- 829 गांवों में मोबाइल इंटरनेट सुविधा नहीं
नागपुर. राज्य के कई दूरदराज इलाकों में शिक्षा की दुरावस्था तथा स्कूली शिक्षा पानेवाले बच्चों को पोषण आहार की त्रासदी को लेकर हाई कोर्ट की ओर से स्वयं संज्ञान लिया गया था. याचिका पर बुधवार को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से दायर किए गए हलफनामा में बताया गया कि गड़चिरोली जिले के 829 गांवों में अब तक मोबाइल इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध नहीं है.
गड़चिरोली जिले का यह चित्र काफी परेशान करने वाला है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि गड़चिरोली से आने वाली अगली पीढ़ी का भविष्य राज्य में कैसे रहनेवाला है. अदालत ने आदेश में कहा कि एक ओर जहां फिजिकल क्लासेस को बंद किया गया. वहीं दूसरी ओर इंटरनेट की सुविधा नहीं है. इंटरनेट के अभाव में डिजिटल क्लासेस में बच्चे हिस्सा नहीं ले पा रहे हैं. अदालत ने तमाम परेशानियों को लेकर आदिवासी विकास विभाग को स्पष्टीकरण देने के आदेश दिए. अदालत मित्र के रूप में अधि. फिरदौस मिर्जा ने पैरवी की.
न अच्छी इमारतें और न पर्याप्त शिक्षक
अदालत का मानना था कि राइट ऑफ चिल्ड्रन टू फ्री एंड कंपलसरी एजुकेशन एक्ट 2009 बनाया गया. यहां तक कि राष्ट्रीय फूड सिक्योरिटी एक्ट 2013 में स्कूल जाने वाले बच्चों को पोषण आहार देने का नियम तैयार किया गया. देश में महामारी शुरू होने के कारण 21 मार्च 2020 से लॉकडाउन लगाया गया. जिसके बाद से ऑनलाइन एजुकेशन शुरू हो गया है. 6 वर्ष से 14 वर्ष तक के बच्चों को शिक्षा की अनिवार्यता तो लागू की गई, लेकिन इसके लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं है. विशेष रूप से महाराष्ट्र के दूरदराज इलाकों में न तो स्कूल की पुख्ता इमारतें हैं और न ही स्कूलों में पढ़ाने के लिए पर्याप्त शिक्षक उपलब्ध है. बच्चों को पढ़ाने के लिए अध्यापन के उपकरण तक उपलब्ध नहीं कराए गए. इसके अलावा कई इलाकों में अच्छी सड़कें तक नहीं है. जिससे बारिश के दौरान बच्चे स्कूल तक नहीं जा सकते हैं.
न बिजली, न इंटरनेट, कैसे होगी पढ़ाई
-अदालत ने आदेश में कहा कि निश्चित ही महामारी के चलते ऑनलाइन शिक्षा ही एक विकल्प रहा है. लेकिन इसके लिए 24×7 इंटरनेट और बिजली की व्यवस्था होना जरूरी है.
-इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं होने के कारण कई स्कूल बिजली और इंटरनेट की सुविधाओं से वंचित है. जिससे बच्चों को निरंतर शिक्षा उपलब्ध कराना संभव नहीं हो रहा है. याचिका में बताया गया कि तमाम खामियों को लेकर केंद्र सरकार, राज्य सरकार और स्थानीय जिम्मेदार एजेन्सी द्वारा इसे गंभीरता से लेना चाहिए था. किंतु अब तक इसे गंभीरता से नहीं लिया गया है.
– इस संदर्भ में नोटिस जारी होने के बाद केवल गड़चिरोली जिलाधिकारी की ओर से हलफनामा दायर किया गया. जबकि अन्य प्रतिवादियों की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया है. अत: 24×7 बिजली और इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराने के संदर्भ में क्या किया जा रहा है. इसकी जानकारी के साथ जवाब दायर करने के आदेश जारी किए.