुपये खर्च होते हैं।
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तेजस स्वदेशी चौथी पीढ़ी का टेललेस कंपाउंड डेल्टा विंग विमान है। यह फ्लाई बाय वायर फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम, इंटीग्रेटेड डिजिटल एवियोनिक्स, मल्टीमोड रडार से लैस लड़ाकू विमान है। तेजस चौथी पीढ़ी के सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों के समूह में सबसे हल्का और सबसे छोटा है।
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देश में बना पहला स्वदेसी फाइटर जेट को एक जुलाई 2016 में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया। इस दौरान सभी धर्मों की मान्यताओं के अनुसार विविधता पूर्वक पूजा कर तेजस की पहले स्कॉर्डन को शामिल किया गया। बंगलुरु एयरफाॅर्स स्टेशन में आयोजित इस कार्यक्रम में तत्कालीन भारतीय वायुसेना प्रमुख सहित कई बड़े अधिकारी शामिल थे।
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तेजस विमान दुनिया की तमाम बेहतरीन फाइटर जेट से एक है. यह दो दुश्मन देश पाकिस्तान और चीन के संयुक्त उत्पादन थंडरबर्ड से कई गुना ज्यादा दमदार है. जब बहरीन में तेजस की प्रदर्शनी की गई थी उसमें दोनों देशों ने थंडरबर्ड को प्रदर्शनी से हटा लिया था.
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