bse

Loading

मुंबई: रिकॉर्ड महंगाई, ब्याज दरों में अत्याधिक वृद्धि, धीमी पड़ती ग्रोथ और अमेरिका व यूरोप में कई बैंकों के संकट में आने से विश्व स्तर पर शेयर बाजारों (Stock Markets) में मंदी का माहौल बन गया है। हर निवेशक चिंतित है कि 2023 में बाजार कैसा रहेगा। ऐसे माहौल में कहां निवेश करें। देश की आर्थिक स्थिति कैसी रहेगी। इन्ही सब मुद्दों पर इनवेस्को म्यूचुअल फंड ( Invesco Mutual Fund) के मुख्य निवेश अधिकारी (CIO) ताहेर बादशाह (Taher Badshah) की ‘नवभारत’ के वाणिज्य संपादक विष्णु भारद्वाज से विस्तृत चर्चा हुई। इनवेस्को म्यूचुअल फंड को 1.30 ट्रिलियन डॉलर के प्रबंधन कोष (AUM) वाली ग्लोबल एसेट मैनेजमेंट कंपनी इनवेस्को लिमिटेड ने प्रमोट किया है।

भारत में इनवेस्को म्यूचुअल के पास 15 लाख निवेशक खातों के साथ 45,000 करोड़ रुपए का कुल प्रबंधन कोष है। निवेश गुरू ताहेर बादशाह के प्रभावी नेतृत्व में इनवेस्को म्यूचुअल अपने निवेशकों को बेहतरीन प्रतिफल प्रदान कर रहा है। पेश हैं चर्चा के मुख्य अंश:-    

  • 2023 की शुरूआत से ही शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव के साथ मंदी जैसे हालात बन रहे हैं। इसकी वजह वैश्विक फैक्टर अधिक हैं। ऐसे में 2023 में आगे बाजार किस दिशा में जाता दिख रहा है?

यह सही है कि बाजार में जो मंदी का दबाव बना है, वह वैश्विक कारणों से ही अधिक है। अमेरिका (US) में लगातार बढ़ती ब्याज दरें (Interest Rates) सबसे बड़ी वजह है। भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) में तो कोई दिक्कत वाली बात नहीं है। भारत की जीडीपी दर थोड़ी धीमी अवश्य हुई है, लेकिन ग्रोथ अब भी सबसे अधिक है। हालांकि कोविड के बाद शहरी भारत में जो तेज ग्रोथ हुई, वह अब बढ़ती ब्याज दरों के कारण कुछ धीमी हो रही है और ग्रामीण भारत में हीट वेव और अल नीनो की चिंता से ग्रोथ प्रभावित होने की आशंका है। फिर भी सरकार द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर खर्च में लगातार वृद्धि और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान से ग्रोथ को सपोर्ट मिल रहा है। भारत में महंगाई (Inflation) भी कम होने लगी है, लेकिन अमेरिका में हालात नाजुक हैं। वहां महंगाई दर 2% से बढ़कर 8% के पार हो गयी थी और अब घटकर 6.5% तक ही आई है, जो 2% तक वापस आना बहुत ही मुश्किल है। अमेरिका के केंद्रीय फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) ने महंगाई कंट्रोल करने के लिए 12 महीनों में ही ब्याज दर में 4.50% की बड़ी बढ़ोतरी कर डाली। परंतु महंगाई तो ज्यादा कम हुई नहीं, उल्टे इसका वहां बैंकिंग सेक्टर में निगेटिव असर होने लगा है। यही कारण है कि शेयर बाजारों में विश्व स्तर पर मंदी का दबाव बन गया है, जो अगले 6 से 12 महीने रह सकता है।

  • …तो क्या ज्यादा मंदी की आशंका है?

नहीं, ज्यादा मंदी की आशंका तो नहीं है, लेकिन ज्यादा अपसाइड यानी ऊपर जाने की उम्मीद भी नहीं है। ऊपरी स्तरों से शेयर बेंचमार्क (Sensex & Nifty) 10% गिर चुके हैं। 5 से 6% और गिरावट की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा ब्याज दरों में 2.50% की वृद्धि किए जाने से कार्पोरेट इंडिया की अर्निंग (Profit) प्रभावित हो रही है। निफ्टी की अर्निंग में 4% की कमी आ चुकी है। यह दबाव अगली दो तिमाही तक बना रह सकता है। लिहाजा इस साल ज्यादा रिटर्न की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए। परंतु 3 से 4 साल निवेश की दृष्टि से इंडिया ग्रोथ स्टोरी (India Growth Story) बहुत अच्छी लग रही है।

  • आगामी वर्षों में इंडिया ग्रोथ स्टोरी अच्छी होने के क्या कारण होंगे?

