NDA में लड़कियों को प्रवेश अब मिलेगा बराबरी का मौका

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    हर्ष का विषय है कि सशस्त्र बलों ने खुद होकर महिला कैडेट्स को नेशनल डिफेंस एकेडमी और नेवल एकेडमी में दाखिला देने का न्यायपूर्ण व सराहनीय फैसला किया है. केंद्र सरकार ने इसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट को दी. सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने केंद्र को हलकनामा दाखिल करने के लिए 10 दिनों का समय दिया है. इस मामले की सुनवाई अब 22 सितंबर को होगी.

    इस वर्ष नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) की 370 सीटों के लिए 4.5 लाख से अधिक उम्मीदवार परीक्षा देने वाले हैं. पहले यह परीक्षा 5 सितंबर 2021 को होने वाली थी लेकिन केंद्रीय लोकसेवा आयोग ने उसे 24 नवंबर तक आगे बढ़ा दिया है.

    स्थायी कमीशन का रास्ता पहले ही साफ

    महिलाओं के लिए सेना में परमानेंट कमीशन का रास्ता पहले ही साफ हो चुका है. एनडीए के जरिए सेना में शामिल होने पर लड़कियों को कई फायदे मिलेंगे. उनका सेवाकाल लंबा होगा तथा सैन्य सेवाओं में उनकी भूमिका का दायरा भी बढ़ेगा. लड़कियों के पास अब अपनी प्रतिभा और कार्यक्षमता के बल पर पदोन्नत होकर सेनाध्यक्ष बनने तक का मौका होगा. अब तक मेडिकल कोर में महिलाएं अधिकतम मेजर जनरल रैंक तक पहुंच पाई हैं अधिकांश को तो कर्नल पद से ही निवृत्त होना पड़ा. इससे पहले केंद्र सरकार ने कोर्ट से कहा था कि नीतिगत मामले में कोर्ट के हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. इस पर जस्टिस संजय किशन कौल ने खरी-खरी सुनाते हुए कहा था कि आपने महिलाओं को सेना में 5-5 वर्ष रखा, उन्हें स्थायी कमीशन नहीं दिया. इससे ज्यादा तो वायुसेना और नौसेना उदार है. आपको लैंपिक आधार पर बराबरी का सिद्धांत समझना होगा.

    पॉलिसी बनाने के लिए समय देने की मांग

    सुप्रीम कोर्ट में उपस्थित एडिशनल सालिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि यद्यपि दोनों संस्थानों में महिला कैडेट्स को दाखिल करने का फैसला कर लिया गया है लेकिन इस वर्ष हो रही एनडीए परीक्षा के नियमों में कोई बदलाव न किया जाए. नए नियम लागू करने से पहले नई नीति, प्रक्रिया और इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाना होगा. इसके लिए सरकार को समय चाहिए.

    महिला योद्धाओं की परम्परा रही है

    भारत में प्राचीन काल में कैकेयी अपने पति राजा दशरथ के साथ युद्ध क्षेत्र में गई थीं जहां उन्होंने रथ का पहिया निकलने से रोक कर दशरथ की जान बचाई थ. इसी वजह से दशरथ ने उन्हें 3 वरदान मांगने को कहा था. कैकेयी ने कहा था कि उचित अवसर आने पर वो इन वरदानों को मांग लेंगी. कृष्ण ने भी जब मौमासुर से लड़ाई लड़ी थी तो उनके साथ गई सत्यभामा ने उस असुर का वध किया था. इतिहास में गढ़ा मंडला की रानी दुर्गावती का उल्लेख है जिसने अपने पति हलमत शाह की मौत हो जाने पर अकबर की फौज का मुकाबला किया था झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने 1857 में अंग्रेजों की सेना का डटकर मुकाबला किया था. छत्तीसगढ़ में रानी अवंतीबाई लोधी जैसी योद्धा रही है. दक्षिण में कित्तूर की रानी चेनम्मा ने अंग्रेजों की सेना से टक्कर ली थी. भारतीय वायुसेना में जांबाज महिला पायलट हैं. हाल ही में तथ्यों पर आधारित ‘गुंजन सक्सेना, द कारगिल गर्लनायक फिल्म’ आई थी. इसमें दिखाया गया था कि कारगिल की लड़ाई में उसने जान जोखिम में डालकर कितनी बहादुरी दिखाई थी.