maharashtra lockdown
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    बढ़ते कोरोना संकट (Coronavirus) पर काबू पाने के उद्देश्य से महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) ने सोमवार रात 8 बजे से राज्य भर में कड़े प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है. शनिवार और रविवार को पूर्ण लॉकडाउन (Lockdown) रहेगा. शुक्रवार रात 8 बजे से मिनी लॉकडाउन शुरू हो जाएगा तो सोमवार सुबह 7 बजे तक चलेगा. सिनेमाघर, नाट्यगृह, मॉल, होटल व उद्यान पूरी तरह बंद रहेंगे. रेस्टारेंट की सिर्फ पार्सल सेवा शुरू रहेगी. उद्योग जगत को समय के बंधन का पालन करना होगा. गृहनिर्माण क्षेत्र के सभी काम शुरू रहेंगे. केवल अत्यावश्यक सेवा कर्मियों को रात में गाड़ी चलाने की अनुमति होगी. राज्य मंत्रिमंडल ने एकमत से यह निर्णय लिया और कहा गया कि विपक्ष ने इस मुद्दे पर पूरा सहयोग दिया.

    आघाड़ी में मतभेद, कांग्रेस नाराज

    महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. एनसीपी का वर्चस्व बढ़ा-चढ़ा है जो कि विभिन्न फैसलों में शिवसेना को अपने तरीके से प्रभावित करती है जबकि कांग्रेस को लगता है कि आघाड़ी में उसके साथ उपेक्षापूर्ण बर्ताव करते हुए उसकी लगातार अनदेखी की जा रही है. कोरोना नियंत्रण को लेकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने कहा कि हमारे सामने 2 यक्ष-प्रश्न हैं. पहला यह कि लोगों की जान बचाई जाए या उनका रोजगार? हमें लगता है कि लोगों की जान बचाने को हमें प्राथमिकता देनी होगी. रोजगार एक बार फिर मिल सकता है लेकिन जान वापस नहीं आ सकती. मुख्यमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जनता को कड़े प्रतिबंध या लॉकडाउन के लिए तैयार रहना होगा. परिस्थिति हाथ से न निकल जाए इसलिए फैसला लेने की घड़ी आ गई है. कोरोना इसी तरह बढ़ता रहा तो 15 दिनों में राज्य में बेड और अस्पताल फुल हो जाएंगे. ऐसा संकेत है कि सरकार 10 से 15 दिनों के लिए लॉकडाउन लगा सकती है. एक बार लॉकडाउन लगाने पर फिर उसे धीरे-धीरे खोला जा सकता है. पुणे में तो 7 दिनों का लॉकडाउन घोषित भी कर दिया गया.

     BJP ने उठाए सवाल 

    लॉकडाउन की चर्चा के बीच बीजेपी ने कहा कि सरकार पहले रोज कमाने-खाने वाले लोगों के पेट भरने की व्यवस्था करे, इसके बाद लॉकडाउन पर विचार करे. जिम्मेदार विपक्ष होने के नाते बीजेपी कोरोना संकट के समय सरकार का साथ देने को तैयार है लेकिन सामान्य नागरिकों की रोजी-रोटी पर भी विचार होना जरूरी है. विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि मुख्यमंत्री का संवाद किसलिए था, उन्हें समझ ही नहीं आ रहा है. सीएम ने यह नहीं बताया कि राज्य में कोरोना इतनी तेजी से क्यों बढ़ रहा है? उन्होंने यह भी नहीं बताया कि अगर लॉकडाउन नहीं लगाना है तो कोरोना से निपटने के लिए राज्य सरकार क्या प्लानिंग कर रही है? मुख्यमंत्री को बताना चाहिए था कि पुणे, नागपुर जैसे ठिकानों में उन्होंने क्या उपाय सोच रखे हैं? लॉकडाउन कोई रूटीन चीज नहीं है कि सोचा और लगा दिया. सीएम के भाषण में न कोरोना बढ़ने के कारणों का जिक्र था, न उपाय योजनाओं की चर्चा.

    आघाड़ी सरकार में समन्वय नहीं होने से कांग्रेस नाराज है. कांग्रेस नेता एच.के. पाटिल, बाला थोरात व अशोक चव्हाण ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से उनके सरकारी निवास पर भेंट की और साझा न्यूनतम कार्यक्रम पर चर्चा हुई. विकास निधि के वितरण, मंत्रियों के अधिकार जैसे मुद्दों पर बात हुई. कांग्रेस ने सचिन वझे प्रकरण में अपनी नाराजगी सरकार के सामने जाहिर की और कहा कि इस मामले को सही तरीके से हैंडल नहीं किया गया जिसकी वजह से पार्टी नेताओं पर कीचड़ उछाला गया. इस प्रकरण में कांग्रेस की बेवजह बदनामी हुई है. ऐसे में कांग्रेस का दम घुट रहा है.

    कांग्रेस को कमतर आंके जाने शिकायत  

    इसके पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले भी आघाड़ी में कांग्रेस की उपेक्षा का मुद्दा उठाकर अप्रसन्नता व्यक्त कर चुके हैं. उनका कहना है कि हर बार कांग्रेस को कमतर आंका जाता है और उसकी तुलना में एनसीपी और शिवसेना को अधिक तरजीह दी जाती है. यह नहीं भूलना चाहिए कि कांग्रेस के शामिल होने की वजह से ही आघाड़ी अस्तित्व में है. कांग्रेस ने गृहमंत्री अनिल देशमुख पर 100 करोड़ की वसूली के लगे आरोप को लेकर अपनी नाराजगी का इजहार किया और कहा कि इस पूरे मामले से सरकार के अंदर उसकी इमेज को भी धक्का लगा है. इस मामले को डील करते हुए एनसीपी को अपने सहयोगी दल कांग्रेस और शिवसेना को विश्वास में लेना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ. कांग्रेस मानती है कि मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक रखे जाने के अलावा सचिन वझे मामले को लेकर आघाड़ी सरकार की काफी किरकिरी हुई है.