Calcutta high Court asks NIA to file report on clashes in Murshidabad during Ram Navami
कोलकाता उच्च न्यायालय (फाइल फोटो )

मुख्य न्यायाधीश टी एस शिवज्ञानम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की बेंच ने एनआईए को रिपोर्ट में यह बताने के लिए कहा कि क्या झड़पों के संबंध में दर्ज प्राथमिकियों की जांच केंद्रीय एजेंसी को सौंपी जाए। एनआईए अधिनियम के तहत बम विस्फोट उन अपराधों में से एक है जिसकी जांच केंद्रीय एजेंसी कर सकती है। अदालत ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए 10 मई की तारीख तय की और तब तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।

Loading

कोलकाताः कलकत्ता उच्च न्यायालय (Calcutta High Court ) ने राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) को रामनवमी पर आयोजित कार्यक्रमों के दौरान पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले (Murshidabad) में झड़पों के संबंध में एक रिपोर्ट सौंपने और यह बताने का शुक्रवार को निर्देश दिया कि क्या इस मामले की जांच केंद्रीय एजेंसी को सौंपी जानी चाहिए।

अदालत ने कहा कि मुर्शिदाबाद जिले के पुलिस अधीक्षक ने एक रिपोर्ट में 13 और 17 अप्रैल को बेलडांगा और सक्तिपुर में झड़पों के दौरान बम तथा अन्य हथियारों के कथित प्रयोग का उल्लेख किया था जिसके कारण लोगों को चोटें आयीं। मुख्य न्यायाधीश टी एस शिवज्ञानम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने एनआईए को झड़पों और दो जनहित याचिकाओं में लगाए अन्य आरोपों और बम के कथित इस्तेमाल पर एक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया।

पीठ ने एनआईए को रिपोर्ट में यह बताने के लिए कहा कि क्या झड़पों के संबंध में दर्ज प्राथमिकियों की जांच केंद्रीय एजेंसी को सौंपी जाए। एनआईए अधिनियम के तहत बम विस्फोट उन अपराधों में से एक है जिसकी जांच केंद्रीय एजेंसी कर सकती है। अदालत ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए 10 मई की तारीख तय की और तब तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। उसने एनआईए को एक याचिका में झड़पों के संबंध में केंद्र सरकार के प्रतिनिधि व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अशोक कुमार चक्रवर्ती द्वारा लगाए गंभीर आरोपों की जांच करने का भी निर्देश दिया।

मुर्शिदाबाद के पुलिस अधीक्षक और अपराध जांच विभाग ने उच्च न्यायालय के निर्देश पर एक हलफनामे के रूप में अदालत में रिपोर्ट दाखिल की। उच्च न्यायालय ने रामनवमी समारोह के दौरान मुर्शिदाबाद जिले में दो समुदायों के बीच झड़पों पर 23 अप्रैल को नाखुशी व्यक्त करते हुए निर्वाचन आयोग को बहरामपुर में लोकसभा चुनाव स्थगित करने की सिफारिश करने का प्रस्ताव दिया था। अदालत मुर्शिदाबाद के बहरामपुर लोकसभा क्षेत्र में हुई झड़पों की जांच सीबीआई और एनआईए से कराने के अनुरोध वाली दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।

उच्च न्यायालय ने कहा कि यदि आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) लागू होने पर दो समूह लड़ रहे हैं, तो उन्हें किसी निर्वाचित प्रतिनिधि की आवश्यकता नहीं है और ऐसे में ‘‘चुनाव एक और समस्या पैदा करेगा।” विश्व हिंदू परिषद के कोलकाता क्षेत्र के संयोजक अमिय सरकार और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के पश्चिम बंगाल और सिक्किम के क्षेत्रीय संयोजक एस. ए. अफजल ने जनहित याचिकाएं दायर की हैं।