देखिए, केंद्र सरकार का सबसे अधिक फोकस मैन्युफैक्चरिंग, इंफ्रा डेवलपमेंट, ग्रोथ और जॉब क्रिएशन पर है। सरकार का विजन है कि इम्पोर्ट कम करो, मेक इन इंडिया करो, मेक फॉर वर्ल्ड करो। प्राइवेट सेक्टर को प्रमोट करो। इसलिए सरकार आयात निर्भरता वाले उद्योग क्षेत्रों में पीएलआई स्कीम (PLI Scherme) लाकर लोकल मैन्युफैक्चरिंग (Local Manufacturing) को बढ़ावा दे रही है। जब आयात (Import) की बजाय देश में ही उत्पादन (Production) बढ़ने लगेगा तो निश्चित ही इकोनॉमी की ग्रोथ (Growth) तेज होगी और नए जॉब क्रिएट (Job Creation) होंगे। इंडिया ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग का हब बनेगा। इसलिए सरकार का विजन सही दिशा में है और ‘आत्मनिर्भर भारत’ (Atmanirbhar Bharat) से ही निवेशकों को सरप्राइज मिलेंगे यानी नए निवेश अवसर (Investment Opportunities) प्राप्त होंगे।

  • अब निवेश की दृष्टि से कौनसे उद्योग क्षेत्र आकर्षक और कौनसे निगेटिव दिख रहे हैं?

सरकार के प्रयासों से डिफेंस (Defence), इंजीनियरिंग (Engineering), रेलवे (Railway), मेट्रो (Metro), रोड कंस्ट्रक्शन (Road Construction), कैपिटल गुडस (Capital Goods), वायर-कैबल (Wires & Cables) और सीमेंट सेक्टर (Cement Sector) की ग्रोथ तेज हो रही है और ये सेक्टर आकर्षक लग रहे हैं। आईटी सेक्टर (IT Sector) की लॉन्ग टर्म स्टोरी कायम है। आईटी मे डेब्ट की कोई प्रॉब्लम नहीं है और वैल्यूएशन काफी आकर्षक हो गयी है। जबकि बैंकिंग (Banking) और एफएमसीजी सेक्टर (FMCG Sector) की ग्रोथ स्लो (Growth Slow) होने लगी है।

  • रिटेल निवेशक को मौजूदा अस्थिर माहौल में कहां निवेश करना चाहिए?

चूंकि आर्थिक तस्वीर स्पष्ट नहीं है। इसलिए रिटेल निवेशक (Retail Investors) को जोखिम से बचने के लिए बैलेंस एप्रोच (Balance Approach) रखना चाहिए। इक्विटी में फ्लेक्सी कैप (Flexi Cap) या मल्टी कैप (Multi Cap) ज्यादा सही है। जो निवेशक कुछ जोखिम के साथ आगामी वर्षों में अच्छे रिटर्न की चाहत रखते हैं, वे स्मॉलकैप फंडों (Small Cap Funds) में निवेश कर सकते हैं क्योंकि स्मॉलकैप की वैल्यूएशन आकर्षक हो गयी है। ग्लोबल फंडों (Global Funds) में भी गिरावट के बाद निवेश अवसर उभर रहे हैं। लेकिन इक्विटी फंडों (Equity Funds) में रिटेल निवेशकों के लिए सबसे सही माध्यम एसआईपी (SIP) के द्वारा नियमित निवेश है। और जो निवेशक सुरक्षित रूप से अगले एक साल में फिक्स रिटर्न की चाहत रखते हैं, वे निवेशक मनी मार्केट फंड (Money Market Funds), कॉरपोरेट बॉन्ड फंड (Corporate Bond Funds), लिक्विड फंड (Liquid Funds) और फिक्स्ड इनकम (Fixed Income Funds) कैटेगरी की अन्य फंड स्कीमों में निवेश कर सकते हैं, जहां 7% से ज्यादा रिटर्न (Return) मिल रहा है।