तीखे आरोपो-प्रत्यारोपों की बौछार साए फोकस बंगाल चुनाव पर

    Loading

    यद्यपि देश के 4 राज्यों व एक केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव (West Bengal Elections 2021) होने जा रहे हैं लेकिन चुनावी हलचलों का सारा फोकस बंगाल पर ही केंद्रित नजर आता है. वहां इसलिए प्राथमिकता दी जा रही है क्योंकि बीजेपी किसी भी कीमत पर बंगाल का गढ़ जीता चाहती है और बंगाल की शेरनी कहलाने वाली ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) किसी भी स्थित में अपनी सत्ता सुरक्षित रखने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है.

    बीजेपी के नेता मानते हैं कि मोदी व अमित शाह (Amit Shah) के धुंआधार प्रचार का अनुकूल असर पड़ेगा खास तौर पर पीएम के वाक चातुर्य का ऐसा प्रभाव पड़ेगा कि इस बार लोग बदलाव का वोट देना पसंद करेंगे. बीजेपी (BJP)को एंटी इनकमवेंसी फैक्टर पर भरोसा है. चुनाव आयोग ने भी 8 चरणों में चुनाव कराने का निर्णय लेकर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को मनमानी करने से रोक दिया है. इस स्थिति को बीजेपी अपने लिए अनुकूल माना ही है. बीजेपी के हौसले इसलिए भी बढ़े हैं क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव में उसने बंगाल में काफी सटें जीती हैं. यह बात अलग है कि विधानसभा में उसकी सीटें फिलहाल बेहद कम है.

    दलबदलुओं पर भरोसा

    बीजेपी को बंगाल में उन दलबदलु नेताओं पर भरोसा है जो टीएमसी छोडकर बीजेपी में शामिल हो गए हैं. ममता बनर्जी इन नेताओं को गद्दार मानती हैं और कहती हैं कि अच्छा हुआ जो उनसे पिंड छूटा. बीजेपी टीएमसी के बागरी नेताओं को सिर चढ़ा रही है लेकिन इससे बीजेपी के पुराने निष्ठावान कार्यकर्ता दुखी हैं जिन्होंने इतने वर्षों तक पार्टी की जड़ों को सींचा. उनकी उपेक्षा कर टीएमसी से आए लोगों को चुनाव में टिकट दिया गया. जो बीजेपी के कटु आलोचक थे, वे ही मौका देखकर बीजेपी में स्थान पा गए.

    चेहरा न होने की मजबूरी

    बीजेपी के पास न तो बिहार में मुख्यमंत्री पद का कोई चेहरा था और न ही बंगाल में है. वहां यदि बीजपी जीती भी तो मुख्यमंत्री टीएमसी से पार्टी बदलकर आए किसी नेता को ही बनाना पड़ेगा. बीजेपी शुवेंदु अधिकारी पर दांव लगा रही है लेकिन ममता की तुलना में उनका कद उतना नहीं है. बीजेपी चुनाव होने से पहले ही बड़े-बड़े ख्वाब देख रही है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तो यहां तक एलान कर दिया कि बंगाल में बीजेपी सरकार की पहली कैबिनट में ही नागिरकता संशोधन एक्ट (सीएए) लागू कर दिया जाएगा. उसी बैठक में आयुस्मान भारत योजना लागू करने, महिलाओं को नौकरी में 33 प्रतिशत आरक्षण तथा किसानों को सम्मान निधि का 18,000 रुपए बकाया देने का निर्णय लिया जाएगा. मछुआरों को सालाना 6,000 रुपए मिलेंगे. शाह ने आत्मविश्वास जताते हुए कहा कि यह सिर्फ घोषणाएं नहीं है बल्कि दुनिया के सबसे बड़े दल का संकल्प है जिसकी 16 से ज्यादा राज्यों में सरकारें हैं.

    टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी और बीजेपी के शीर्ष नेताओं की जमकर नोंकझोक जारी है. ममता ने कहा कि मैं ‘बोरो गधा’ (महामूर्ख) थी जो तृणमूल के  गद्दार मीर जाफरों पर भरोसा किया. ये लोग बीजेपी में चले गए जो गद्दारों और लुटेरों की पार्टी है. बंगाल ने कभी मीर जफर को कभी माफ नहीं किया. दूसरी ओर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दीदी चाहे तो मेरे सिर में किक मार ले लेकिन बंगाल के सपनों को किक न मारे. मोदी ने बांग्ला में कहा ‘दीदी, जाच्छे, अशोल परिबोर्तन आश्छे. दीदी जा रही है और असली परिवर्तन आ रहा है. इसके पहले भी बीजेपी नेता तृणमूल कांग्रेस सरकार पर तोलाबाजी, टीएमसी माने टेक माय कमीशन जैसे फिकरे कस चुके हैं. पुरुलिया और बांकुड़ा में मोदी की सभाएं हो चुकी है. कोलकाता के परेड ग्राउंड की सभा में तो लाखों की मौजूदग थी. लगता है चुनाव के जोश में किसी को कोरोना का भय ही नहीं रह गया.