लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Deputy Chief Minister Keshav Prasad Maurya) के कुशल मार्गदर्शन में नेशनल हाइवे (National Highway) के किनारे वृहद वृक्षारोपण ( Plantation) कराए जाने की अनूठी पहल की गई है । उत्तर प्रदेश ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिला आजीविका संवर्धन को बढ़ावा देने के लिए स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा वृक्षारोपण कराए जाने का ताना-बाना बुना जा रहा है। प्रथम चरण में पूर्वांचल (Purvanchal) के वाराणसी (Varanasi) और गोरखपुर (Gorakhpur) के समीपवर्ती नेशनल हाइवे की 202 किलोमीटर भूमि चैनेज पर वृक्षारोपण कराए जाने की रूपरेखा तैयार की गई है।
उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा है कि पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन के साथ महिला सशक्तिकरण के लिए यह योजना वरदान साबित होगी। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग की बड़ी समस्या के सामने सबसे अच्छा और कारगर उपाय वृक्षारोपण है। हाईवे के किनारे वृक्षारोपण से हाइवे निर्माण में जिन पेड़ों को काटा गया होगा, उनकी प्रतिपूर्ति भी वृक्षारोपण करके किया जाना जरूरी है। वृक्ष प्रकृति की सुंदरता बढ़ाते हैं ।वृक्षारोपण द्वारा प्राणी जीवन को स्वस्थ सुंदर और सुखमय बनाया जाता है। वृक्ष प्रकृति का सौंदर्य होते हैं। हाइवे के किनारे लगने वाले वृक्ष जब बड़े होंगे ,तो हाइवे पर चलने वाले लोगों को भी सुखद अनुभूति होगी। उन्होंने कहा कि आज के औद्योगिक विस्तार की रफ्तार में वृक्षारोपण किया जाना और वृक्षारोपण कर रोजगार अवसरों का सृजन किया जाना सरकार की प्रतिबद्धता और संकल्पबद्धता है।
1 लाख 63 हजार पौधे रोपित किए जाने का खाका तैयार
ज्ञात हो कि आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत महिला आजीविका संवर्धन को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन और एनएचएआई द्वारा रोड एवन्यू प्लांटेशन कराए जाने के लिए दोनों संस्थाओं के बीच एमओयू (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग) किया जा चुका है। एनएचएआई द्वारा इस कार्य के लिए वाराणसी और गोरखपुर के समीप 311.84 किलोमीटर के 7 पैकेज पर वृक्षारोपण किए जाने के लिए 202 किलोमीटर पर 1 लाख 63 हजार पौधे रोपित किए जाने का खाका तैयार किया गया है। महिला संकुल स्तरीय संघ और स्वयं सहायता समूहों द्वारा सड़क किनारे वृक्षारोपण किया जाएगा। वृक्षारोपण का कार्य ग्रीन हाइवे प्रोजेक्ट्स और आईएसआर:एसी: 21- 2009 मार्गदर्शिका के अनुरूप किया जाएगा।
पौधों की देखरेख का कार्य भी किया जाएगा
राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से प्राप्त जानकारी के अनुसार, भूमि का मालिकाना हक एनएचएआई के पास ही रहेगा और इस भूमि पर महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा वृक्षारोपण कार्य के उपरांत 5 साल तक पौधों की देखरेख का कार्य भी किया जाएगा। महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा पौधरोपण के समय पौधों की पंक्ति से पंक्ति और कालम से कालम की दूरी बनाए रखने का ध्यान रखा जाएगा।
मानक इस्टीमेट तैयार किया जाएगा
संबंधित जिलों के उपायुक्त (आजीविका मिशन) और एनएचएआई के सम्बन्धित अधिकारी संबंधित साइट का निरीक्षण करेंगे, वहां की भूमि और जलवायु के अनुरूप किस प्रजाति के कौन-कौन से पौधे रोपित किए जाने हैं, इसका अध्ययन करते हुए फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की गाइडलाइन के अनुसार मानक इस्टीमेट तैयार किया जाएगा। पौधरोपण सत्यापन के उपरांत एनएचएआई द्वारा उत्तर प्रदेश ग्रामीण आजीविका मिशन को धनराशि दी जाएगी और मिशन द्वारा स्वयं सहायता समूह को धनराशि अंतरित की जाएगी, लेकिन 50 प्रतिशत धनराशि पौधरोपण के पहले (अनुबंध के अनुसार) दी जाएगी । प्लांटेशन के उपरांत 5 वर्ष तक 10 प्रतिशत धनराशि प्रतिवर्ष दिए जाने का प्रावधान किया गया है, इसमें जीवित पौधों के निर्धारित मानक का ख्याल भुगतान के दौरान रखा जाएगा। पौधरोपण के कार्य के साथ यूपीएसआरएलएम द्वारा लगाए गए सभी पेड़ों की इन्वेंट्री और पूर्ण सूचना रखी जाएगी। उत्तर प्रदेश ग्रामीण आजीविका मिशन से प्राप्त जानकारी के अनुसार, तीन रो में पौधे लगवाए जाने का प्लान तैयार किया गया है। पौधे वन विभाग और उद्यान विभाग की नर्सरियों से या वन और उद्यान विभाग की दरों पर प्राइवेट नर्सरियों से लिए जा सकेंगे।
मनरेगा से मजदूरी उपलब्ध कराई जाएगी
चयनित और निर्धारित स्थलों पर स्वयं सहायता समूह पौधों की नर्सरी भी वन विभाग के मानकों के अनुरूप के तैयार कर सकेंगे । नर्सरी तैयार करने में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को मनरेगा से मजदूरी उपलब्ध कराई जाएगी। यह महिलाओं की आजीविका का अलग माध्यम बनेगा। इसके अलावा वृक्षों से प्राप्त फलों को बाजार में बेचकर और पत्तों की जैविक कंपोस्ट बनाते हुए महिलाओं द्वारा अतिरिक्त आय भी अर्जित की जा सकेगी। पौधरोपण के लिए चयनित प्रत्येक स्वयं सहायता समूह को 1 से 2 किलोमीटर का कार्य या उनकी क्षमता और दक्षता के अनुसार कार्य दिया जाएगा।
इन स्थानों का किया गया चयन
वृक्षारोपण के लिए चयनित 7 पैकेज में 4 पैकेज वाराणसी के समीप के हाइवे के किनारे और तीन पैकेज गोरखपुर के समीप हाइवे के किनारे लिए गए हैं। वाराणसी में एनएच -233 घाघरा ब्रिज से वाराणसी (पैकेज थर्ड), एनएच -233 घाघरा ब्रिज से वाराणसी (पैकेज दो ) वाराणसी रिंग रोड (बाइपास लिंक एन एच 2) ,वाराणसी रिंग रोड कनेक्टिंग संदहा ग्राम और गोरखपुर में फोरलेन गोरखपुर बाईपास ,वाराणसी- गोरखपुर सेक्शन 84 से 149 किलोमीटर (पैकेज 3) वाराणसी -गोरखपुर सेक्शन (पैकेज -4 ,मऊ-गोरखपुर) चयनित किए गए हैं।