चुनाव के बाद ब्याज कटौती तय, निर्मला की नियत में खोट

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    यह भी गजब का अंदाज है! केंद्रीय वित्त मंत्री (Nirmala Sitharaman)जैसे जिम्मेदार पद पर विराजमान निर्मला सीतारमण ने पहले तो वित्त वर्ष के अंतिम दिन एक अधिसूचना जारी कर लघु बचत योजनाओं (Small Savings Rate) और पीपीएफ की ब्याज दर में कटौती की घोषणा की लेकिन फिर इसे नजर चूक या ओवरसाइट बताते हुए इस घोषणा को वापस ले लिया. जनता की समझ में आ गया कि 5 राज्यों में चुनाव के समय लघु बचत पर ब्याज दर घटाने से केंद्र सरकार व सत्तापक्ष के प्रति नाराजगी बढ़ सकती है, इसलिए राजनीतिक दृष्टि से विचार करते हुए सरकार ने फिलहाल इस मामले में यूटर्न ले लिया.

    इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि चुनाव निपट जाने के बाद शायद ब्याज कटौती कर दी जाए! अभी सरकार के ध्यान में यह बात आ गई कि जिन राज्यों में चुनाव हैं, वहां बड़ी तादाद में सेवानिवृत्त बुजुर्ग (Retired Elderly) रहते हैं जिनका जीवन पीपीएफ, बुजुर्गों के लिए बचत योजना तथा अन्य छोटी बचत योजनाओं से होने वाली आय पर टिका है. इनमें बड़ी संख्या में बुजुर्ग महिलाएं व पूर्व सैनिकों की विधवाएं भी शामिल हैं. जब ये लोग वोट देने जाते तो उनके दिमाग में ब्याज दर में कटौती का असंतोष घुमड़ रहा होता. इससे राजनीतिक नुकसान हो सकता था इसलिए सरकार ने फिलहाल यह कदम पीछे खींच लिया. सरकार का यह कहना विश्वसनीय नहीं लगता कि भूलवश ब्याजदरों में कमी का आदेश जारी हो गया था. विगत वर्षों से सरकार पीपीएफ, फिक्स डिपाजिट या सेविंग्स खाते की ब्याज दर कम करने में लगी है. सरकार की यह विचारधारा विश्व बैंक व अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष जैसी संस्थाओं से प्रेरित है.

    बुजुर्गों का ध्यान रखा जाए

    भारत में अभी 15 करोड़ बुजुर्ग हैं, जिनकी संख्या कुछ वर्षों में 20 करोड़ तक पहुंच जाएगी. इनमें नियमित पेंशन पाने वाले लोग 2 करोड़ भी नहीं हैं. बाकी सारे बुजुर्ग अपनी जीवन भर की बचत पर जैसे-तैसे गुजर-बसर करते हैं. लोगों को अल्प बचत और पीपीएफ में ही सुरक्षा नजर आती है क्योंकि बैंकिंग व पूंजी बाजार में पारदर्शिता नहीं है. उद्योगपति बैंक डुबा देते हैं. कंपनियां अंशधारकों को धोखा देती हैं. बीमा कंपनियां दिए हुए आश्वासन पूरे नहीं करतीं. ऐसी हालत में बुजुर्ग अपनी जमापूंजी विश्वासपूर्वक कहां सुरक्षित रखें! किसान विकास पत्र जैसी योजना का भी गला घोट दिया गया.

    केंद्र या राज्य की कोई भी योजना वरिष्ठ नागरिकों को मजबूत आधार नहीं देती. यूरोप-अमेरिका में ब्याज दर शून्य है लेकिन वहां वरिष्ठ नागरिकों को मुफ्त इलाज, पेंशन, बुजुर्गों के निवास आदि की व्यवस्था है. एम्प्लाई पेंशन स्कीम में लाखों बुजुर्गों को 2 से 4 हजार रुपए मिलते हैं जिसमें गुजारा नहीं हो सकता. इसलिए उनकी बचत योजनाओं से खिलवाड़ न किया जाए.