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    भंडारा. राज्य में पिछले कुछ दिनों से महाराष्ट्र राज्य पशुवैद्यक परिषद नागपुर ने पशुधन पर्यवेक्षक कर्मचारियों पर की गई कार्रवाई के कारण सभी पशु चिकित्सक हड़ताल पर चले गए हैं. इस हड़ताल से पशुपालकों की टेंशन बढ़ गई है. निजी सेवाएं देने वाले डाक्टरों ने भी इस हड़ताल को समर्थन दिया है.

    इस वजह से शहरी तथा ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों के पशुपालकों की परेशानी बढ़ गई है. इस हड़ताल के कारण पशुओं के टीकाकरण का काम भी मंद पड़ गया है. मानसून काल में पालतु पशु अनेक रोगों के शिकार हो जाते हैं. रोग होने की स्थिति में पशुओं का उपचार करना जरूरी हो जाता है.

    पशु पर्यवेक्षकों के हड़ताल पर जाने से पशुओं के टीकाकरण का काम रुक गया है. पशुसंर्वधन विभाग पशुओं के डाक्टरों की ओर गंभीरता से नहीं देख रहे हैं. इस बात की ओर ध्यान दिलाने के लिए सभी डाक्टरों ने रविवार 1 अगस्त अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है.

    ग्रामीण क्षेत्र की खेती के साथ-साथ संयुक्त व्यवसाय के रूप में पशुपालन को भी देखा जाता है. ग्रामीण क्षेत्रों में पशुधन की संख्या पिछले कुछ वर्षों में बहुत बढ़ी है. ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं की संख्या बहुत ज्यादा होने की वजह से पशुधन पर्यवेक्षकों पर काम का बोझ बहुत बढ़ गया है.

    पशु चिकित्साधिकारी की संख्या बहुत कम होने के बावजूद महाराष्ट्र पशु वैद्यक परिषद ने बोगस पशु स्नातक प्रमाण पत्र धारकों को पशुधन आरोग्य सेवा देने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है. डाक्टरों की इस हड़ताल की वजह से पशुपालकों की चिंता बहुत बढ़ गई है.