नई दिल्ली/पूरी: आज यानी बुधवार 17 जनवरी को देश के चार धामों में से एक 12वीं सदी में बने ओडिशा (Odisha) के पुरी जगन्नाथ मंदिर हेरिटेज कॉरिडोर (श्रीमंदिर परियोजना) (Shri Jagannath Heritage Corridor Project) का काम पूरा हूने पर ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक (CM Naveen Patnaik) इस कॉरिडोर का उद्घाटन करेंगे।
#WATCH | Puri, Odisha: Devotees visit Lord Jagannath Temple for ‘Darshan’ ahead of the inauguration of Shri Jagannath Heritage Corridor Project by Odisha CM Naveen Patnaik today. pic.twitter.com/iFffv3chUU
— ANI (@ANI) January 17, 2024
जानकारी दें कि ओडिशा सरकार ने इसके भव्य उद्घाटन कार्यक्रम में भारत और नेपाल के एक हजार मंदिरों को न्योता भेजा है। साथ ही देश के चारों शंकराचार्यों, चारों पवित्र धाम और चार अन्य छोटे धामों को भी आमंत्रित किया है। वहीं मंदिर प्रशासन ने ख़ास तौर पर नेपाल के राजा को भी निमंत्रण भेजा है।
इस अतिमहत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के तहत मंदिर से लगे बाहरी दीवार (मेघनाद पचेरी) के चारों तरफ एक 75 मीटर चौड़ा गलियारा बनाया गया है। मंदिर के चारों ओर 2 किलोमीटर में श्रीमंदिर परिक्रमा पथ का निर्माण हुआ है। यहां से श्रद्धालु अब मंदिर का सीधे दर्शन कर सकेंगे।
#WATCH | Puri: Preparations underway for the inauguration of Shri Jagannath Heritage Corridor Project by Odisha CM Naveen Patnaik at Puri’s Lord Jagannath Temple today.
(Source: I&PR Odisha) pic.twitter.com/ftRocwj5Hq
— ANI (@ANI) January 17, 2024
बीते दिसंबर 2019 में शुरू हुए प्रोजेक्ट के तहत बने रिसेप्शन सेंटर में करीब 6 हजार भक्त एक साथ खड़े हो सकेंगे। वहीं यहां 4 हजार परिवारों के लिए सामान रखने के लिए लॉकर रूम, शेल्टर पवेलियन, मल्टीलेवल कार पार्किंग, पुलिस और फायर ब्रिगेड और इमरजेंसी के लिए शटल बस की सुविधा दी जा चुकी है।
आज के इस उद्घाटन के लिए बीते दो दिन पहले यहां एक महायज्ञ शुरू हुआ। वहीं आज पूर्णाहूति के साथ इसे विधिवत रूप से श्रद्धालुओं के लिए खोल भी दिया जाएगा। करीब 943 करोड़ रुपए में बनाए गए इस प्रोजेक्ट का मकसद 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर को वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल करना भी है।
जानकारी दें कि, 1150 ईस्वी में ओडिशा के आसपास के इलाके में गंग राजवंश का शासन हुआ करता था। तब राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव यहां के राजा हुआ करते थे। वहीं पुरी जिले की वेबसाइट के अनुसार अनंतवर्मन ने ही इस मंदिर का 1161 ईस्वी में का निर्माण करवाया था।