कोई व्यक्ति सदिच्छा और परोपकार की भावना से अच्छा कार्य करे तो खुले दिल से उसकी सराहना करनी चाहिए, न कि उस पर तंज कसना चाहिए। इसमें राजनीति कदापि नहीं लाई जाए क्योंकि समाज सेवा और लोकल्याण पर किसी का एकाधिकार नहीं है।
कोई व्यक्ति सदिच्छा और परोपकार की भावना से अच्छा कार्य करे तो खुले दिल से उसकी सराहना करनी चाहिए, न कि उस पर तंज कसना चाहिए। इसमें राजनीति कदापि नहीं लाई जाए क्योंकि समाज सेवा और लोकल्याण पर किसी का एकाधिकार नहीं है। जिसके मन में आपदाग्रस्तों के प्रति उदारता और संवेदनशीलता है, वह स्वयंस्फूर्ति से मदद करने के लिए आगे आ जाता है। आम तौर पर फिल्मों में खलनायक की भूमिका अदा करने वाले सोनू सूद कोरोना आपदा के दौरान मुसीबत में फंसे प्रवासी मजदूरों के लिए एक सहृदय नायक या देवदूत बनकर उभरे। उन्होंने जब प्रवासी मजदूरों को परिवार सहित मुंबई से यूपी-बिहार के लिए पैदल जाते देखा तो द्रवित होकर उनकी सहायता के लिए आगे आए। उन्होंने बसों व फ्लाइट से मजदूरों को उनके राज्य में भेजा। इसके बावजूद इस मुद्दे पर राजनीति शुरू हो गई। सोनू सूद की सेवा पर शिवसेना ने तंज कसा। इससे सभी सेवाभावी व्यक्ति और संस्थाएं सकते में हैं।
शिवसेना सांसद संजय राऊत ने कहा कि सोनू सूद के पीछे एक राजनीतिक निर्देशक हो सकता है। आगामी समय में सोनू बीजेपी के लिए चुनाव प्रचार भी कर सकते हैं। बिना किसी राजनीतिक दल के समर्थन के इतना बड़ा काम नहीं हो सकता। जिस काम को करने में केंद्र और राज्य सरकार को कठिनाई हुई है, वो सोनू कैसे कर सकते हैं? राउत ने कहा कि मैंने अगर सोनू के बारे में कुछ लिखा है तो उसमें किसी को मिर्ची नहीं लगनी चाहिए। यदि किसी को मिर्ची लगी है तो समझ लीजिए कि तीर सीधे निशाने पर लगा है। यह अच्छी बात है कि राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी ने सोनू को राजभवन बुलाया। राजभवन में ऐसे महात्मा को बुलाना चाहिए लेकिन मुंबई और महाराष्ट्र में और भी लोग हैं जिनके साथ चर्चा होनी चाहिए। जब लॉकडाउन में विमान, ट्रेन और बसें बंद हैं तो लोगों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए हवाईजहाज कहां से आए? इसको लेकर लोगों के मन में आशंकाएं हैं। मैंने इन्हीं बातों को रखा है।
बीजेपी का प्यादा कहा
राउत ने कहा कि सोनू सूद को महान समाजसेवक का मुखौटा पहनाकर प्यादे के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। बीजेपी के कुछ लोगों ने सोनू को गुप्त रूप से दत्तक लिया है। सोनू नामक इस महात्मा का नाम अब किसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मन की बात’ में भी आएगा। वह दिल्ली में पीएम से मिलने जाएंगे। फिर एक दिन वह बीजेपी के स्टार प्रचारक बनकर मुंबई, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, बिहार में घूमते नजर आएंगे। प्रवासी मजदूरों को घर भेजने की व्यवस्था के कर्ताधर्ता राष्ट्रीय बंजारा समाज के अध्यक्ष शंकर पवार हैं जो सोनू की भीड़भाड़ वाली तस्वीरों में नजर आते हैं लेकिन सोनू का चेहरा सामने लाया जा रहा है। राउत ने कहा कि महाराष्ट्र में महात्मा ज्योतिबा फुले से लेकर बाबा आमटे तक सामाजिक आंदोलनकर्ताओं की परंपरा रही है। अब उसमें सोनू सूद का नाम भी जोड़ लिया जाना चाहिए। जो काम लॉकडाउन के दौरान केंद्र और राज्य सरकार नहीं कर पाई वह सोनू ने कर दिखाया। लॉकडाउन में सोनू सूद ने कैसे प्रवासी मजदूरों के लिए बसों और फ्लाइट्स का इंतजाम किया?
सोनू मातोश्री गए
सोनू सूद मंत्री असलम शेख के साथ मातोश्री गए जहां उन्होंने शिवसेना अध्यक्ष व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे तथा उनके पुत्र पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे से भेंट की। सोनू ने अपने काम और इरादों के बारे में दोनों नेताओं को जानकारी दी, जिससे वे संतुष्ट नजर आए। ऐसा लगा कि सोनू सूद व शिवसेना के बीच सब कुछ ठीक व मैत्रीपूर्ण हो गया। सोनू को बीच में खड़ा कर उद्धव ठाकरे व आदित्य ठाकरे ने उनके साथ फोटो भी खिंचवाई। संभवत: सोनू सूद ने ठाकरे को बताया कि वे शिवसेना के प्रति सम्मान की भावना रखते हैं तथा किसी पार्टी के हाथ में नहीं खेल रहे हैं बल्कि स्वयंस्फूर्ति से मदद कार्यों में लगे हैं।