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अकोला. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने घोषणा की थी कि कोरोना संकट को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग में सीधी भर्ती की प्रक्रिया जल्द ही लागू की जाएगी. घोषणा के छह महीने बाद भी इसे लागू नहीं किया गया है. इस बीच, अमरावती डिवीजन में, अकोला मंडल के सभी पांच जिलों में परिचारिकाओं के कुल 191 पद रिक्त हैं. यही नहीं, स्वास्थ्य विभाग में अभी भी 574 पदों का बैकलॉग है. जिसके कारण स्वास्थ्य सेवा बहुत प्रभावित हुई है.

अकोला स्वास्थ्य मंडल के अंतर्गत पांच जिले शामिल हैं, अकोला, वाशिम, बुलडाना, यवतमाल और अमरावती. स्वास्थ्य विभाग में इन 574 पदों के बैकलॉग को अमरावती पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ विभाग के आयुक्त की सम्मति से भरने के लिए खुली और पिछड़े वर्ग के सीधी सेवा भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन करने के लिए योग्य उम्मीदवारों को आमंत्रित किया गया था. जिसका विज्ञापन 24 फरवरी, 2019 को प्रकाशित किया गया था. आवेदन 18 मार्च 2019 तक आमंत्रित किया गया था.

इस श्रेणी के हजारों उम्मीदवारों ने अपने आवेदन दाखिल किए हैं. तब से लगभग नौ महीने बीत चुके हैं, लेकिन भर्ती प्रक्रिया अभी भी बंद है. कोरोना ने मार्च के अंत में राज्य में घुसपैठ की जिसने सभी सरकारी कार्यों को बाधित किया है. जिसके कारण भरती प्रक्रिया को भी टाल दिया गया था लेकिन अब कोरोना का प्रभाव अब नहीं के समान है. दीवाली के बाद कोरोना की दूसरी लहर की उम्मीद थी, लेकिन अब यह असंभव लगती है. इसलिए, राज्य सरकार को अब स्वास्थ्य विभाग में इस महत्वपूर्ण सीधी भर्ती प्रक्रिया को लागू करना चाहिए और बेरोजगारों को राहत प्रदान करनी चाहिए, यह मांग उम्मीदवारों द्वारा की जा रही है. 

अकोला महामंडल में रिक्त पद

अकोला महामंडल में फिल 574 रिक्त पदों का बैकलाग है, जिसमें सर्वाधिक 191 पद परिचारिकाओं हैं. प्रयोगशाला वैज्ञानिक अधिकारियों के 29 पद, प्रयोगशाला सहायकों के 8 पद, एक्स-रे वैज्ञानिक अधिकारियों के 19 पद, फार्मास्युटिकल अधिकारियों के 30 पद और क्लर्क के लिए 40 पद हैं. जिसके कारण न केवल स्वास्थ्य सेवाएं बल्कि कार्यालय का काम भी प्रभावित हुआ है. इसलिए, इस सीधी भर्ती प्रक्रिया को जल्द लागू करने की मांग जोर पकड़ रही है.

ठेका कर्मियों का जीवन अधर में लटका

मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ने कोरोना अवधि के दौरान कोविड वार्डों में सेवा करने वालों को सीधी सेवा भर्ती में प्राथमिकता देने की घोषणा की थी. कोरोना की पहली लहर के थमने के बाद, कोविड के वार्डों में काम करने वाले अधिकांश ठेका कर्मियों को घर का रास्ता दिखाया गया है. लगभग डेढ़ महीना हो गया है, लेकिन घर भेजे गए ठेक कर्मियों को कोविड वार्ड में काम करने के अनुभव का प्रमाण पत्र नहीं दिया गया है, इसलिए उनका जीवन अधर में लटका हुआ है.