Amidst the increasing speed of corona cases in Mumbai, if you are doing covid self-test at home, then definitely keep this in mind
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अकोला. स्थानीय सरकारी चिकित्सा महाविद्यालय व सर्वोपचार अस्पताल में पिछले वर्ष अप्रैल माह में स्थापित किए गए वीआरडीएल प्रयोग शाला ने कोरोना विषणु सैम्पलों की जांच की. जिस में 1 लाख रिपोर्ट में 14,900 मरीज (14.90 प्रश) यह कोरोना पॉजिटिव मिलने की जानकारी सामने आयी है. कोरोना संकट के दौरान माइक्रोबायोलॉजी विभाग के तहत कोविड-19 के निदान के लिए 12 अप्रैल 2020 को वीआरडीएल प्रयोगशाला शुरू की गई थी.

इस प्रयोगशाला में संदिग्ध कोविड-19 रोगियों की जांच जारी है. महाराष्ट्र में वायरल महामारी के निदान के लिए महाराष्ट्र में सात प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं, जिनमें अकोला वीआरडीएल प्रयोगशाला भी शामिल है. प्रारंभ में अकोला जिले के साथ साथ अमरावती, वाशिम, बुलढाना, यवतमाल के तथा जलगांव के मरीजों के सैम्पलों की जांच भी इस प्रयोगशाला में की गयी. अब तक जिले के बाहर से 24,000 नमूनों का परीक्षण यहां किया गया है.

अब जबकि इन अन्य जिलों में भी वीआरडीएल प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं, वर्तमान में केवल अकोला जिले के रोगियों के नमूनों का परीक्षण अकोला की प्रयोगशाला में किया जा रहा है. इसी तरह, बुलढाना और वाशिम के अधिकारियों और कर्मचारियों को वीआरडीएल प्रयोगशालाओं की स्थापना के लिए अकोला प्रयोगशाला में प्रशिक्षित किया गया है और तकनीशियनों ने प्रयोगशालाओं की स्थापना के लिए आवश्यक सहायता प्रदान की है.

प्रयोग शाला में सैम्पलों की जांच

जांच किए गए सैम्पलों में अकोला जिले के सभी कोविड-19 के संदिग्ध मरीज, उनके संपर्क के व्यक्ति तथा सुपर स्प्रेडर व कम जोखिम वाले समूहों के साथ-साथ शिक्षक, पुलिस, सरकारी कर्मचारी, सफाई कर्मी, भरती प्रक्रिया के उम्मीदवार, विदेश यात्रा के साथ-साथ हवाई या अंतरराज्यीय यात्रा करनेवालों की जांच की जाती है. प्रारंभ में इस प्रयोगशाला की क्षमता प्रति दिन 100 परीक्षण करने की थी जो बाद में बढ़कर 250 हो गई. तब से इस क्षमता को बढ़ाने के लिए जिलाधिकारी जीतेंद्र पापलकर के प्रयासों के साथ अन्य आवश्यक मशीनरी उपलब्ध हो गई हैं और अब प्रतिदिन 750 नमूनों का परीक्षण करने की क्षमता है. असाधारण मामलों में इस प्रयोगशाला में प्रतिदिन 1,000 से 1,200 परीक्षण किए जा सकते हैं.

प्रयोगशाला की सेवाएं

इस प्रयोगशाला में सैम्पलों की जांच के लिए लगनेवाली सामग्री, रसायन आदि संचालक, चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान निदेशालय, मुंबई की ओर से हाफकिन संस्था, मुंबई की ओर से उपलब्ध करवाई जाती है. भविष्य में प्रयोगशाला स्वाइन फ्लू, डेंगू, चिकनगुनिया और पीलिया जैसी वायरल बीमारियों का निदान करने में सक्षम होगी. वर्तमान में प्रयोगशाला में दो शोधकर्ता, एक अनुसंधान सहायक और दो प्रयोगशाला तकनीशियन हैं. डा.नितिन अंभोरे यह प्रयोगशाला के प्रमुख तथा प्रिन्सीपल इन्वेस्टीगेटर है. डा.रूपाली मंत्री को प्रिन्सीपल इन्वेस्टीगेटर के रूप में कार्यरत हैं. उनके मार्गदर्शन में प्रयोगशाला में कार्यरत तंत्रज्ञ, माइक्रोबायोलॉजिस्ट और साथ ही डेटा एंट्री ऑपरेटर पिछले दस महीनों से लगातार सेवाएं दे रहे हैं.

सैम्पल जांच प्रक्रिया

यह संदिग्ध रोगी के गले या नाक का स्त्राव लिया जाता है और टेस्ट ट्यूब में जमा किया जाता है. वहां से इसे प्रयोगशाला में लाया जाता है और इसके ऑनलाइन विवरण पंजीकरण और संदर्भ के लिए आईसीएमआर से भरे जाते हैं. जिसके बाद कुछ रसायनों को डालकर वायरस को निष्क्रिय कर दिया जाता है. वायरस का सार फिर एक मशीन द्वारा उससे अलग किया जाता है. नमूना तो पोलीमरेज चेन रिएक्शन द्वारा निदान किया जाता है. यह मशीन एक बार में 92 नमूनों तक की प्रक्रिया कर सकती है. पूरी प्रक्रिया में लगभग चार घंटे लगते हैं. अधिमानतः उसी दिन के नमूने उसी दिन जांचे जाते हैं, यह डा.अंभोर ने बताया.