RO Center Sealed

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भंडारा. प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन 45 लीटर जलापूर्ति की ज़िम्मेदारी सरकार की है. शुद्ध जलापूर्ति के लिए सरकारी योजनाओं पर करोड़ों खर्च किए गए, लेकिन हकीकत में शुद्ध जलापूर्ति संभव नहीं हुई. स्वयं की सेहत की रक्षा के लिए लोगों ने खर्च कर महंगा आरओ घर में लगाया. जिनके लिए संभव नहीं था, वह सड़क चौराहों में खुले निजी आरओ केंद्रों में जाकर 5 रुपये से 25 रुपये में 20 लीटर की जार लेकर शुद्ध जल सेवन करने लगे. 2 दिनों पूर्व स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के अधिकारियों ने निजी आरओ केंद्रों को सील ठोक दिया है. इससे हाहाकार मचा है, लेकिन लोग शुद्ध पानी का जुगाड़ में भटकते देखे जा रहे हैं.

पूरे राज्य में एक साथ कार्रवाई

स्थानीय प्रशासन द्वारा 4 नवंबर को सभी निजी आरओ केंद्रों संचालकों को नोटिस थमाया गया. जिसके अनुसार विजयसिंग दुग्गल एवं अन्य विरूद्ध प्रदूषण नियंत्रण मंडल के प्रकरण क्र. 75 2017 डब्लूझेड 19 अक्टूबर 2020 पर एनजीटी ने आदेश जारी किया. इस आदेश के अनुसार जिनके पास में केंद्रीय भूजल प्राधिकरण व अन्न औषधि प्रशासन की इजाजत नहीं है. उन सभी के यूनिट को सील ठोकने का निर्देश दिया गया है. 24 घंटे के भीतर संबंधित प्रमाणपत्र नहीं सौंपने पर प्रशासन द्वारा निजी आरओ केंद्रों पर सील ठोकी गई. सूत्रों की माने तो कार्रवाई पूरे राज्य में की गई है. अचानक हुई इस कार्रवाई से हड़कम्प है. दूसरे शब्दों में इस सरकारी विभाग की ओर से लादा गया अप्राकृतिक अकाल कहा जा सकता है.

लोगों में मचा हड़कम्प

पूरे राज्य में यह निर्णय लागू किया गया है, लेकिन अकेले भंडारा शहर ही बात करें तो पूरे शहरवासी शुद्ध जलापूर्ति के लिए अपने घरों में स्थापित आर ओ केंद्र या फिर सड़क चौराहों में खोले गए निजी आरओ केंद्रों पर निर्भर है. यही नहीं शुद्ध जलापूर्ति के मकसद से कुछ महीने पूर्व स्वयं नगर परिषद ने अपने फंड से शहर के विभिन्न इलाकों में आरओ केंद्रों की स्थापना को मंजूरी दी. अब अचानक कारवाई करने से लोगों में हड़कंप मचा है. पानी का जुगाड़ करने के लिए लोग भटक रहे हैं. कुछ जगह में चोरी छिपे पानी बेचा जा रहा है.

पीना पड़ेगा दूषित जल

कोरोना के मद्देनजर डाक्टरों की ओर से स्वास्थ्य की ओर ध्यान देने की सलाह दी जा रही है. मौसम बदलते ही सर्दी, खांसी बुखार के मरीज बढ़ गये हैं. शुद्ध जलापूर्ति केंद्रों को सील ठोकने से लोगों को अशुद्ध पानी पीना पड़ेगा. इससे लोगों की स्वास्थ्य को गंभीर खतरा पैदा हुआ है. डर ही मरीजों की संख्या में इजाफा होगा.

केंद्र संचालकों को किया जा रहा मार्गदर्शन  : जाधव

नप सीओ जाधव ने बताया कि केंद्रीय भूजल प्राधिकरण व अन्न व औषधि प्रशासन की ओर से मार्गदर्शन के लिए नप ने विशेष डेक्स शुरू किया है. केंद्र सुचारू रूप से शुरू हो सके इसके लिए सभी निजी केंद्रों संचालकों को मार्गदर्शन व पूरी सहायता की जा रही है. माना कि एनजीटी यानि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने फरमान सुनाया. इसके बाद कारवाई हुई, लेकिन हकीक़त पर गौर फरमाना आवश्यक था. हकीकत यही है कि अधिकतर सरकारी दफ्तरों में निजी आरओ केंद्रों से पानी की जार जाती है. चूंकि स्थानीय स्वराज्य संस्थाएं लोगों को शुद्ध जलापूर्ति नहीं करती. लोगों ने अपनी सुविधा के अनुसार निजी आरओ केंद्रों को सहारा लिया. अब बगैर विकल्प लिए सरकारी विभाग की ओर से शुद्ध जलापूर्ति केंद्रों पर सील ठोकना किसी तुगलकी फरमान से कम नहीं है.