प्राणियों के शिकार से बेखबर है वन विभाग

  • शाम से ही जंगल में सक्रिय हो जाती है सक्रिय

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कुंभली (सं). तहसील के जंगलों में वन प्राणियों की संख्या में वृद्धि होने के कारण उन्हें पकड़ने वाले शिकारियों की संख्या में भी वृद्धि हुई है. शिकारियों की टोलियों के जंगल में सक्रिय होने की जानकारी भी लगातार मिल रही है. कहा जा रहा है कि वन विभाग के अधिकारियों की उदासीनता के कारण शिकारियों का मनोबल बढ़ा है. जिस विभाग पर प्राणियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौपी गई है, वह विभाग अपनी जिम्मेदारी अच्छी तरह से नहीं निभा रहा है, इसलिए शिकारियों का जंगल में जमावड़ा हो रहा है.

वन विभाग के अधिकारियों की उदासीता का लाभ उठाते हुए साकोली तहसील में शिकारियों की कई ऐसी टोलियां जगलों में सक्रिय हैं तो वन प्राणियों का शिकार कर रही हैं. विगत मार्च माह से कोरोना महामारी के कारण लॉकडाऊन की घोषणा कीए जाने के बाद शहरी क्षेत्रों की तरह ग्रामीण क्षेत्रों ते साथ-साथ जंगल व्याप्त क्षेत्रों में भी कामकाज पर काफी असर पड़ा. लॉकडाउन काल में हाथ से काम चले जाने के कारण इस क्षेत्र के लोगों के समक्ष भुखमरी का सकंट उत्पन्न हो गया. हाथ में काम न होने से बेरोजगार हुए युवकों में से कुछ तो दिनभर पान ठेलों में बैठे दिखायी के रहे हैं तो कुछ युवकों ने जंगल में जाकर प्राणीयों का शिकार करना शुरु कर दिया है.

बताया जा रहा है कि युवकों की टोली रात के समय जंगल में घुस कर प्राणियों का शिकार करती है. रात के समय हिरन, सांबर, घोरपड, खरगोश, जंगली सुअरों का शिकार किया जाता है. इन वन प्राणियों का शिकार करने के बाद ये शिकार उनको काटकर उनके मांस की बिक्री करके भारी कमाई करते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में वन प्राणियों का मांस खाने वालों की संख्या अच्छी खासी है. जंगल में रहने वाले पशुओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी वन विभाग की है, ऐसे में रात के अंधेरे में जंगली पशुओं के हो रहे इस शिकार तथा उक्त प्राणियों के मांस की बाजार की बिक्री जैसे गंभीर घटना से वन विभाग अनभिज्ञ कैसे है, यही सबसे बड़ा सवाल है.

मिली जानकारी के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में सात से आठ लोगों की टोली शाम के बाद शिकार के लिए जंगल में सक्रिय हो जाती है. यह टोली अपने साथ जाल, कुल्हाड़ी, भाला तथा शिकारी कुत्तों को लेकर जाते हैं. जंगल में प्राणियो का शिकार करने के लिए जाने वाली टोली अपने साथ उन्हीं लोगों को रखती है, जो उनको पहचानते हैं, इस वजह से गांव के अनेक लोगों को इस बात की खबर ही नहीं होती कि जंगल को प्राणियों का शिकार किया जा रहा है. जंगली प्राणियों के शिकार होने की बढ़ती घटनाएं की इस बात की पुष्टि करती है कि वन विभाग के अधिकारी अपनी जिम्मेदारी का वहन ठीक तरह से नहीं कर रहे हैं. वन विभाग के अधिकारियों को सचमुच वन पशुओं के शिकार होने की जानकारी नहीं है या फिर ने जानबूझ कर अजान बन रहे हैं, यह भी जानना जरूरी है.