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अमरावती. कोरोना लॉकडाउन के कारण करीब 8 माह से अदालती कामकाज बंद होने से वकीलों पर आर्थिक संकट घिर आया है. जिला अदालत में सिर्फ अत्यावाश्यक अपराधों के केस चलाए जा रहे है, जबकि वकालत पर निर्भर वकीलों का जनजीवन प्रभावित हुआ है, वहीं नए वकीलों की स्थिति और अधिक दयनीय हुई है. जिससे उनकी दिवाली काली होने के कगार पर है. जिस पर शहर के कुछ वकीलों ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. 

कई वकीलों पर भुखमरी की नौबत

कई वर्षों से वकीली पेशे में रहने वाले लोगों को ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन जिन वकीलों का निर्वाह केवल वकालत पर है, जो नए वकील है. ऐसे लोग काम ना होने से काफी प्रभावित हुए है. जिनकी आर्थिक स्थिति दयनीय है. क्योंकि पिछले 8 महीनों से अदालत का काम बंद है, जिससे कुछ पर आर्थिक तंगी तथा कुछ  भूखमरी की नौबत आन पड़ा है.

एड.सर्जेराव घुरड़े, पूर्व अध्यक्ष, बार एसोसिएशन

वकीलों के संगठन खामोश क्यों

लॉकडाउन से कोर्ट का काम बंद होने से वकील आर्थिक संकट से घिर गए है, लेकिन बार कौन्सिल ऑफ इंड़िया व बार कौन्सिल ऑफ महाराष्ट्र-गोवा जैसी वकील संगठनाएं खामोश है. हर संगठन खुलकर सामने आ रहा है, लेकिन वकीलों के हित में ना तो वकील संगठन कुछ बोल रहीं है और ना ही पक्षकार सवाल कर रहे है, मानो किसी से डरे हुए है. जिससे वकीलों की दिवाली भी काली होने वाली है.

एड.उज्वल सोनोने, पूर्व अध्यक्ष बार एसो.

उपाय योजना करें बार कौन्सिल

शहर व जिले में लगभग सभी विभागों में कामकाज शुरू हो चुके है, लेकिन वकीली कामकाज 75 फीसदी बंद हैं. व्यवसाय ठप होने से अधिकांश वकील आर्थिक संकट से गुजर रहे है. बार कौन्सिल व राज्य सरकार ने वकीलों के हित में उनकी आर्थिक स्थिति देखकर कुछ उपाय योजना व सकारात्मक निर्णय लेना चाहिए. जिससे उनकी दिवाली अच्छी हो सके.

एड.चिराग नवलानी, वकील

वकीलों के लिए लोन की व्यवस्था करें

बार कौन्सिल ने वकीलों की सिक्योरिटी को लेकर उन्हें लोन जैसी व्यवस्था करनी चाहिए. वैसे तो बार कौन्सिल कई उपाय योजनाओं पर काम कर रही है, लेकिन जिला स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक एक रिपोर्ट तैयार कर नैशनल बार कौन्सिल ने सुप्रीम कोर्ट समक्ष रिपोर्ट पेश कर वकीलों के लिए एक्शन लेना चाहिए, ताकि उनकी दिवाली भी बेहतर हो.

-एड.सपना जाधव, वकील

नेतागण ध्यान दें 

कोरोना महामारी में अदालती कामकाज पूरी तरह से बंद होने के कारण वकीलों को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा रहा है, लेकिन किसी भी राजनीतिक नेता, विधायक, सांसदों ने वकीलों की स्थिति पर ध्यान नहीं दिया. ऐसी स्थिति में इस साल वकीलों की दिवाली काली मनाई जाएगी.

एड.उमेश इंगले, वकील

कोरोना लॉकडाऊन में वकील आर्थिक संकट झेल रहे है. ज्युनिअर वकील की स्थिति अंत्यत दयनीय है. बार असोसिएशन की ओर से मिलने वाली आर्थिक मदद काफी नहीं है जिला स्तर पर या बार कौन्सिल ऑफ महाराष्ट्र व गोवा ने उचित  कदम वकीलों के लिए नहीं उठाए है. आज शासन ने शराब, बार, रेस्टारेंट शुरु किए है, फिर कोर्ट का कामकाज क्यो शुरु नहीं किया गया. नियमों का पालन कर कोर्ट का कामकाज शुरु करना चाहिए.

एड. चंदन शर्मा, वकील