उदासीनता : किसानों को हो रही परेशानी, ध्यान नहीं दे रहा प्रशासन , धान खरीदी के लिए बारदाना नहीं

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    लाखांदूर. बुनियादी धान खरीदी खरीदी केंद्रों को सरकार द्वारा पिछले कुछ दिनों से ज्युट बारदाना उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है. जिला प्रशासन के तहत किसानों द्वारा उपलब्ध किए ज्युट बारदाना में धान खरीदी के निर्देश दिए गए हैं. लेकिन खुले बाजार में नए और पुराने बारदाना की कींमतों में वृद्धि के बावजुद बारदाना उपलब्ध नहीं हो रहा है. सरकार द्वारा धान खरीदी के नाम पर किसानों की प्रताड़ित किया जा रहा है.

    15 तक की जाएगी खरीदी 

    सरकार द्वारा इस वर्ष के रबी धान खरीदी के लिए 30 जून तक अवधि तय की थी. लेकिन इस अवधि में किसानों के रबी धान खरीदी पूर्ण नहीं होने के कारण इस अवधि में सरकार द्वारा वृद्धि के निर्देश पिछले 5 जुलाई को जारी किए गए. अब 15 जुलाई तक खरीदी केंद्रों के तहत धान खरीदी की जाएगी.

    अनेक केंद्रों में बंद है खरीदी

    5 जुलाई को इस वर्ष के रबी धान खरीदी की अवधि में वृद्धि के तहत खरीदी केंद्र नए से शुरू किए गए. किंतु सरकार एवं किसानों द्वारा ज्युट का बारदाना उपलब्ध नहीं किए जाने से तहसील के अधिकांश केंद्रों की धान खरीदी बंद पड़ी है.

    खुले बाजार में नए पुराने बारदाना के दाम अधिक

    सरकार द्वारा खरीदी केंद्रों को बारदाना की आपूर्ति नहीं किए जाने से जिला प्रशासन द्वारा किसानों ने उपलब्ध किए ज्युट बारदाना में धान खरीदी के निर्देश दिए गए हैं. लेकिन खुले बाजार में किसानों को नया अथवा पुराना बारदाना अधिक कीमतों में उपलब्ध कराए जाने से सरकार द्वारा किसानों की आर्थिक एवं मानसिक प्रताड़ित किया जा रहा है.

    खरीदी योजना से वंचित रह जाएंगे हजारों किसान

    किसानों के हित में सरकार के न्यूनतम समर्थन कींमत योजना के अनुसार पिछले कुछ वर्षों से बुनियादी धान खरीदी केंद्र चलाए जा रहे हैं. लेकिन इस वर्ष रबी में मंजूर केंद्रों को शुरू से ही सरकार द्वारा पर्याप्त मात्रा में बारदाना उपलब्ध नहीं है. इससे  हजारों किसानों को वंचित रहने का डर व्यक्त किया जा रहा है.

    जनप्रतिनिधियों की चुप्पी 

    विभिन्न समस्याओं के घिरे में इस वर्ष रबी में धान खरीदी केंद्र शुरू किए गए. लेकिन शुरू से ही खरीदी केंद्रों को बारदाना की पर्याप्त आपूर्ति नहीं की गयी. हालांकि खुले बाजार में किसानों को महंगे दामों में बारदाना उपलब्ध है. किंतु इस पूरे मामले में जिले के जनप्रतिनिधियों द्वारा किसानों की प्रताड़ना रोकने के लिए सरकार के खिलाफ आवाज नहीं उठाए जाने से किसानों सहित नागरिकों में आक्रोश व्यक्त किया जा रहा है.