नागपुर. देश में बड़े पैमाने पर सोशल मिडिया का उपयोग करनेवालों के माध्यम से चीन की पैंठ वाले आनलाईन बाजार पर कब्जा करने के लिए सोशल मिडिया पर स्वदेशी वस्तुओं पर अधिक जोर दिया जा रहा है. एक ओर चीन के उत्पादों को जलाया जा रहा है, वहीं पर भारतीय उत्पादों का उपयोग करने की दिशा में मुहिम शुरू है. किंतु इसके लिए खुदरा व्यापारियों और परंपरागत बड़े व्यवसायियों को आनलाईन बाजार पर कब्जा जमाने के लिए प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है.
यहां तक कि अब प्रशिक्षण की तैयारी शुरू की गई है. सर्वे के अनुसार देश में 65 प्रतिशत युवा है. जिसमें से 40 प्रतिशत से अधिक हर समय सोशल मिडिया का उपयोग करते हैं. इन्हीं युवाओं में चीन को सबक सीखाने तथा देश को आर्थिक क्षेत्र में ऊंचे स्तर पर पहुंचाने की क्षमता होने की जानकारी सोशल मिडिया विश्लेषक अजित पारसे ने दी.
उद्यमी और संशोधकों में क्षमता
उन्होंने कहा कि विश्व भर से आयात होनेवाले उत्पाद, तकनीकी, आदि को देश में ही तैयार करने की क्षमता यहां के उद्यमी और संशोधकों में है. इसी तरह इन उत्पादनों को खरीदकर देश को आर्थिक महाशक्ति बनाने की ताकत इन युवाओं में है. सोशल मिडिया पर नई सोच का उपयोग कर अबतक चीन द्वारा उत्पादनों को विश्व भर में पहुंचाया गया. अब चीन के खिलाफ मुहिम और स्वदेशी पर जोर देने की स्पर्धा लगी हुई है. हैदराबाद स्थित डा. रेड्डी हत्या प्रकरण ने सोशल मिडिया की शक्ती का प्रदर्शन हुआ है.
इस शक्ति को भारतीय उत्पादक, व्यवसायी और खुदरा व्यापारियों द्वारा पहचानने की आवश्यकता है. अब चीन द्वारा भारतीय सैनिकों पर हमला किए जाने के बाद राष्ट्रवाद की भावना फिर एक बार आग की तरह फैल गई है. यहीं भावना स्वदेशी उद्योग और आत्मनिर्भर क्रांति लाने की क्षमता रखती है. इसे सही समय बताते हुए उन्होंने कहा कि सोशल मिडिया के माध्यम से नई सोच लाई गई, तो माध्यम से लघु, मध्यम, कुटिर उद्योगों में वृद्धि होगी.
स्टैटिस्टा.कॉम संस्था के सर्वे के अनुसार इस वर्ष 60 करोड़ भारतीय पूर्ण समय इंटरनेट का उपयोग करते रहे है. जिसमें आनलाईन खरीदी करनेवालों की संख्या अधिक है. भारतीयों के खर्च करने की क्षमता देश को आर्थिक स्वतंत्रता दे सकती है. जिसके लिए सर्वप्रथम यहां के खुदरा व्यापारी, दूकानदार, बड़े उद्योगों को आनलाईन खरीदी-बिक्री का प्रशिक्षण देकर एक मंच पर लाने की आवश्यकता है. -अजित पारसे, सोशल मिडिया विश्लेषक.