Increasing inflation and declining earnings, sufferingSenior Citizens copy

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    मुंबई. पिछले छह ‍वर्षों से देश में ब्याज दरें (Interest Rates) लगातार घटती जा रही हैं। अर्थव्यवस्था (Economy) में मांग बढ़ाने के लिए सरकार की नीतियों के अनुरूप भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) निरंतर अपनी ब्याज दर (Repo Rate) में कटौती कर सभी तरह के बैंक कर्ज (Bank Loan) सस्ते कर रहा है। 

    इससे कंपनियों और युवा उपभोक्ताओं को तो फायदा हो रहा है, लेकिन उन करोड़ों बुजुर्गों (Senior Citizens) को नुकसान हो रहा है, जो अपने गुजारे के लिए जमा ब्याज आय (Interest Income) पर आश्रित हैं। क्योंकि कर्ज ब्याज दरें घटने के साथ बैंक जमा और लघु बचत जमा योजनाओं की ब्याज दरें भी घटती जा रही हैं। बैंक एफडी दरें तो अब 5 से 5.5% के रिकार्ड निचले स्तरों पर आ गयी हैं, जो 6 साल पहले 8.5 से 9% की रेंज में थीं।

    40% तक घटी ब्याज कमाई

    सावधि जमा (Fix Deposites) पर ब्याज दरें घटने से सबसे ज्यादा झटका बुजुर्गों को लगा है, उनकी कमाई घट गयी है। 6 साल पहले यानी 2015 में औसत जमा ब्याज दर 8.63% थी। जिस पर एक लाख रूपए की जमा राशि पर वार्षिक ब्याज आय 8,630 रुपए हुआ करती थी, परंतु अब 2021 में औसत एफडी दर गिरकर 5.17% पर आ गयी हैं। जिसके कारण एक लाख रूपए की एफडी पर वार्षिक ब्याज कमाई भी घटकर 5,170 रुपए तक सीमित हो गयी है। इस तरह विगत 6 वर्षों में एफडी पर प्रति लाख रुपए कमाई में 3,460 रुपए यानी 40% की भारी कमी आई है।

    39% बढ़ी आवश्यक वस्तुओं की महंगाई

    घटती ब्याज कमाई और बढ़ती महंगाई (Inflation) से बुजुर्गों पर दोहरी मार पड़ रही है। विगत 6 वर्षों में आवश्यक वस्तुएं, स्वास्थ्य बीमा (Health Insurance) और इलाज लगातार महंगा हुआ है। इस दौरान स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम 250%, गैस सिलेंडर 80%, पेट्रोलियम उत्पाद 55% और आवश्यक खाद्य वस्तुएं 60% तक महंगी हो गयी हैं। इस तरह जिन जरूरत की चीजों के लिए 2015 में हर माह 8,630 रुपए खर्च करने पड़ते थे, उनके लिए अब 12,000 रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। अर्थात विगत 6 वर्षों में औसत महंगाई 39% बढ़ गयी है।

    8% हो जमा योजनाओं पर ब्याज दर

    अखिल भारतीय वरिष्ठ नागरिक महासंघ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और सामाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलोत को पत्र लिख कर अनुरोध किया है कि 5 साल की जमा योजनाओं‍ की ब्याज दरें कम से कम 8% की जाए और सरकार को सभी बुजुर्गों को उनकी जमाराशि पर 2% अतिरिक्त ब्याज देना चाहिए, ताकि इस महंगाई के दौर में देश के करोड़ों बुजुर्गों को कुछ राहत मिल सके।  

    बुजुर्गों के लिए जीवन यापन होता कठिन

    अखिल भारतीय वरिष्ठ नागरिक महासंघ के अध्यक्ष इंद्र मोहन भल्ला ने कहा कि देश में बुजुर्गों की हालत दिन-प्रतिदिन दयनीय होती जा रही है। क्योंकि भारत में उनके लिए कोई सामाजिक सुरक्षा (Social Security) नहीं है। देश में करीब 14 करोड़ वरिष्ठ नागरिक हैं, जिनमें से करीब 70% गरीब परिवारों से हैं। अधिकांश के पास आय का कोई साधन नहीं है। मध्यम आय वर्ग के बुजुर्ग तो मुख्यत: अपनी जमा पूंजी पर होने वाली ब्याज आय पर ही गुजारा करने के लिए विवश हैं, लेकिन घटती ब्याज दरों और बढ़ती महंगाई ने उनका जीवन दूभर कर दिया है।

    बनाए जाएं हर जिले में ओल्ड एज होम

    महासंघ के महासचिव टीपीआर उन्नी ने कहा कि देश में बुजुर्गों की हालत सुधारने के लिए सरकार को रोटी, कपड़ा, मकान मुहैया कराने के साथ सुरक्षा और स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए। आज इलाज अत्याधिक महंगा होता जा रहा है और कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण ने तो हालत और खराब कर दी है। इसलिए हर अस्पताल में बुजुर्गों के लिए इलाज नि:शुल्क होना चाहिए। साथ ही हर जिले में ओल्ड एज होम (Old Age Home) बनाने चाहिए।